लखनऊः कोरोना संक्रमित मरीज जरूरत के समय जब सीएमओ को फोन करते हैं तो वह फोन नहीं उठाते. वहीं, एसीएमओ के मोबाइल नंबर पर संपर्क नहीं होने से मरीज घंटों परेशान होते हैं. जबकि डीएम ने कहा है कि कोविड कमांड एंव कंट्रोल सेंटर के चिकित्सीयक अंतिम निर्णय सीएमओ व एसीएमओ का होगा. इस स्थिति में ज्यादातर तीमारदार और मरीज सीएमओ को फोन लगाते हैं. लेकिन सीएमओ का फोन नही उठता. अगर कभी उठा भी लेते हैं तो बिना बात सुने मीटिंग में हूं कहकर फोन काट देते हैं. हकीकत जानने के लिए ETV BHARAT ने भी सीएमओ को कई बार फोन किया लेकिन फोन रिसीव नहीं हुआ.
केस-1
अलीगंज निवासी शैलेन्द्र गुप्ता ने बताया कि उन्हें और उनके परिवार के सभी सदस्यों को पिछले चार दिनों से बुखार है और कोरोना के सभी लक्षण हैं. उन्होंने कई बार कोविड कमांड सेंटर पर फोन किया. जहां से इंतजार करने को कहा गया. दो दिन लगातार इंतजार करने के बाद सीएमओ और एसीएमओ को फोन किया, लेकिन फोन नहीं उठा.
केस -2
राजाजीपुरम निवासी नेहा त्रिपाठी ने बताया कि बीते कुछ दिनों से बुखार आ रहा है. घर पर मम्मी-पापा और छोटा भाई भी बुखार से पीड़ित है. पहले तो कंमाड सेंटर फोन कर जानकारी दी. लेकिन जब वहां से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला तो स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को कॉल करना शुरू किया. अखबार में प्रशासन द्वारा जारी किए गए नंबर पर फोन कर कुछ जानकारी ली. जिससे खुद ही डॉ. बनकर इलाज घर पर कर रहे हैं. सीएमओ को फोन किया लेकिन सीएमओ का कॉल व्यस्त गया. कई बार रिंग गई फिर भी फोन उठा नहीं.
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होम आइसोलेशन की जिम्मेदारी इन्हें मिली
होम आइसोलेशन की व्यवस्था की जिले की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व विपिन मिश्रा व अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. के पी त्रिपाठी को नोडल अधिकारी बनाकर सौंपी गई है. टेस्टिंग, स्क्रीनिंग व डोर टू डोर सर्विलांस के लिए जनपद स्तरीय प्रभारी नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी के साथ सह प्रभारी अपर जिलाधिकारी नगर पूर्वी केपी सिंह व अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एनके सिंह को बनाया गया है. एंबुलेंस मैनेजमेंट का कार्य अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अनूप कुमार श्रीवास्तव के साथ उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. केडी मिश्रा व डीपीएम सतीश कुमार यादव द्वारा समन्वय से संपन्न कराया जाएगा. हॉस्पिटल बेड मैनेजमेंट के प्रभारी अपर जिला अधकारी मनीष कुमार नाहर व अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. ए राजा बने. इसके अलावा कई अन्य अधिकारियों को अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं. बावजूद इसके जिम्मेदार अधिकारी न तो फोन उठाते हैं और न किसी की मदद करते हैं.