लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, उनकी सरकार में मंत्री रहे आजम खान पर प्रदेश सरकार द्वारा की जा रही बदले की भावना के विरोध में रामपुर से लेकर लखनऊ तक साइकिल यात्रा निकाली. इस साइकिल यात्रा को रामपुर पहुंचकर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जौहर विश्वविद्यालय से हरी झंडी दिखाकर रवाना की. रामपुर से निकली यह यात्रा 21 मार्च को लखनऊ पहुंचेगी.
अखिलेश के जेहन से डिलीट हो चुके आजम
आजम खान के प्रति बढ़ते अखिलेश यादव के प्रेम के बारे में उत्तर प्रदेश कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमैन शाहनवाज आलम का कहना है कि जिस तरह से अखिलेश यादव को एक वर्ष के बाद आजम खान की याद आ रही है इसका मतलब यह है कि आजम खान अखिलेश यादव के जेहन से डिलीट हो चुके हैं. इस बात का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है जब प्रदेश में 7 विधानसभा के उपचुनाव हुए थे. उस समय भी स्टार प्रचारकों की सूची में आजम खान का नाम रखा गया था.
शाहनवाज आलम ने कहा कि विगत एक साल से ज्यादा समय से आजम खान जेल में हैं तो क्या अखिलेश यादव को इसकी जानकारी नहीं थी. या फिर मुस्लिमों को चिढ़ाने के लिए आजम खान को स्टार प्रचारकों की सूची में रखा गया था. ऐसे में जब चुनाव नजदीक आ रहा है तो फिर अखिलेश यादव को आजम खान याद आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी के आजम खान से पारिवारिक रिश्ते हैं, पर अखिलेश यादव को आजम खान की याद एक साल बाद आ रही है.
साइकिल चलाएं या पैदल चले नहीं मिलेगा फायदा
कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमैन शाहनवाज आलम का कहना है कि अब एक साल बाद अखिलेश यादव आजम खान के प्रति अपना प्यार दिखाने के लिए चाहे साइकिल चलाएं, पैदल चलें या फिर रेंग कर चलें इससे समाजवादी पार्टी को अब कोई फायदा नहीं मिलने वाला है. आजम के बहाने सियासी फायदा उठाने की कोशिश कर रही समाजवादी पार्टी.
वहीं समाजवादी पार्टी के आजम प्रेम पर राजनीतिक विश्लेषक राज बहादुर सिंह का कहना है कि आजम खान 2009 बाई इलेक्शन में भी समाजवादी पार्टी से अमर सिंह के कारण नाराज हुए थे और यही कारण है कि फिरोजाबाद में हुए बाई ईलेक्शन में अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव चुनाव हार गई थी.
जब 2012 में मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाया उस समय भी अखिलेश यादव आजम खान से सशंकित रहते थे और आजम के किसी मामले पर वह उन्हें रोक नहीं पाते थे. अब ऐसे में 2022 का विधानसभा चुनाव नजदीक है और आजम को विक्टिम कार्ड बनाकर मुस्लिम मतों के जज्बातों को झकझोरने की कोशिश समाजवादी पार्टी कर रही हैं. व्यक्ति के बजाय पूरी कौम से जोड़कर इसे दिखाना चाहती हैं और निश्चित रूप से समाजवादी पार्टी आजम खान के बहाने सियासी फायदा उठाने की कोशिश कर रही हैं.
20 प्रतिशत है वोटरों की संख्या
उत्तर प्रदेश में यदि मुस्लिम वोटरों की संख्या पर बात की जाए तो पूरी आबादी का 20 प्रतिशत है और प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों की बात की जाए तो लगभग 110 सीटें ऐसी हैं जिसमें मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं. इसमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, कैराना, रामपुर के साथ-साथ देवरिया, सिद्धार्थनगर, श्रावस्ती, आजमगढ़, अमरोहा ऐसे जनपद है जहां पर मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
समाजवादी पार्टी के पास 16 मुस्लिम विधायक
2017 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के 49 विधायक जीते थे. जिसमें से हाल ही में समाजवादी पार्टी ने फिरोजाबाद की सिरसागंज से विधायक हरिओम यादव को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कारण 6 वर्ष के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया. साथ ही समाजवादी पार्टी में मुस्लिम विधायकों की संख्या 16 है. ऐसे में समाजवादी पार्टी आजम के बहाने पूरी कौम को साधने की कोशिश कर रही है.
बताते चलें कि मौलाना मोहम्मद जौहर यूनिवर्सिटी सहित कई मामलों को लेकर मोहम्मद आजम खान पर जिला प्रशासन ने कई मुकदमें दर्ज किए हैं और विगत एक वर्ष से आजम खान जेल में बंद हैं. वहीं पंचायत चुनाव करीब है और विधानसभा के चुनाव होने में भी एक वर्ष से कम का समय बचा हुआ है तो ऐसे में अखिलेश यादव का आजम प्रेम एक बार फिर से जाग उठा है.