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लखनऊ: राज्य खाद्य आयोग के अध्यक्ष व सदस्य के अधिकार सीज - state food commission

भ्रष्टाचार के प्रकरण में जीरो टॉलरेंस नीति के अनुरूप सीएम योगी ने बड़ा फैसला लिया है. सीएम योगी ने राज्य खाद्य आयोग के अध्यक्ष व सदस्य के अधिकार सीज करने के आदेश दिए हैं. बता दें कि दोनों पदाधिकारियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच चल रही है. जांच रिपोर्ट आने तक ये लोग पदाधिकारी के रूप में अधिकारों का प्रयोग नहीं कर सकेंगे.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
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Published : Oct 14, 2020, 9:23 AM IST

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश राज्य खाद्य आयोग के अध्यक्ष नदं किशोर यादव एवं सदस्य डॉ. इस्माइल खां को आयोग के अध्यक्ष/सदस्य के रूप में प्राप्त समस्त शक्तियां एवं वाहन सुविधा को तात्कालिक प्रभाव से स्थगित करने का आदेश दिया है. मंगलवार की रात मुख्यमंत्री कार्यालय ने ट्वीट कर यह जानकारी दी है.

  • CM श्री @myogiadityanath जी ने उ.प्र.राज्य खाद्य आयोग के अध्यक्ष व एक सदस्य के विरुद्ध प्रचलित जांच के निष्पक्ष संपादन हेतु दोनों पदाधिकारियों को आयोग के अध्यक्ष/सदस्य के रूप में प्राप्त समस्त शक्तियां एवं वाहन सुविधा को तात्कालिक प्रभाव से स्थगित करने का आदेश दिया है।

    — CM Office, GoUP (@CMOfficeUP) October 13, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह निर्णय, उक्त दोनों पदाधिकारियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार एवं दायित्व निर्वहन में अनियमितता की शिकायतों के संबंध में चल रही जांच के निष्पक्ष रूप से पूर्ण होने के उद्देश्य से लिया है. जांच रिपोर्ट आने तक दोनों पदाधिकारियों की शक्तियां स्थगित रहेंगी.

उल्लेखनीय है कि दोनों पदाधिकारियों के विरुद्ध राज्य सरकार को विभिन्न स्तर से ऐसी शिकायतें प्राप्त हुईं थी कि आयोग के विभिन्न पदाधिकारियों द्वारा नियमविरुद्ध ढंग से नियुक्तियां की गईं. इसके अलावा अध्यक्ष की पात्रता न होने के बाद भी पूर्ववर्ती सरकार द्वारा उनकी नियुक्ति किये जाने सहित पदाधिकारियों के आचरण एवं कार्य व्यवहार के अनुचित होने को लेकर आरोप लगाए गए थे.

आरोपितों में पूर्व सदस्य डॉ. दिनेश चंद्र मिश्र का भी नाम है. हालांकि अब वह सेवानिवृत्त हो चुके हैं. प्रश्नगत जांच की कार्यवाही संपन्न करने के लिए मुख्य न्यायाधीश द्वारा न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा को इन्क्वायरी जज नामित किया जा चुका है. वहीं जांच प्रक्रिया जारी है.

भ्रष्टाचार के प्रकरण में जीरो टॉलरेंस नीति के अनुरूप मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह निर्णय लिया. दोनों पदाधिकारियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच चल रही है. जांच रिपोर्ट आने तक ये लोग पदाधिकारी के रूप में अधिकारों का प्रयोग नहीं कर सकेंगे.

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश राज्य खाद्य आयोग के अध्यक्ष नदं किशोर यादव एवं सदस्य डॉ. इस्माइल खां को आयोग के अध्यक्ष/सदस्य के रूप में प्राप्त समस्त शक्तियां एवं वाहन सुविधा को तात्कालिक प्रभाव से स्थगित करने का आदेश दिया है. मंगलवार की रात मुख्यमंत्री कार्यालय ने ट्वीट कर यह जानकारी दी है.

  • CM श्री @myogiadityanath जी ने उ.प्र.राज्य खाद्य आयोग के अध्यक्ष व एक सदस्य के विरुद्ध प्रचलित जांच के निष्पक्ष संपादन हेतु दोनों पदाधिकारियों को आयोग के अध्यक्ष/सदस्य के रूप में प्राप्त समस्त शक्तियां एवं वाहन सुविधा को तात्कालिक प्रभाव से स्थगित करने का आदेश दिया है।

    — CM Office, GoUP (@CMOfficeUP) October 13, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह निर्णय, उक्त दोनों पदाधिकारियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार एवं दायित्व निर्वहन में अनियमितता की शिकायतों के संबंध में चल रही जांच के निष्पक्ष रूप से पूर्ण होने के उद्देश्य से लिया है. जांच रिपोर्ट आने तक दोनों पदाधिकारियों की शक्तियां स्थगित रहेंगी.

उल्लेखनीय है कि दोनों पदाधिकारियों के विरुद्ध राज्य सरकार को विभिन्न स्तर से ऐसी शिकायतें प्राप्त हुईं थी कि आयोग के विभिन्न पदाधिकारियों द्वारा नियमविरुद्ध ढंग से नियुक्तियां की गईं. इसके अलावा अध्यक्ष की पात्रता न होने के बाद भी पूर्ववर्ती सरकार द्वारा उनकी नियुक्ति किये जाने सहित पदाधिकारियों के आचरण एवं कार्य व्यवहार के अनुचित होने को लेकर आरोप लगाए गए थे.

आरोपितों में पूर्व सदस्य डॉ. दिनेश चंद्र मिश्र का भी नाम है. हालांकि अब वह सेवानिवृत्त हो चुके हैं. प्रश्नगत जांच की कार्यवाही संपन्न करने के लिए मुख्य न्यायाधीश द्वारा न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा को इन्क्वायरी जज नामित किया जा चुका है. वहीं जांच प्रक्रिया जारी है.

भ्रष्टाचार के प्रकरण में जीरो टॉलरेंस नीति के अनुरूप मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह निर्णय लिया. दोनों पदाधिकारियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच चल रही है. जांच रिपोर्ट आने तक ये लोग पदाधिकारी के रूप में अधिकारों का प्रयोग नहीं कर सकेंगे.

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