लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को उच्चस्तरीय बैठक में प्रदेश में बॉयो फ्यूल उत्पादन को बढ़ावा देने की जरूरत पर जोर देते हुए जैव ऊर्जा नीति तैयार करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की मंशा के अनुरूप कम्प्रेस्ड बायोगैस, बायोकोल, एथेनॉल और बायो डीजल जैसे जैव ऊर्जा प्रकल्पों को प्रोत्साहन के हमारे प्रयासों के सकारात्मक परिणाम देखने की मिले हैं. अब तक बॉयोकोल की 02 इकाइयों में उत्पादन भी शुरू हो चुका है और कम्प्रेस्ड बायोगैस की 01 इकाई विगत जून माह ने पूर्ण हो चुकी है.
सीएम ने कहा कि भविष्य की जरूरतों के लिए हमें बॉयोमास सप्लाई चेन का विकास करना होगा. ऊर्जा और परिवहन के क्षेत्र में जैव ईंधन के उपयोग को बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है. विद्युत उत्पादन गृहों में बायोमास पैलेट्स के उपयोग किया जाना चाहिए. इस दिशा में ठोस प्रयास किए जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि बॉयो फ्यूल को बढ़ावा देना कच्चे तेल पर निर्भरता को कम करने और स्वच्छ वातावरण को बढ़ावा देने में सहायक होगा. बॉयो फ्यूल न केवल हमारी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मददगार होगा, बल्कि अतिरिक्त आय और रोज़गार सृजन में भी सहायक होगा. बॉयो फ्यूल के उपयोग से कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी. आज जबकि पूरी दुनिया इस विषय पर चिंतित है. ऐसे में उत्तर प्रदेश के पास एक मॉडल प्रस्तुत करने का सुअवसर है. अपार संभावनाओं से भरे इस क्षेत्र में उत्तर प्रदेश को अग्रणी राज्य बनने के लिए नई जैव ऊर्जा नीति तैयार की जाए.
उन्होंने कहा कि आगामी 05 वर्षों में 500 टन सीबीजी प्रतिदिन कम्प्रेस्ड गैस उत्पादन के लक्ष्य को लेकर प्रयास करें. इस तरह प्रतिवर्ष 1.5 लाख टन उत्पादन का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकेगा. इसी प्रकार, बॉयोकोल, बॉयो डीजल और बॉयो एथेनॉल के लिए 2000-2000 टन प्रतिदिन के लक्ष्य को लेकर काम किया जाना चाहिए. इस क्षेत्र की निवेशकर्ता कंपनियों के लिए भूमि की सुलभ उपलब्धता, पूंजीगत उपादान सहित सभी जरूरी सहयोग उपलब्ध कराया जाएगा. नवीन जैव ऊर्जा नीति तैयार करते समय औद्योगिक जगत से परामर्श जरूर करें. निवेशकर्ता संस्थाओं/कंपनियों की जरूरतों को समझें. सभी पक्षों की राय लेते हुए व्यापक विमर्श के बाद नवीन नीति तैयार की जाए.
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उन्होंने कहा कि अन्नदाता किसानों द्वारा पराली जलाए जाने से पैदा हो रही पर्यावरणीय चुनौतियों के स्थायी समाधान के लिए हमें विशेष प्रयास करना होगा. नवीन नीति में इस विषय का ध्यान रखा जाए. सभी 75 जिले में न्यूनतम 01 बॉयो फ्यूल इकाई की स्थापना के लिए नियोजित प्रयास किए जाएं. यह कार्य प्राथमिकता के साथ हो. अगले चरण में इसे हर तहसील तक बढ़ाया जाना चाहिए. सीएम ने कहा कि बॉयो फ्यूल प्लांट की स्थापना और बॉयो मास भंडारण के लिए ग्राम समाज/राजस्व भूमि/चीनी मिल परिसर में खाली भूमि का उपयोग किया जाना चाहिए.
05 साल में 22,000 मेगावॉट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य
सौर ऊर्जा प्रकल्पों को बढ़ावा देने की जरूरत पर जोर देते हुए मुख्यमंत्री ने नई सौर ऊर्जा नीति तैयार करने के निर्देश दिए हैं. पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता और बढ़ती ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति के लिए गैर पारंपरिक ऊर्जा विकल्पों को प्रोत्साहन दिया जाना आवश्यक है. सौर ऊर्जा इस दृष्टि से अत्यंत उपयोगी माध्यम है. यद्यपि विगत वर्षों में इस दिशा में प्रयास हुए हैं, किंतु ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य के लिए हमें और नियोजित व तेज प्रयास करना होगा. प्रदेश में सौर ऊर्जा उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए ठोस प्रयास किया जाना आवश्यक है. पारंपरिक ऊर्जा विकल्पों पर अपनी निर्भरता हमें न्यूनतम करनी होगी. ऐसे में भविष्य की जरूरतों के दृष्टिगत नई सौर ऊर्जा नीति तैयार की जाए. हमारा लक्ष्य अगले 05 वर्ष में 22,000 मेगावॉट सोलर पॉवर उत्पादन का होना चाहिए.
सीएम योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश सरकार ने अयोध्या को 'मॉडल सोलर सिटी' के रूप में विकसित करने की महत्वपूर्ण योजना पर काम कर रही है. यह परियोजना अन्य शहरों के लिए मानक प्रस्तुत करेगी. इस सम्बंध में सभी जरूरी प्रयास समयबद्ध ढंग से किए जाएं. सौर ऊर्जा उत्पादन और भंडारण के क्षेत्र में निजी क्षेत्र के निवेश के लिए अनुकूल माहौल देना होगा. परियोजनाओं को समयबद्ध रूप से पूर्ण करने के लिए सिंगल विंडो प्रणाली लागू की जाए. सौर ऊर्जा क्षेत्र की निवेशकर्ता कंपनियों के लिए भूमि की सुलभ उपलब्धता, पूंजीगत उपादान सहित सभी जरूरी सहयोग उपलब्ध कराये जाएंगे. नवीन सौर ऊर्जा नीति तैयार करते समय औद्योगिक जगत से परामर्श जरूर करें. निवेशकर्ता संस्थाओं/कंपनियों की जरूरतों को समझें. सभी पक्षों की राय लेते हुए व्यापक विमर्श के बाद नवीन नीति तैयार की जाए.
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मुख्यमंत्री ने कहा कि भवनों की छत पर सौर ऊर्जा प्लांट लगाए जाने के लिए जनजागरूकता को बढ़ाना होगा. इस सम्बंध में जिलों में मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में एक सोलर सेल का गठन किया जाए. सभी सौर परियोजनाओं का पंजीकरण अनिवार्य किया जाए.- सभी शासकीय, आवासीय, सार्वजनिक क्षेत्र, निजी व्यावसायिक भवनों, शिक्षण संस्थानों में रूफटॉप सोलर पॉवर प्लांट लगाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जाए. वॉटर बॉडी पर भी सोलर प्लांट लगाया जाना चाहिए. इन्हें आवश्यकतानुसार नेट बिलिंग/नेट मीटरिंग की व्यवस्था से जोड़ा जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि कारागार में बंद कैदियों को सौर ऊर्जा उपकरण बनाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाए. सौर ऊर्जा पैनल, एलईडी बल्ब आदि बनाने के लिए इनका उपयोग किया जाना चाहिए. सोलर रूफटॉप मॉडल को अपनाने और लागू करने के लिए एमएसएमई और स्टार्टअप को बढ़ावा दिया जाना उपयोगी होगा.