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सीएम योगी ने कहा, प्रदेश में स्थापित होगा आपदा राहत प्रशिक्षण केंद्र

राजधानी में मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समीक्षा कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि 'बरसात के मौसम में आकाशीय बिजली, वज्रपात के कारण होने वाली ऐसी जनहानि को न्यूनतम करना एक बड़ी चुनौती है.'

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Published : Jul 26, 2023, 1:45 PM IST

लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को राष्ट्रीय आपदा मोचक बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा मोचक बल (एसडीआरएफ) के बीच परस्पर समन्वय के साथ प्रदेश में आपदा प्रबंधन के कार्यों को और प्रभावी बनाने के लिए जारी प्रयासों की समीक्षा कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि 'आपदाकाल में राहत कार्यों के लिए योग्य एवं कुशल कार्मिकों की उपलब्धता प्राथमिक आवश्यकता है, जितने दक्ष कार्मिक होंगे, राहत कार्य उतना ही अधिक प्रभावी होगा. ऐसे में प्रदेश में आपदा प्रबंधन कार्य मे संलग्न कार्मिकों के बेहतर प्रशिक्षण के लिए एक सेंटर स्थापित किया जाना आवश्यक है. इस संबंध में आवश्यक कार्यवाही की जाए, इस कार्य मे एनडीआरएफ से भी सहयोग लिया जाना चाहिए.'


मुख्यमंत्री ने कहा कि 'बरसात के मौसम में आकाशीय बिजली, वज्रपात के कारण होने वाली ऐसी जनहानि को न्यूनतम करना एक बड़ी चुनौती है. 2022-23 में 52 जनपदों में 301 लोगों की असमय मृत्यु हुई, जबकि 2023-24 में अब तक 36 जिलों में 174 जनहानि की दुःखद सूचना मिली है. इसके हर हाल में रोकना होगा और तकनीक की मदद से ऐसा किया जा सकता है. इस दिशा में बिना विलंब प्रभावी प्रयास किया जाए. सीएम ने कहा कि आगामी तीन माह के भीतर सभी 75 जिलों में अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाएं. आज तकनीक इतनी बेहतर हो चुकी है कि आकाशीय बिजली गिरने के तीन से चार घंटे पहले पता लगाया जा सकता है, जबकि एक घंटे पूर्व सटीक स्थान की जानकारी मिल सकती है. यदि समय से लोगों को जानकारी मिल जाएगी तो जन-धन की हानि नहीं होगी. भारत सरकार द्वारा विकसित कराए गए दामिनी एप, मेघदूत जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म का भी अधिकाधिक प्रचार-प्रसार किया जाए. उन्होंने कहा कि सभी जनपदों में इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर स्थापित किए गए हैं. इन्हें सेफ सिटी के अंतर्गत आईसीसीसी से इंटीग्रेट किया जाना चाहिए. सभी ग्राम पंचायतों और नगरीय निकायों में क्रियाशील पब्लिक एड्रेस सिस्टम को स्थापित कराएं, इन्हें अर्ली वार्निंग सिस्टम से जोड़ा जाए.'


मुख्यमंत्री ने कहा कि 'आपदाकाल में एनडीआरएफ व एसडीआरएफ के कार्मिकों ने सेवा और दक्षता का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है. लखनऊ में एनडीआरएफ मुख्यालय भवन क्रियाशील है. बरेली और झांसी में एनडीआरएफ के रीजनल रिस्पॉन्स सेंटर की स्थापना की जानी है. इसके लिए आवश्यक भूमि उपलब्ध कराई जाए. उन्होंने कहा कि आपदाकाल में आपदा मित्रों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है. उत्तर प्रदेश सर्वाधिक आपदा मित्रों वाला राज्य है. जिन जिलों में अभी तक इनकी तैनाती नहीं है, वहां तत्काल किया जाए. इनके प्रशिक्षण की कार्यवाही भी तेजी से पूरी की जाए.'

यह भी पढ़ें : बीमारी से बचाने के लिए यूपी में 98.4 फीसदी बच्चों का टीकाकरण हुआ

लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को राष्ट्रीय आपदा मोचक बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा मोचक बल (एसडीआरएफ) के बीच परस्पर समन्वय के साथ प्रदेश में आपदा प्रबंधन के कार्यों को और प्रभावी बनाने के लिए जारी प्रयासों की समीक्षा कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि 'आपदाकाल में राहत कार्यों के लिए योग्य एवं कुशल कार्मिकों की उपलब्धता प्राथमिक आवश्यकता है, जितने दक्ष कार्मिक होंगे, राहत कार्य उतना ही अधिक प्रभावी होगा. ऐसे में प्रदेश में आपदा प्रबंधन कार्य मे संलग्न कार्मिकों के बेहतर प्रशिक्षण के लिए एक सेंटर स्थापित किया जाना आवश्यक है. इस संबंध में आवश्यक कार्यवाही की जाए, इस कार्य मे एनडीआरएफ से भी सहयोग लिया जाना चाहिए.'


मुख्यमंत्री ने कहा कि 'बरसात के मौसम में आकाशीय बिजली, वज्रपात के कारण होने वाली ऐसी जनहानि को न्यूनतम करना एक बड़ी चुनौती है. 2022-23 में 52 जनपदों में 301 लोगों की असमय मृत्यु हुई, जबकि 2023-24 में अब तक 36 जिलों में 174 जनहानि की दुःखद सूचना मिली है. इसके हर हाल में रोकना होगा और तकनीक की मदद से ऐसा किया जा सकता है. इस दिशा में बिना विलंब प्रभावी प्रयास किया जाए. सीएम ने कहा कि आगामी तीन माह के भीतर सभी 75 जिलों में अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाएं. आज तकनीक इतनी बेहतर हो चुकी है कि आकाशीय बिजली गिरने के तीन से चार घंटे पहले पता लगाया जा सकता है, जबकि एक घंटे पूर्व सटीक स्थान की जानकारी मिल सकती है. यदि समय से लोगों को जानकारी मिल जाएगी तो जन-धन की हानि नहीं होगी. भारत सरकार द्वारा विकसित कराए गए दामिनी एप, मेघदूत जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म का भी अधिकाधिक प्रचार-प्रसार किया जाए. उन्होंने कहा कि सभी जनपदों में इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर स्थापित किए गए हैं. इन्हें सेफ सिटी के अंतर्गत आईसीसीसी से इंटीग्रेट किया जाना चाहिए. सभी ग्राम पंचायतों और नगरीय निकायों में क्रियाशील पब्लिक एड्रेस सिस्टम को स्थापित कराएं, इन्हें अर्ली वार्निंग सिस्टम से जोड़ा जाए.'


मुख्यमंत्री ने कहा कि 'आपदाकाल में एनडीआरएफ व एसडीआरएफ के कार्मिकों ने सेवा और दक्षता का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है. लखनऊ में एनडीआरएफ मुख्यालय भवन क्रियाशील है. बरेली और झांसी में एनडीआरएफ के रीजनल रिस्पॉन्स सेंटर की स्थापना की जानी है. इसके लिए आवश्यक भूमि उपलब्ध कराई जाए. उन्होंने कहा कि आपदाकाल में आपदा मित्रों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है. उत्तर प्रदेश सर्वाधिक आपदा मित्रों वाला राज्य है. जिन जिलों में अभी तक इनकी तैनाती नहीं है, वहां तत्काल किया जाए. इनके प्रशिक्षण की कार्यवाही भी तेजी से पूरी की जाए.'

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