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1100 स्कूलों में मुख्यमंत्री बालिका शिक्षा प्रोत्साहन के तहत सिर्फ एक परिवार की बेटियां शामिल, फिर भी नहीं मिला कोई लाभ - मुख्यमंत्री बालिका शिक्षा प्रोत्साहन

उत्तर प्रदेश में बालिका शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिए थे कि निजी क्षेत्र के शिक्षण संस्थानों में अगर दो या दो से अधिक बहनें पढ़ रही हैं तो संस्थान एक बहन की ट्यूशन फीस माफ करे. लेकिन इस मामले में चौंकाने वाली बात सामने आई हैं. राजधानी लखनऊ के निजी स्कूलों में इस योजना का लाभ उठाने वाली लड़कियां नहीं मिल रही हैं. इस मामले में जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय की तरफ से बीते 3 महीनों में 8 से ज्यादा नोटिस जारी किए जा चुके हैं.

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मुख्यमंत्री बालिका शिक्षा प्रोत्साहन में सिर्फ एक परिवार की बेटियां शामिल
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Published : Jun 21, 2022, 4:32 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बालिका शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक अनूठी पहल की है. 2 अक्टूबर 2021 को मुख्यमंत्री ने लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में घोषणा की थी कि, निजी क्षेत्र के शिक्षण संस्थानों में यदि दो या दो से अधिक बहनें पढ़ रही हैं तो संस्थान एक बहन की ट्यूशन फीस माफ करे. निजी संस्थान अपने स्तर पर इसमें तैयार नहीं हैं और शासन स्तर पर ट्यूशन फीस की प्रतिपूर्ति की व्यवस्था की जाए.

मुख्यमंत्री की इस पहल को जमीन पर लाने के लिए शासन प्रशासन भी जुड़ गया है. लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि, राजधानी लखनऊ के निजी स्कूलों में इस योजना का लाभ उठाने वाली लड़कियां नहीं मिल रही हैं. पूरे लखनऊ में केवल एक ही ऐसा परिवार है जो इस योजना के तहत आ रहा है. इस मामले में जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय की तरफ से बीते 3 महीनों में 8 से ज्यादा नोटिस जारी किए जा चुके हैं.

मुख्यमंत्री बालिका शिक्षा प्रोत्साहन में सिर्फ एक परिवार की बेटियां शामिल

यूपी बोर्ड से लेकर सीबीएसई ओर आईसीएसई स्कूलों तक से ऐसी बेटियों के बारे में सूचनाएं मांगी जा रही हैं, जो इस योजना से वंचित हैं. हैरानी की बात है कि अभी तक इसमें एक भी स्कूल सामने नहीं आया हैं. लखनऊ के सिर्फ विजडम वे स्कूल की तरफ से एक ही परिवार की तीन बहनों के पढ़ने की सूचना दी गई है. लेकिन इनकी फीस अभी तक माफ नहीं हुई है.

स्कूलों को नोटिस देकर होगी कार्रवाई

जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ. अमरकांत सिंह ने बताया कि, उनकी तरफ से लगातार इस संबंध में स्कूलों से सूचनाएं मांगी जा रही हैं. सभी प्राप्त सूचनाओं को शासन भेज दिया गया है. इस मामले में सभी स्कूलों को नोटिस भी जारी किए जा रहे हैं. स्कूलों की तरफ से अगर लापरवाही की जाती है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

इसे भी पढ़े-सर्वोदय की उड़ान लगा रही बालिका शिक्षा को पंख, बिना किताबों के दी जाती है शिक्षा

स्कूल से लेकर कॉलेज तक में मिलना है लाभ

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरफ से सिर्फ स्कूल ही नहीं बल्कि डिग्री कॉलेजों में पढ़ने वाले बेटियों को भी इसका लाभ दिलाने की घोषणा की गई है. प्रदेश के तकनीकी शिक्षण संस्थानों से भी इस संबंध में जानकारी मांगी जा रही है. बीते दिनों डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय की तरफ से सभी कॉलेजों को नोटिस भेजकर इस संबंध में सूचना उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए थे.

शासनादेश ने फंसाया पेंच

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की घोषणा को जमीन पर उतारने में शासनादेश ही पेंच फंसा रहा है. शासनादेश के मुताबिक शासन द्वारा निर्धारित आय सीमा से नीचे जीवन यापन करने वाले किसी परिवार की एक से अधिक बच्चियां किसी विद्यालय, महाविद्यालय अथवा संस्थान में अध्ययन कर रही है तो दूसरी बच्ची की ट्यूशन फीस या तो संस्था को प्रोत्साहित करते हुए माफ कराई जाएगी या उसकी प्रतिपूर्ति राज्य सरकार द्वारा की जाएगी. नाम न छपने की शर्त पर एक कर्मचारी ने बताया कि, अगर शिक्षण संस्थान अपने स्तर पर ट्यूशन फीस माफ नहीं कर रहा है तो प्रकरण शासन को भेजा जाना है. संस्थान अपने स्तर पर माफ करने के लिए तैयार नहीं हैं. दूसरी तरफ इनके शुल्क की प्रतिपूर्ति किस मदद से की जाएगी यह भी शासन के स्तर पर अब तक तय नहीं हो पाया है. ऐसे में संशय की स्थिति बनी हुई है. मुख्यमंत्री घोषणा कर चुके हैं, इसलिए इस योजना को लागू कराने की कोशिश की जा रही है.

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बालिका शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक अनूठी पहल की है. 2 अक्टूबर 2021 को मुख्यमंत्री ने लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में घोषणा की थी कि, निजी क्षेत्र के शिक्षण संस्थानों में यदि दो या दो से अधिक बहनें पढ़ रही हैं तो संस्थान एक बहन की ट्यूशन फीस माफ करे. निजी संस्थान अपने स्तर पर इसमें तैयार नहीं हैं और शासन स्तर पर ट्यूशन फीस की प्रतिपूर्ति की व्यवस्था की जाए.

मुख्यमंत्री की इस पहल को जमीन पर लाने के लिए शासन प्रशासन भी जुड़ गया है. लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि, राजधानी लखनऊ के निजी स्कूलों में इस योजना का लाभ उठाने वाली लड़कियां नहीं मिल रही हैं. पूरे लखनऊ में केवल एक ही ऐसा परिवार है जो इस योजना के तहत आ रहा है. इस मामले में जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय की तरफ से बीते 3 महीनों में 8 से ज्यादा नोटिस जारी किए जा चुके हैं.

मुख्यमंत्री बालिका शिक्षा प्रोत्साहन में सिर्फ एक परिवार की बेटियां शामिल

यूपी बोर्ड से लेकर सीबीएसई ओर आईसीएसई स्कूलों तक से ऐसी बेटियों के बारे में सूचनाएं मांगी जा रही हैं, जो इस योजना से वंचित हैं. हैरानी की बात है कि अभी तक इसमें एक भी स्कूल सामने नहीं आया हैं. लखनऊ के सिर्फ विजडम वे स्कूल की तरफ से एक ही परिवार की तीन बहनों के पढ़ने की सूचना दी गई है. लेकिन इनकी फीस अभी तक माफ नहीं हुई है.

स्कूलों को नोटिस देकर होगी कार्रवाई

जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ. अमरकांत सिंह ने बताया कि, उनकी तरफ से लगातार इस संबंध में स्कूलों से सूचनाएं मांगी जा रही हैं. सभी प्राप्त सूचनाओं को शासन भेज दिया गया है. इस मामले में सभी स्कूलों को नोटिस भी जारी किए जा रहे हैं. स्कूलों की तरफ से अगर लापरवाही की जाती है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

इसे भी पढ़े-सर्वोदय की उड़ान लगा रही बालिका शिक्षा को पंख, बिना किताबों के दी जाती है शिक्षा

स्कूल से लेकर कॉलेज तक में मिलना है लाभ

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरफ से सिर्फ स्कूल ही नहीं बल्कि डिग्री कॉलेजों में पढ़ने वाले बेटियों को भी इसका लाभ दिलाने की घोषणा की गई है. प्रदेश के तकनीकी शिक्षण संस्थानों से भी इस संबंध में जानकारी मांगी जा रही है. बीते दिनों डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय की तरफ से सभी कॉलेजों को नोटिस भेजकर इस संबंध में सूचना उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए थे.

शासनादेश ने फंसाया पेंच

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की घोषणा को जमीन पर उतारने में शासनादेश ही पेंच फंसा रहा है. शासनादेश के मुताबिक शासन द्वारा निर्धारित आय सीमा से नीचे जीवन यापन करने वाले किसी परिवार की एक से अधिक बच्चियां किसी विद्यालय, महाविद्यालय अथवा संस्थान में अध्ययन कर रही है तो दूसरी बच्ची की ट्यूशन फीस या तो संस्था को प्रोत्साहित करते हुए माफ कराई जाएगी या उसकी प्रतिपूर्ति राज्य सरकार द्वारा की जाएगी. नाम न छपने की शर्त पर एक कर्मचारी ने बताया कि, अगर शिक्षण संस्थान अपने स्तर पर ट्यूशन फीस माफ नहीं कर रहा है तो प्रकरण शासन को भेजा जाना है. संस्थान अपने स्तर पर माफ करने के लिए तैयार नहीं हैं. दूसरी तरफ इनके शुल्क की प्रतिपूर्ति किस मदद से की जाएगी यह भी शासन के स्तर पर अब तक तय नहीं हो पाया है. ऐसे में संशय की स्थिति बनी हुई है. मुख्यमंत्री घोषणा कर चुके हैं, इसलिए इस योजना को लागू कराने की कोशिश की जा रही है.

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