लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath instructions) ने प्रदेश में सड़कों की गड्ढा मुक्ति (Uttar Pradesh crater free) के लिए बड़ा अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं. गुरुवार को उच्चस्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री ने इस संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश दिए. बैठक में मुख्यमंत्री ने राजधानी लखनऊ में आगामी 08 अक्टूबर से आयोजित भारतीय सड़क कांग्रेस के 81वें अधिवेशन (Indian Road Congress 81st Session) की तैयारियों की समीक्षा भी की.
बैठक में मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए प्रमुख दिशा-निर्देश
● बेहतर कनेक्टिविटी प्रगति का माध्यम होती हैं. प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में विगत 05 वर्ष में इस क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य हुआ है. आज सुदूर गांवों तक अच्छी सड़कों की कनेक्टिविटी है. बॉर्डर एरिया तक बेहतरीन सड़कों का संजाल है. इसका सीधा लाभ प्रदेशवासियों को मिल रहा है.
● सड़क निर्माण के साथ-साथ उसके रखरखाव का भी पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए. समय-समय पर सड़कों की मरम्मत किया जाना भी जरूरी होता है. बरसात का मौसम अंतिम चरण में है. ऐसे में सड़कों की मरम्मत और गड्ढामुक्ति का कार्य किया जा सकता है. पीडब्ल्यूडी, नगर विकास, सिंचाई, आवास एवं शहरी नियोजन, ग्राम्य विकास, ग्रामीण अभियंत्रण, गन्ना विकास विभाग, औद्योगिक विकास विभाग सहित सड़क निर्माण से जुड़े सभी विभाग इस संबंध में व्यापक कार्ययोजना तैयार करें. औद्योगिक क्षेत्रों और कृषि मंडी क्षेत्रों में अच्छी सड़कों का होना आवश्यक है. इस पर विशेष ध्यान दिया जाए. गड्ढामुक्ति का यह अभियान 15 नवम्बर तक पूर्ण कर लिया जाना चाहिए.
● कोई व्यक्ति गांव में रहता हो या फिर मेट्रो सिटी में, अच्छी सड़कें, बेहतर कनेक्टिविटी उसका अधिकार है. ऐसे में सड़क सिंगल लेन की हो अथवा दो, चार या छह लेन की, उसकी गुणवत्ता अच्छी होनी चाहिए. यह सुनिश्चित किया जाए कि सड़क निर्माण की परियोजनाएं समय पर पूरी हो. समय-समय पर इनके गुणवत्ता की जांच की जाए. लापरवाही अथवा अधोमानक सड़कों के मामलों में जीरो टॉलरेंस की नीति के साथ जवाबदेही तय की जाए.
● सड़क निर्माण में निजी क्षेत्र के निवेशकों का सहयोग लिया जाना चाहिए. उत्तर प्रदेश राज्य राजमार्ग प्राधिकरण (उपशा) पीपीपी मोड पर अच्छी गुणवत्तापरक सड़कों के निर्माण की कार्ययोजना तैयार करे.
● उत्तर प्रदेश की मेजबानी में आगामी 08 अक्टूबर से आयोजित भारतीय सड़क कांग्रेस (आईआरसी) के 81वें अधिवेशन में भारत सरकार के माननीय मंत्रीगणों की उपस्थिति होगी. इसके अतिरिक्त, सड़क निर्माण से जुड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं/कंपनियों के 1500 प्रतिनिधि भाग लेने वाले हैं. यह अधिवेशन सभी डेलीगेट्स के लिए अविस्मरणीय हो, इस भाव के साथ सभी तैयारियां समय से पूरी कर ली जाएं.
● विगत 05 वर्ष में प्रदेश में सड़क निर्माण की तकनीक सुधार की दिशा में अभिनव कार्य हुए हैं. बॉर्डर कनेक्टिविटी के क्षेत्र में प्रदेश ने एक मॉडल प्रस्तुत किया है. ग्रामीण अभियंत्रण विभाग ने एफडीआर तकनीक आधारित सड़क तैयार कर न केवल सड़क की गुणवत्ता को बेहतर किया, बल्कि लागत को भी कम किया है. फुल डेप्थ रेक्लेमेशन तकनीक यानी एफडीआर के जरिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत निर्माण कार्य कराया जा रहा है. आज भारत सरकार ने कई राज्यों को हमारे इस प्रयास मॉडल से सीखने-जानने को भेजा है. प्लास्टिक वेस्ट से सड़कें बन रही हैं. आईआरसी में हमें प्रदेश के ऐसे नवाचारों से डेलीगेट्स को परिचित कराना चाहिए.
● कोविड की चुनौतियों के बावजूद भी हमने रिकॉर्ड समय में पूरी गुणवत्ता के साथ बिना किसी विवाद के पूर्वांचल एक्सप्रेसवे और बुन्देलखंड एक्सप्रेस-वे के रूप में विश्वस्तरीय कनेक्टिविटी तैयार की है. डेलीगेट्स को इनका फील्ड विजिट भी कराया जाना चाहिए.
● आईआरसी अधिवेशन में देश-दुनिया की नवीनतम तकनीकों पर विमर्श होगा. यह हमारे इंजीनियरिंग के छात्रों के लिए अत्यंत उपयोगी होगा. ऐसे में विभिन्न इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संस्थान के छात्र-छात्राओं को भी सहभागी बनाया जाए. इस संबंध में कॉलेजों को समय से संवाद बना लिया जाए.
● भारतीय सड़क कांग्रेस में प्रतिभाग करने वाले डेलीगेट्स की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम के साथ ही, आयोजन को बेहतर आतिथ्य एवं सत्कार के उत्कृष्ट उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए. भारतीय संगीत की प्राचीनतम विरासत हरिहरपुर घराने के कलाकारों को प्रस्तुति के लिए आमंत्रित करें. यह घराना शास्त्रीय गायन, वादन और नृत्य यानी तीनों विधाओं से संबद्ध है. हमें डेलीगेट्स को अपनी इस अमूल्य सांस्कृतिक विरासत से परिचय जरूर कराना चाहिए.
● 2017 से पहले तक मात्र 01 एक्सप्रेस-वे वाले प्रदेश में आज 06 एक्सप्रेस-वे हैं. राष्ट्रीय राजमार्ग भी 05 वर्ष पहले की तुलना में लगभग दोगुने हो गए हैं. बॉर्डर एरिया में शानदार कनेक्टिविटी है. भविष्य की जरूरत को देखते हुए प्रदेश के विभिन्न राज्य राजमार्गों के चौड़ीकरण और सुदृढ़ीकरण की जरूरत है. ऐसे में मार्गों का चिन्हीकरण करते हुए इनके राष्ट्रीय राजमार्ग के रूप में उच्चीकरण और चौड़ीकरण के संबंध में आवश्यक प्रस्ताव तैयार कर भारत सरकार को भेजा जाना चाहिए.
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