लखनऊ : केंद्रीय कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य प्रमोद तिवारी ने अयोध्या में जमीन खरीद मामले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए भाजपा पर कई सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि जो घोटाला सामने आया उसके बाद राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास की ओर से ट्रस्ट के अंदर, ट्रस्ट की कार्यप्रणाली पर मनमानेपन और अपारदर्शिता का आरोप लगाया गया है. उनकी ओर से बताया गया कि पिछले एक साल से उन्हें ट्रस्ट के फैसलों के बारे में कुछ बताया नहीं जाता, सहमति तक नहीं ली जा रही है. महंत नृत्य गोपाल दास ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं और जब अध्यक्ष ही मनमाने पर और अपारदर्शिता का आरोप लगा रहे हैं तो आप कल्पना कर सकते हैं कि क्या स्थिती है.
जज की निगरानी में हो जांच
कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा- "जो लोग राम जन्मभूमि संघर्ष से जीवन भर जुड़े रहे और संघर्ष किया अगर वह इस पर सवालिया निशान लगा रहे हैं तो राष्ट्रीय कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी का मैं समर्थन करता हूं, जिसमें उन्होंने कहा है कि इसकी निगरानी सर्वोच्च न्यायालय से कराई जाए. उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय की जिस बेंच ने इसका फैसला दिया था उस बेंच के जो बचे हुए शेष न्यायाधीश हैं उनके ही निगरानी में इसकी जांच हो, क्योंकि उन्हें इसके तथ्य बेहतर तरीके से मालूम हैं. उन्होंने जीवित मूर्ति मानकर अपना फैसला सुनाया था."
'बिजनौर की जमीन में भी हुआ खेल'
प्रमोद तिवारी ने कहा कि श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से अनुबंधित जमीन को लेकर उठे विवाद में सबसे पहले राम जन्म भूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास शास्त्री और हनुमानगढ़ी के पुजारी राजू दास ने इसका मुखर विरोध किया. यही नहीं स्वामी स्वरूपानंद जी ने भी सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि बिजनौर के नगीना में अलका लोहाटी नाम की महिला ने श्री राम जन्म भूमि मंदिर ट्रस्ट की जमीन खरीद से जुड़े चर्चित व्यक्ति के खिलाफ गौशाला को लेकर सवाल उठाए हैं. इस गौशाला की 20 हजार मीटर जमीन पर अवैध कब्जा करके एक डिग्री कॉलेज की स्थापना कर दी गई. लोगों को भ्रमित करने के उद्देश्य से उसका नाम श्री कृष्ण डिग्री कॉलेज रख दिया गया.
प्रमोद तिवारी ने वैधानिक पहलू सामने रखते हुए कहा कि जमीन की कोई भी डील होती है तो स्टांप पेपर खरीदा जाता है. स्टांप पेपर जमीन की कीमत के आधार पर खरीदा जाता है. रवि मोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी ने यह जमीन कुछ ही मिनट में खरीद भी ली और बेच भी डाली. उन्होंने कहा कि अभी अभी कहा जा रहा है कि यह जमीन दो करोड़ में इसलिए मिली कि यह 2019 का एक पुराना एग्रीमेंट था. इसका सीधा सा मतलब है की जमीन बेचने वाले ने कई साल बिना एक रुपये लिए इनको पुराने रेट पर जमीन बेचने का वादा कर रखा था.
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स्टांप खरीद को लेकर उठाए सवाल
वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा- "सुप्रीम कोर्ट के कानून के मुताबिक जिस खरीद का इकरारनामा तहसील में रजिस्टर्ड नहीं है. उस पर स्टांप ड्यूटी का भुगतान नहीं हुआ है. वह मात्र एक कागज का टुकड़ा है. इस कागज के टुकड़े की कोई वैल्यू नहीं है. यह सारी खरीद-फरोख्त तहसील पर हुई ही नहीं. दोनों खरीद-फरोख्त अयोध्या के मेयर भाजपा नेता ऋषिकेश उपाध्याय के घर पर हुई. वहीं पर ट्रस्टी अनिल मिश्रा गवाह बनकर मौजूद थे. राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट को एक मेयर के घर जाकर जमीन क्यों खरीदनी पड़ी, यह बड़ा सवाल है.
उन्होंने कहा कि श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने उसी दिन दो अलग-अलग लोगों से दो प्राइम लैंड खरीदी. चौंकाने वाली बात यह है कि यह दोनों जमीने हरीश पाठक और कुसुम पाठक की है जो नवंबर 2017 में उनसे रजिस्टर्ड हुई हैं. इसमें एक का क्षेत्रफल 1.208 हेक्टेयर और दूसरे का 1.037 हेक्टेयर था. यह अलग-अलग कीमत साढ़े 18 करोड़ और आठ करोड रुपए में खरीदी गई. यह बात सामने आ गई कि 1.03 7 हेक्टेयर भूमि हरीश पाठक और कुसुम पाठक से सीधे खरीदी गई और पहले में बिचौलिए रवि मोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी को रखा गया.
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क्या है विवाद
सपा नेता पवन पांडेय का आरोप है, "18 मार्च 2021 को करीब 10 मिनट पहले बैनामा भी हुआ और फिर एग्रीमेंट भी, जिस जमीन को दो करोड़ रुपये में खरीदा गया उसी जमीन का 10 मिनट बाद साढ़े 18 करोड़ में एग्रीमेंट क्यों हुआ? एग्रीमेंट और बैनामा दोनों में ही ट्रस्टी अनिल मिश्र और मेयर ऋषिकेष उपाध्याय गवाह हैं."