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पराली जलाने पर मुख्यमंत्री ने जताई चिंता, किसानों को जागरूक करने के अफसरों को दिए निर्देश

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में पराली जलाने से बढ़ते प्रदूषण की समस्या पर चिंता व्यक्त करते हुए विभागीय अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि पराली जलाने से होने वाले नुकसान के प्रति किसानों को जागरूक किया जाए. फसल अवशेषों को काटकर खेत में पानी लगाकर एवं यूरिया छिड़ककर खेत में ही पराली को गलाने का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए.

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Published : Nov 15, 2022, 5:29 PM IST

लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने प्रदेश में पराली जलाने से बढ़ते प्रदूषण की समस्या (pollution problem) पर चिंता व्यक्त करते हुए विभागीय अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि पराली जलाने से होने वाले नुकसान के प्रति किसानों को जागरूक किया जाए. फसल अवशेषों को काटकर खेत में पानी लगाकर एवं यूरिया छिड़ककर खेत में ही पराली को गलाने का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए. संवेदनशील गांवों में जिला स्तरीय अधिकारियों को कैंप लगाकर पराली जलाने की घटनाओं पर रोकथाम के उपाय किए जाएं. विभिन्न विभागों के कर्मचारियों को ग्रामवार समन्वय स्थापित करने के लिए ड्यूटी लगायी जाएं.

कृषि विभाग के अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी (Devesh Chaturvedi, Additional Chief Secretary, Agriculture Department) ने बताया कि हर जिले में पराली को गौशालाओं में पहुंचाया जा रहा है. सभी जनपदों में पराली दो, खाद लो कार्यक्रम को अधिक से अधिक बढ़ावा दिया जा रहा है. जिससे इस बार पराली जलाने की घटनाएं कम हो सकें. इसके अलावा उत्तर प्रदेश में 16 बायोब्रिकेट और वायोकोल प्लांट स्थापित किए गए हैं. इन प्लांट्स पर भी पराली पहुंचाई जा रही है. कंबाइन हार्वेस्टर के साथ कटाई के साथ सुपर एसएमएस या फसल अवशेष प्रबन्धन (crop residue management) के अन्य कृषि यंत्रों को अनिवार्य किया जाए.



इन जिलों में पराली की घटनाएं शून्य : प्रदेश में कुछ ऐसे भी जिले हैं, जहां पराली जलाने की घटनाएं शून्य के बराबर है. इनमें वाराणसी, सोनभद्र, संत रविदास नगर, महौबा, कासगंज, जालौन, हमीरपुर, गोंडा, चंदौली, बांदा, बदायूं, आजमगढ़, अमरोहा और आगरा शामिल हैं. इसके अलावा सुझाव दिया गया है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में धान की कटाई और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ने की कटाई शुरु हो गई है. इन जिलों में विशेष तौर पर ध्यान देने की जरुरत है. हर जिले में पूसा डीकम्पोजर तत्काल किसानों के माध्यम से वितरण कराया जाए. जिससे फसल अवशेषों को खेत में ही सड़ा कर प्रबंधन किया जा सके.


सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल) ने पराली जलाने को दंडनीय अपराध घोषित किया है. किसान ऐसा करने की जगह उन योजनाओं का लाभ उठाएं जिससे पराली को निस्तारित कर उसे उपयोगी बनाया जा सकता है. सरकार ऐसे कृषि यंत्रों पर अनुदान (subsidy on agricultural machinery) भी दे रही है. कई जगह किसानों ने इन कृषि यंत्रों के जरिए पराली को कमाई का जरिया बनाया है. बाकी किसान भी इनसे सीख ले सकते हैं.

यह भी पढ़ें : यूपी में प्रियंका गांधी की रीलॉचिंग की तैयारी, राहुल के तरह करेंगी पदयात्रा

लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने प्रदेश में पराली जलाने से बढ़ते प्रदूषण की समस्या (pollution problem) पर चिंता व्यक्त करते हुए विभागीय अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि पराली जलाने से होने वाले नुकसान के प्रति किसानों को जागरूक किया जाए. फसल अवशेषों को काटकर खेत में पानी लगाकर एवं यूरिया छिड़ककर खेत में ही पराली को गलाने का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए. संवेदनशील गांवों में जिला स्तरीय अधिकारियों को कैंप लगाकर पराली जलाने की घटनाओं पर रोकथाम के उपाय किए जाएं. विभिन्न विभागों के कर्मचारियों को ग्रामवार समन्वय स्थापित करने के लिए ड्यूटी लगायी जाएं.

कृषि विभाग के अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी (Devesh Chaturvedi, Additional Chief Secretary, Agriculture Department) ने बताया कि हर जिले में पराली को गौशालाओं में पहुंचाया जा रहा है. सभी जनपदों में पराली दो, खाद लो कार्यक्रम को अधिक से अधिक बढ़ावा दिया जा रहा है. जिससे इस बार पराली जलाने की घटनाएं कम हो सकें. इसके अलावा उत्तर प्रदेश में 16 बायोब्रिकेट और वायोकोल प्लांट स्थापित किए गए हैं. इन प्लांट्स पर भी पराली पहुंचाई जा रही है. कंबाइन हार्वेस्टर के साथ कटाई के साथ सुपर एसएमएस या फसल अवशेष प्रबन्धन (crop residue management) के अन्य कृषि यंत्रों को अनिवार्य किया जाए.



इन जिलों में पराली की घटनाएं शून्य : प्रदेश में कुछ ऐसे भी जिले हैं, जहां पराली जलाने की घटनाएं शून्य के बराबर है. इनमें वाराणसी, सोनभद्र, संत रविदास नगर, महौबा, कासगंज, जालौन, हमीरपुर, गोंडा, चंदौली, बांदा, बदायूं, आजमगढ़, अमरोहा और आगरा शामिल हैं. इसके अलावा सुझाव दिया गया है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में धान की कटाई और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ने की कटाई शुरु हो गई है. इन जिलों में विशेष तौर पर ध्यान देने की जरुरत है. हर जिले में पूसा डीकम्पोजर तत्काल किसानों के माध्यम से वितरण कराया जाए. जिससे फसल अवशेषों को खेत में ही सड़ा कर प्रबंधन किया जा सके.


सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल) ने पराली जलाने को दंडनीय अपराध घोषित किया है. किसान ऐसा करने की जगह उन योजनाओं का लाभ उठाएं जिससे पराली को निस्तारित कर उसे उपयोगी बनाया जा सकता है. सरकार ऐसे कृषि यंत्रों पर अनुदान (subsidy on agricultural machinery) भी दे रही है. कई जगह किसानों ने इन कृषि यंत्रों के जरिए पराली को कमाई का जरिया बनाया है. बाकी किसान भी इनसे सीख ले सकते हैं.

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