लखनऊ: भारतीय महिलाओं में कैंसर से होने वाली मौत का सबसे आम कारण सर्वाइकल कैंसर (Cervical cancer) है, लेकिन यह एक ऐसा कैंसर भी है जिसे बचाव और समय पर पता लगने पर इलाज दोनों संभव है. हालांकि आमतौर पर महिलाएं इस बीमारी के बारें में जागरूक नहीं होती है. आंकड़ों के अनुसार समय पर इलाज न मिलने पर 15 से 44 वर्ष की आयु की महिलाओं में यह कैंसर उनकी मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण बन रहा है, जबकि इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है. वहीं क्वीन मैरी अस्पताल की महिला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अंजू अग्रवाल बताती हैं कि समय रहते अगर इस बीमारी के बारें में पता लग जाए तो महिला को बचाया जा सकता है.
डॉ. अंजू अग्रवाल बताती है कि महिलाओं की सबसे बड़ी कमी है कि वह अपनी दिक्कत परेशानियों को किसी के सामने रखती नहीं है और न ही किसी के साथ साझा करती हैं. सबसे पहले सर्वाइकल कैंसर के बारे में लोगों को जागरूक होना पड़ेगा क्योंकि बहुत सारी महिलाएं जानती ही नहीं है कि गर्भाशय ग्रीवा कैंसर यानी कि सर्वाइकल कैंसर भी होता है. जब स्थिति बहुत ज्यादा खराब हो जाती है तब महिला को अस्पताल में भर्ती कराया जाता है अगर शुरुआत के समय में ही गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के बारें में महिला अपने पति से या किसी डॉक्टर से बताए तो समय रहते उसका इलाज चलाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए सभी को जागरूक होना बहुत जरूरी है.
क्या है सर्वाइकल कैंसर
डॉ. अंजू बताती हैं कि गर्भाशय ग्रीवा यानी बच्चेदानी के मुंह का कैंसर महिलाओं में होने वाले कैंसर में दूसरे स्थान पर आता है. कैंसर आमतौर पर सर्वाइकल कैंसर के क्षेत्र में शुरू होता है, लेकिन यह गर्भाशय ग्रीवा के आस-पास के ऊतकों जैसे कि योनि या शरीर के अन्य भागों, लिम्फ नोड्स, फेफड़े या जागृत फैल सकता है. उन्होंने बताया कि अस्पताल में लगभग महीने भर में दो या तान केस सर्वाइकल कैंसर के आ जाते हैं.
सर्जरी के कुछ दिन बाद होता हैं नॉर्मल
डॉ. अंजू बताती हैं कि सर्वाइकल कैंसर की सर्जरी के बाद कुछ महिलाओं को ऐठन, दर्द और पेशाब और मल त्यागने में परेशानी होती हैं. दर्द और ऐठन के लिए दवाएं दी जा सकती है और सर्जरी के बाद कुछ दिनों के लिए मूत्राशय को हटाने के लिए एक कैथेटर का उपयोग किया जाता है. सर्जिकल साइट पर पूर्ण चिकित्सा की अनुमति देने के लिए मरीजों को कई हफ्तों तक अपनी गतिविधियों को सीमित करने की आवश्यकता होती है.
सर्वाइकल कैंसर के लक्षण
- महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के शुरुआती लक्षण के तौर पर सबसे पहले दस्त होना शुरू हो जाता है.
- त्वचा में जलन या खुजली होने लगती है
- मन अजीब सा खराब रहता है
- बार-बार पेशाब लगना
- बिना कुछ काम किए भी थकावट हमेशा बनी रहना
- योनि में दर्द बना रहना
- अनियमित मासिक धर्म
सर्वाइकल कैंसर से बचाव
- धूम्रपान शराब जैसी नशीली चीजों से दूरी बनाए क्योंकि मैं निकोटीन होता है जो गर्भाशय ग्रीवा में जमा होकर कैंसर सेल्स को बढ़ावा देता है
- असुरक्षित शारीरिक संबंध बनाने से बचें. एक से ज्यादा पार्टनर के साथ संबंध बनाने से बचें.
- सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए सबसे जरूरी है टीकाकरण इस बीमारी से बचने के लिए एचपीवी इंजेक्शन लगवाना जरूरी है
- रोजाना योगा करें और टहलें जरूर
- हेल्थी और अच्छी डाइट लें खाने पीने में हरी साग सब्जियों को शामिल करें.