लखनऊ: वीर सावरकर की जयंती पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रत्येक राष्ट्र नायक का कांग्रेस ने समय-समय पर अपमान किया वह चाहे वीर सावरकर हों, सुभाष चंद्र बोस या फिर डॉक्टर भीमराव आंबेडकर हों. आजादी के अमृत महोत्सव के वर्ष में कांग्रेस को उसके कृत्यों की सजा मिली. देश के साथ गद्दारी करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को ऐसी ही सजा मिलेगी. वह इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में शनिवार शाम को केंद्रीय सूचना आयुक्त उदय माहुरकर की पुस्तक वीर सावरकर के विमोचन के मौके पर बोल रहे थे.
सीएम योगी बोले, विश्वविद्यालयों में सावरकर पर शोध होना चाहिए. जो उन पर प्रश्न उठाते हैं उनको लज्जा नहीं आती, उनको शर्म नहीं आती. आज भी सावरकर की प्रासंगिकता पहले से ज्यादा है. अगर कोई व्यक्ति 50 साल बाद श्रद्धा से याद किया जाता है तो वह सामान्य नहीं होगा. बाबा गुरु दिग्विजय नाथ 1921 मे कांग्रेस के साथ थे. इसके बाद उन्होंने कांग्रेस से नाता तोड़ लिया था. वे हिंदू महासभा में यूनाइटेड प्राविंस के अध्यक्ष बन गए थे. इसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे.
सीएम ने कहा कि वीर सावरकर भारत का विभाजन रोक सकते थे. जब सावरकर की बात होती है तो उनकी प्रतिभा को छिपाने का प्रयास पहले अंग्रेजों ने किया और उसके बाद जिनको सत्ता मिली उन्होंने किया. उनसे बड़ा क्रांतिकारी, कवि और दार्शनिक कोई नहीं था. एक ही जन्म मे दो आजीवन कारावास. जेल की एक छोटी सी कोठरी मे दीवारों पर नाखून और बरतन से लिखावट की. मैं उस कोठरी में गया था. अंग्रेज उनसे भयभीत रहते थे. जहां फांसी दी गई उसके सामने उन्हें कोठरी मे रखा गया था. सावरकर की पैतृक संपत्ति उनको नहीं वापस की गई थी.
उन्होंने कहा था कि हमारी लड़ाई एक चौथाई भारत को वापस लेने की है. हिन्दुत्व शब्द सावरकर की देन है. उन्होंने हिन्दू की परिभाषा भी दी थी. दुर्भाग्य से सत्ता लोलुप लोगों ने सावरकर की तुलना जिन्ना से की. उन्होंने इसका खंडन किया था. उन्होंने कहा था कि जिन्ना की दृष्टि संकीर्ण थी. उन्होंने कहा था कि हर धर्म पर एक ही कानून लागू किया जाए. उन्होंने अपने मुद्दो और आदर्शो से कोई समझौता नहीं किया था. अगर सावरकर की बात कांग्रेस ने मानी होती तो विभाजन नहीं होता. सावरकर ने कहा था पाकिस्तान आएंगे-जाएंगे मगर हिन्दुस्तान हमेशा रहेगा. नेशन फर्स्ट को अपनाना होगा. अगले 25 साल के विजन स्पष्ट होने चाहिए. हमने नेशन फर्स्ट को अपनाया होता तो 1962 और 1965 के युद्ध के परिणाम कुछ और होते. कहा कि 1857 को सैनिक विद्रोह कहा गया. उन्होंने कहा था कि य़ह प्रथम स्वतंत्रता संग्राम था.
लोग कहते थे कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्त नहीं हो सकती मगर आज हो गई. सावरकर का हिन्दुत्व सभी के लिए एक था. सह लेखक चिरायु पंडित ने कहा कि 1857 से 1947 तक जो स्वतंत्रता आंदोलन था वैसा ही राम मंदिर आंदोलन था. पत्थर चूर-चूर कर दिया जाए तब भी इतिहास नहीं मरता. जहां मूर्ति तोड़ने वालों के हाथ न पहुंच पाएंगे वहां इतिहास होता है. य़ह युग सावरकर युग है.
लेखक उदय माहुरकर के प्रकाशकों को वामपंथियों ने घेरा हुआ था. प्रभात प्रकाशन ने बड़ा काम किया है. योगी जी के दादा गुरु महंत दिग्विजय नाथ भी सावरकर के साथ थे. वे कांग्रेस में थे मगर मुस्लिम तुष्टीकरण की वज़ह से वे हिंदू महासभा के अध्यक्ष बने थे. कांग्रेस ने देश का नुकसान किया. कहा कि अगर महात्मा गांधी राष्ट्रपिता थे तो सावरकर राष्ट्रीय सुरक्षा नीति के पितामह थे. सावरकर के समय मोहम्मद इकबाल ने मुसलमानों के लिए अलग राष्ट्र की मांग की थी. पाकिस्तान का नाम 1932 मे मोहम्मद अली चौधरी ने दिया था. सावरकर ने कई बार कांग्रेस को चेतावनी दी थी कि इस रास्ते पर विभाजन होगा और य़ही हुआ.
कहा कि 1948 मे सावरकर ने कहा था कि देश परमाणु शक्ति बन जाएं. उन्होंने नेहरू के पंचशील पर कहा था कि आपका नियम माला के मनके हैं मगर चीन का पंचशील बंदूक और बम है. 1965 के युद्ध में हम लाहौर से 13 किमी दूर थे और ताशकंद में जीती जमीन वापस की.
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