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Child Care : बच्चों के साथ दोस्ताना रिश्ता बनाएं, उन्हें सिखाएं अच्छा और बुरा स्पर्श - बच्चों के साथ क्राइम

अब समय आ गया है कि माता-पिता को अपनी परवरिश में बदलाव लाने का. ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि आए दिन बच्चों के साथ दुष्कर्म के मामले सामने आ रहे हैं. अब समय है कि माता-पिता अपने बच्चों के साथ दोस्ताना रिश्ता बनाएं ताकि वह सारी बातें बिना डर और झिझक के बता सकें.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 14, 2023, 12:27 PM IST

जानकारी देतीं चाइल्ड लाइन अध्यक्ष संगीता शर्मा.

लखनऊ : आमतौर पर ऐसा होता है कि बच्चों के अभिभावक बड़ी ही जल्दी किसी पर विश्वास कर लेते हैं और कई बार यही रिश्तेदार व विश्वासपात्र व्यक्ति उन्हीं के विश्वास के सहारे उनकी बच्चियों का शोषण करते हैं. लखनऊ चाइल्ड लाइन में कई केस ऐसे आते हैं, जिसमें नाबालिग लड़की अपने ही रिश्तेदारों की शिकार हो जाती है. चाइल्ड लाइन अध्यक्ष संगीता शर्मा ने बताया कि लखनऊ से ही एक केस ऐसा सामने आया जिसे सुनकर हमारे होश उड़ गए. उन्होंने बताया कि इस तरह की कई केस चाइल्ड लाइन में आते हैं. साल 2022 में चाइल्ड लाइन में लगभग 1186 केस आए हैं. इसमें बहुत सारे केस नाबालिक लड़कियों के हैं जो किसी प्रकार से किसी रिश्तेदार या जानने पहचानने वाले लोग से प्रताड़ित हुई है.

बच्चों की परवरिश में ध्यान रखने योग्य बातें.
बच्चों की परवरिश में ध्यान रखने योग्य बातें.

किराएदार रखना पड़ा भारी : चाइल्ड लाइन अध्यक्ष संगीता शर्मा ने बताया कि हाल ही में एक केस लखनऊ का सामने आया था. आज के समय में हर कोई बिजनेस के हिसाब से अपना मकान बनाता है कि अपने घर को वह किराए पर उठा देंगे, लेकिन वह किराएदार कैसा होगा. इसके बारे में वह अंदाजा नहीं लगा सकते. 15 वर्ष बच्ची की मां ने किराएदार पर अंध विश्वास किया. नाबालिग बच्ची के पिता इस दुनिया में नहीं हैं. दो बहनें और मां के साथ में घर पर रहती थीं. एक किरायेदार उसके घर में रहता था उसने पहले नाबालिग बच्ची की बड़ी बहन को प्रपोज किया था, लेकिन उसने साफ इंकार किया. इसके बाद उस किराएदार लड़के ने नाबालिग लड़की को अपने जाल में फंसाया. जिस वक्त घर पर मां और बड़ी बेटी न रहती उस समय वह लड़का उसके साथ उसे बहला फुसलाकर जबरदस्ती किया करता था. दो साल से लड़का घर में किराए पर था. इस बात का खुलासा उस समय हुआ जब लड़की प्रेग्नेंट हो गई. इसके बाद उसकी बहन ने चाइल्ड लाइन में फोन करके जानकारी दी. इस जानकारी के बाद जो भी कानूनी कार्रवाई होती है. उसके तहत लड़की के ऊपर कार्रवाई चल रही है. इसके अलावा बच्चे का अबॉर्शन कराया गया. अबॉर्शन में पुलिस आनाकानी कर रही थी, लेकिन जब बच्चे की मां अबॉर्शन के लिए तैयार हो तो इसमें किसी को दिक्कत नहीं होनी चाहिए. इसके तहत चाइल्डलाइन ने पूरा सहयोग किया और बच्चे का सफल अबॉर्शन कराया गया. फिलहाल बच्ची इस समय ठीक है.

चाइल्ड लाइन अध्यक्ष संगीता शर्मा.
चाइल्ड लाइन अध्यक्ष संगीता शर्मा.


किसी पर न करें अत्यधिक भरोसा : संगीता शर्मा ने कहा कि मौजूदा समय में किसी के ऊपर भी भरोसा करने लायक नहीं है इसलिए जब भी आपकी बच्ची घर पर अकेली हो या आप किसी रिश्तेदार के साथ भेज रहे हो तो पहले उस रिश्तेदार के बारे में जांच परख ले. अगर बच्ची उनके साथ जाने में असहज महसूस न करें. तभी कहीं बाहर भेजें या फिर कोशिश करें कि खुद ही बच्चे को कहीं भी लेकर जाना हो लेकर जाए. चाइल्ड जितने भी केस नाबालिग बच्चियों के आते हैं ज्यादातर केस में ऐसा ही होता है कि कोई भरोसेमंद व्यक्ति ही इस तरह की हरकत करते है. बच्ची को डरा धमका देते हैं और कई केस में उन्हें मैनूप्लेट कर लेते हैं. इस समय किसी के ऊपर भरोसा नहीं किया जा सकता है.

बच्चों के साथ बनाएं दोस्ताना रिश्ता.
बच्चों के साथ बनाएं दोस्ताना रिश्ता.



स्कूलों में भी बच्चे नहीं सुरक्षित : संगीता शर्मा ने बताया कि कई सारे केस ऐसे आते हैं जो स्कूलों में होते हैं. कभी बच्चा अध्यापक से प्रताड़ित होता है तो कभी बच्चा किसी सीनियर से प्रताड़ित होता है. हाल ही में केस ऐसा हुआ था कि बच्चे को चोट लगने से बच्चे की मौत हो गई थी. यह चोट पुलिस के मुताबिक स्कूल में लगी थी, लेकिन स्कूल के लोग यह बताने के लिए तैयार नहीं थे कि दरअसल उस दिन हुआ क्या था. ऐसे में इस समय लड़का हो या लड़की सभी बच्चे किसी न किसी के द्वारा प्रताड़ित हो रहे हैं. माता-पिता को चाहिए कि बच्चे के स्कूल भी जाएं टीचरों से मिलें, उनके दोस्तों से मिलें. इसके अलावा बच्चों को भी चाहिए कि वह अपने माता-पिता से अपनी बातें शेयर करें.


डिप्रेशन का शिकार हो रहीं युवतियां : केजीएमयू के बाल मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. अनिल निश्छल ने बताया कि विभाग की ओपीडी में कई ऐसी लड़कियां आती हैं, जिनके साथ दुष्कर्म की कोशिश या उन्हीं के जान पहचान के लोग उनसे गलत तरीके से बात करते हैं. जिसकी वजह से वह डिप्रेशन में चली जाती हैं. क्योंकि वह अपनी बातें न तो अपने माता-पिता को बताती हैं और न ही किसी से शेयर करती हैं. इसके चलते लड़कियां गुमसुम हो जाती हैं. बातचीत करना बंद कर देती हैं. यहां तक की खाना खाना भी त्याग देती हैं. उनका किसी काम में मन नहीं लगता है. पढ़ाई में भी ध्यान नहीं लग पाती हैं. बहुत सारे ऐसे लक्षण होते हैं. जिन्हें देखकर माता-पिता समझते हैं कि कुछ तो बात जरूर है और गुमसुम होने की वजह पूछते हैं, लेकिन वह नहीं बताती हैं. हाल ही में केजीएमयू के बाल मनोरोग विभाग में ऐसा ही कैसे आया था. जिसमें बच्ची बिल्कुल बातचीत करना बंद कर दी थी. माता-पिता परेशान हुए और उसे यहां लेकर आए. उससे बहुत प्यार और नर्मी से बात की गई तो उसने अपनी बात बताई. फिर उसके बाद पता चला कि घर पर जो रिश्तेदार आए थे वह उसे गलत तरीके से छूए थे और किसी को न बताने के लिए धमकाते थे.

परवरिश का तरीका बदलना होगा : डॉ. अनिल निश्छल के अनुसार अब माता-पिता को अपनी परवरिश का तरीका बदलना होगा. बचपन से ही लड़कों को यह शिक्षा देनी होगी कि वह लड़कियों की इज्जत करें और लड़कियों को यह शिक्षा देनी होगी कि अगर उनके साथ कुछ गलत होता है या कोई गलत तरीके से छूता है तो वह बिना डरे अपनी बात बताएं. समय बदला है, समय के साथ माता-पिता को भी अब बदलने की आवश्यकता है. पहले के समय माता-पिता बच्चों से अधिक क्लोज होते थे, लेकिन अब जरूरी है की माता-पिता को यह पता हो कि उनके बच्चों की जिंदगी में क्या कुछ चल रहा है. इसलिए जरूरी है कि बच्चों के साथ दोस्ताना रिश्ता बनाएं. ताकि बिना झिझक के अपनी बात बताएं.








यह भी पढ़ें : Crimes Against Children : अपने ही कर रहे मासूमों का शोषण, दास्तान सुन हैरान रह जाएंगे आप

जानकारी देतीं चाइल्ड लाइन अध्यक्ष संगीता शर्मा.

लखनऊ : आमतौर पर ऐसा होता है कि बच्चों के अभिभावक बड़ी ही जल्दी किसी पर विश्वास कर लेते हैं और कई बार यही रिश्तेदार व विश्वासपात्र व्यक्ति उन्हीं के विश्वास के सहारे उनकी बच्चियों का शोषण करते हैं. लखनऊ चाइल्ड लाइन में कई केस ऐसे आते हैं, जिसमें नाबालिग लड़की अपने ही रिश्तेदारों की शिकार हो जाती है. चाइल्ड लाइन अध्यक्ष संगीता शर्मा ने बताया कि लखनऊ से ही एक केस ऐसा सामने आया जिसे सुनकर हमारे होश उड़ गए. उन्होंने बताया कि इस तरह की कई केस चाइल्ड लाइन में आते हैं. साल 2022 में चाइल्ड लाइन में लगभग 1186 केस आए हैं. इसमें बहुत सारे केस नाबालिक लड़कियों के हैं जो किसी प्रकार से किसी रिश्तेदार या जानने पहचानने वाले लोग से प्रताड़ित हुई है.

बच्चों की परवरिश में ध्यान रखने योग्य बातें.
बच्चों की परवरिश में ध्यान रखने योग्य बातें.

किराएदार रखना पड़ा भारी : चाइल्ड लाइन अध्यक्ष संगीता शर्मा ने बताया कि हाल ही में एक केस लखनऊ का सामने आया था. आज के समय में हर कोई बिजनेस के हिसाब से अपना मकान बनाता है कि अपने घर को वह किराए पर उठा देंगे, लेकिन वह किराएदार कैसा होगा. इसके बारे में वह अंदाजा नहीं लगा सकते. 15 वर्ष बच्ची की मां ने किराएदार पर अंध विश्वास किया. नाबालिग बच्ची के पिता इस दुनिया में नहीं हैं. दो बहनें और मां के साथ में घर पर रहती थीं. एक किरायेदार उसके घर में रहता था उसने पहले नाबालिग बच्ची की बड़ी बहन को प्रपोज किया था, लेकिन उसने साफ इंकार किया. इसके बाद उस किराएदार लड़के ने नाबालिग लड़की को अपने जाल में फंसाया. जिस वक्त घर पर मां और बड़ी बेटी न रहती उस समय वह लड़का उसके साथ उसे बहला फुसलाकर जबरदस्ती किया करता था. दो साल से लड़का घर में किराए पर था. इस बात का खुलासा उस समय हुआ जब लड़की प्रेग्नेंट हो गई. इसके बाद उसकी बहन ने चाइल्ड लाइन में फोन करके जानकारी दी. इस जानकारी के बाद जो भी कानूनी कार्रवाई होती है. उसके तहत लड़की के ऊपर कार्रवाई चल रही है. इसके अलावा बच्चे का अबॉर्शन कराया गया. अबॉर्शन में पुलिस आनाकानी कर रही थी, लेकिन जब बच्चे की मां अबॉर्शन के लिए तैयार हो तो इसमें किसी को दिक्कत नहीं होनी चाहिए. इसके तहत चाइल्डलाइन ने पूरा सहयोग किया और बच्चे का सफल अबॉर्शन कराया गया. फिलहाल बच्ची इस समय ठीक है.

चाइल्ड लाइन अध्यक्ष संगीता शर्मा.
चाइल्ड लाइन अध्यक्ष संगीता शर्मा.


किसी पर न करें अत्यधिक भरोसा : संगीता शर्मा ने कहा कि मौजूदा समय में किसी के ऊपर भी भरोसा करने लायक नहीं है इसलिए जब भी आपकी बच्ची घर पर अकेली हो या आप किसी रिश्तेदार के साथ भेज रहे हो तो पहले उस रिश्तेदार के बारे में जांच परख ले. अगर बच्ची उनके साथ जाने में असहज महसूस न करें. तभी कहीं बाहर भेजें या फिर कोशिश करें कि खुद ही बच्चे को कहीं भी लेकर जाना हो लेकर जाए. चाइल्ड जितने भी केस नाबालिग बच्चियों के आते हैं ज्यादातर केस में ऐसा ही होता है कि कोई भरोसेमंद व्यक्ति ही इस तरह की हरकत करते है. बच्ची को डरा धमका देते हैं और कई केस में उन्हें मैनूप्लेट कर लेते हैं. इस समय किसी के ऊपर भरोसा नहीं किया जा सकता है.

बच्चों के साथ बनाएं दोस्ताना रिश्ता.
बच्चों के साथ बनाएं दोस्ताना रिश्ता.



स्कूलों में भी बच्चे नहीं सुरक्षित : संगीता शर्मा ने बताया कि कई सारे केस ऐसे आते हैं जो स्कूलों में होते हैं. कभी बच्चा अध्यापक से प्रताड़ित होता है तो कभी बच्चा किसी सीनियर से प्रताड़ित होता है. हाल ही में केस ऐसा हुआ था कि बच्चे को चोट लगने से बच्चे की मौत हो गई थी. यह चोट पुलिस के मुताबिक स्कूल में लगी थी, लेकिन स्कूल के लोग यह बताने के लिए तैयार नहीं थे कि दरअसल उस दिन हुआ क्या था. ऐसे में इस समय लड़का हो या लड़की सभी बच्चे किसी न किसी के द्वारा प्रताड़ित हो रहे हैं. माता-पिता को चाहिए कि बच्चे के स्कूल भी जाएं टीचरों से मिलें, उनके दोस्तों से मिलें. इसके अलावा बच्चों को भी चाहिए कि वह अपने माता-पिता से अपनी बातें शेयर करें.


डिप्रेशन का शिकार हो रहीं युवतियां : केजीएमयू के बाल मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. अनिल निश्छल ने बताया कि विभाग की ओपीडी में कई ऐसी लड़कियां आती हैं, जिनके साथ दुष्कर्म की कोशिश या उन्हीं के जान पहचान के लोग उनसे गलत तरीके से बात करते हैं. जिसकी वजह से वह डिप्रेशन में चली जाती हैं. क्योंकि वह अपनी बातें न तो अपने माता-पिता को बताती हैं और न ही किसी से शेयर करती हैं. इसके चलते लड़कियां गुमसुम हो जाती हैं. बातचीत करना बंद कर देती हैं. यहां तक की खाना खाना भी त्याग देती हैं. उनका किसी काम में मन नहीं लगता है. पढ़ाई में भी ध्यान नहीं लग पाती हैं. बहुत सारे ऐसे लक्षण होते हैं. जिन्हें देखकर माता-पिता समझते हैं कि कुछ तो बात जरूर है और गुमसुम होने की वजह पूछते हैं, लेकिन वह नहीं बताती हैं. हाल ही में केजीएमयू के बाल मनोरोग विभाग में ऐसा ही कैसे आया था. जिसमें बच्ची बिल्कुल बातचीत करना बंद कर दी थी. माता-पिता परेशान हुए और उसे यहां लेकर आए. उससे बहुत प्यार और नर्मी से बात की गई तो उसने अपनी बात बताई. फिर उसके बाद पता चला कि घर पर जो रिश्तेदार आए थे वह उसे गलत तरीके से छूए थे और किसी को न बताने के लिए धमकाते थे.

परवरिश का तरीका बदलना होगा : डॉ. अनिल निश्छल के अनुसार अब माता-पिता को अपनी परवरिश का तरीका बदलना होगा. बचपन से ही लड़कों को यह शिक्षा देनी होगी कि वह लड़कियों की इज्जत करें और लड़कियों को यह शिक्षा देनी होगी कि अगर उनके साथ कुछ गलत होता है या कोई गलत तरीके से छूता है तो वह बिना डरे अपनी बात बताएं. समय बदला है, समय के साथ माता-पिता को भी अब बदलने की आवश्यकता है. पहले के समय माता-पिता बच्चों से अधिक क्लोज होते थे, लेकिन अब जरूरी है की माता-पिता को यह पता हो कि उनके बच्चों की जिंदगी में क्या कुछ चल रहा है. इसलिए जरूरी है कि बच्चों के साथ दोस्ताना रिश्ता बनाएं. ताकि बिना झिझक के अपनी बात बताएं.








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