लखनऊ: वामपंथी नेताओं ने बयान जारी करते हुए कहा कि कोरोना महामारी को हराने के लिये लॉकडाउन से भी ज्यादा जरूरी है कि बड़े पैमाने पर जांच कराई जाए. संक्रमित पाये गए लोगों का सही इलाज कराया जाए और उन्हें इलाज के दौरान अलग रखा जाए. सीपीआईएम के सचिव हीरालाल यादव, सीपीआई के सचिव गिरीश शर्मा, भाकपा माले के प्रदेश सचिव सुधाकर यादव और फारवर्ड ब्लॉक के महामंत्री अभिनव कुशवाहा ने अफसोस जताया कि उत्तर प्रदेश में इस प्रक्रिया को ठीक से अंजाम नहीं दिया जा रहा.
इन नेताओं का कहना है कि कोरोना से जूझ रहे योद्धाओं- डाक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ के पास जरूरी उपकरण और पीपीई किट उपलब्ध नहीं हैं. इस महामारी को हराने के लिए हम सब अपने स्तर पर जुटे हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार इस लड़ाई को साझा लड़ाई बनाने को तैयार नहीं है. इस नाजुक दौर में भी सांप्रदायिक नफरत की मुहिम चलाई जा रही है.
बीजेपी विपक्षी दलों को बना रही पंगु
नेताओं ने बयान में कहा कि सरकार भाजपा और संघ परिवार की गतिविधियों को जारी रखते हुये विपक्ष की गतिविधियों को पंगु बनाए रखना चाहती है. वाम दल मांग करते हैं कि जनता की आजीविका और जीवनयापन के उपादानों की भरपाई प्राथमिकता के आधार पर की जाए. सभी को बीमा संरक्षण की व्यवस्था की जाए. सभी को कम से कम 35 किलो राशन और अन्य जरूरी चीजें निशुल्क तत्काल उपलब्ध कराई जाएं. ऐसे गरीबों की कुछ क्षेत्रों में सूचियां बनाई गयी हैं, लेकिन उन्हें राशन अभी तक उपलब्ध नहीं कराया गया. सभी गरीबों, पंजीकृत, अपंजीकृत, दिहाड़ी मजदूरों, खेत मजदूरों, मनरेगा मजदूरों आदि के खाते में कम से कम 7500 रुपये तत्काल ट्रांसफर किए जाएं. मनरेगा का भुगतान कराया जाये और काम को चालू कराया जाये. संगठित असंगठित सभी क्षेत्र के मजदूरों को नौकरियों और वेतन की सुरक्षा दी जाए.
किसानों के नुकसान के लिए सरकार जिम्मेदार
वामदलों के नेताओं का कहना है कि गेहूं की सरकारी खरीद देर से शुरू किए जाने के कारण बहुत से किसानों को समर्थन मूल्य से कम कीमतें मिली हैं. अभी भी सरकारी क्रय केन्द्र समुचित रूप से काम नहीं कर रहे हैं. लॉकडाउन में आवाम की क्रय क्षमता घटने के कारण किसानों को फल-सब्जियां सस्ती बेचनी पड़ रही हैं. किसानों के सभी उत्पादों को समुचित मूल्यों पर खरीदे जाने की व्यवस्था की जानी चाहिए. प्राकृतिक और कोरोना की आपदाओं को देखते हुये किसान सम्मान निधि 12 हजार रुपए वार्षिक की जाए.