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दिल्ली छोड़े भी नहीं थे योगी, केंद्र ने पूछ लिया कोरोना से मौतों का हिसाब

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Published : Jun 11, 2021, 8:29 PM IST

केंद्र सरकार ने यूपी सरकार से प्रदेश में हुई मौतों का आंकड़ा पूछा है. इसके साथ ही बिहार और महाराष्ट्र सरकार से कोविड-19 से जान गवाने वाले मरीजों का आंकड़ा मांगा है.

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केंद्र ने योगी से पूछा सवाल

लखनऊः उत्तर प्रदेश की सियासत में बदलाव की अटकलों के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुरुवार को दोपहर बाद दिल्ली पहुंचे. इस दौरान उनकी गृहमंत्री अमित शाह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रपति से मुलाकात हुई. अभी सीएम योगी दिल्ली छोड़ भी नहीं पाए थे कि केंद्र सरकार ने गंगा नदी के किनारे दफनाए गए शवों और नदियों में उतराते शवों का भी हिसाब पूछ लिया. केंद्र ने यूपी के अलावा दो अन्य राज्यों बिहार और महाराष्ट्र से भी कोविड से होने वाली मौतों का ब्यौरा मांगा है.



सरकार के मुताबिक 21 हजार 597 मौत

कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान संक्रमण की तीव्रता इतनी थी कि, लोगों का बच पाना मुश्किल हो गया था. सरकार की बेचैनी बढ़ गई थी. प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था ध्वस्त हो गई थी. अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी थी तो दवाओं के अभाव के चलते लोगों की मौत की खबर आ रही थी. विपक्ष लगातार सत्ता पक्ष पर हमलावर रहा. विपक्ष ने यह भी आरोप लगाए थे कि उत्तर प्रदेश सरकार मौतों का आंकड़ा छिपा रही है. इसी बीच जब नदियों में लाशें उतराती हुई मिलीं तो विपक्ष और हमलावर हो गया. हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार हर दिन मौत का आंकड़ा जारी करती आ रही है. सरकार की तरफ से जारी रिपोर्ट के मुताबिक 11 जून तक कोविड संक्रमण से 21 हजार 667 लोगों की मृत्यु हुई है.

इसे भी पढ़ें- राजनीतिक अटकलों के बीच मोदी-नड्डा-शाह की बैठक

योगी की सबसे पहले शाह से हुई मुलाकात

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 10 जून को दोपहर बाद दिल्ली पहुंचे. योगी के दिल्ली दौरे को बड़े बदलाव के रूप में देखा जाने लगा. उन्होंने सबसे पहली मुलाकात गृह मंत्री अमित शाह से की. करीब डेढ़ घंटे तक उनसे बातचीत हुई. सीएम योगी की तरफ से प्रवासी श्रमिकों की समस्याओं का समाधान शीर्षक से एक पुस्तक भी उन्हें भेंट की गई. बताया जा रहा है कि यूपी की सियासत, सरकार, संगठन और कोविड प्रबंधन को लेकर पूरी रिपोर्ट योगी ने गृहमंत्री को सौंपी.

पीएम मोदी से एक घण्टे से अधिक हुई मुलाकात

मुख्यमंत्री योगी की दूसरे दिन 11 जून को सुबह 10:45 बजे प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात हुई. पीएम आवास पर हुई यह मुलाकात करीब 80 मिनट तक चली. पीएम मोदी के साथ इस लंबी मुलाकात के कई अलग-अलग मायने निकाले जा सकते हैं. अनुमान है कि सीएम योगी ने पीएम मोदी के समक्ष यूपी से जुड़ी रिपोर्ट पेश की है. मिलने के बाद सीएम ने ट्वीट करके लिखा कि 'प्रधानमंत्री मोदी से नई दिल्ली में शिष्टाचार भेंट एवं मार्गदर्शन प्राप्ति का सौभाग्य प्राप्त हुआ. इसके बाद सीएम योगी ने बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा और फिर शाम को राष्ट्रपति भवन जाकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की.

इसे भी पढ़ें- पीएम मोदी से मिले यूपी के सीएम योगी, कई अहम मुद्दों पर हुई चर्चा

विपक्ष ने कहा कि हमारे सवालों को केंद्र ने किया प्रमाणित

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की राष्ट्रपति से मुलाकात होने से पहले ही केंद्र सरकार ने यूपी को चिट्ठी लिखकर कोविड-19 से होने वाली मौतों का ब्यौरा मांग लिया. केंद्र से यूपी को लिखी गई चिट्ठी पर कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता अंशु अवस्थी कहते हैं कि, विपक्ष ने पहले ही इस पर शंका व्यक्त की थी. सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी सरकार पर आंकड़े छुपाने के आरोप लगाए थे. प्रदेश की बिगड़ी स्वास्थ्य व्यवस्था पर पर्दा डालने के लिए सरकार ने यह आंकड़े छुपाए थे, लेकिन अब केंद्र सरकार ने चिट्ठी लिखकर यह प्रमाणित कर दिया है कि विपक्ष के जो सवाल थे, वह सही थे. वहीं वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक अशोक राजपूत का कहना है कि संसद सत्र चलने से पहले केंद्र यह आंकड़ा जुटाता आ रहा है. इसीलिए केंद्र ने राज्यों को चिट्ठी लिखकर इस तरह से आंकड़े मांगे हैं. ताकि सदन के दौरान विपक्ष के सवालों का जवाब दिया जा सके. इसमें कोई राजनीति नहीं दिखती है.

लखनऊः उत्तर प्रदेश की सियासत में बदलाव की अटकलों के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुरुवार को दोपहर बाद दिल्ली पहुंचे. इस दौरान उनकी गृहमंत्री अमित शाह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रपति से मुलाकात हुई. अभी सीएम योगी दिल्ली छोड़ भी नहीं पाए थे कि केंद्र सरकार ने गंगा नदी के किनारे दफनाए गए शवों और नदियों में उतराते शवों का भी हिसाब पूछ लिया. केंद्र ने यूपी के अलावा दो अन्य राज्यों बिहार और महाराष्ट्र से भी कोविड से होने वाली मौतों का ब्यौरा मांगा है.



सरकार के मुताबिक 21 हजार 597 मौत

कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान संक्रमण की तीव्रता इतनी थी कि, लोगों का बच पाना मुश्किल हो गया था. सरकार की बेचैनी बढ़ गई थी. प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था ध्वस्त हो गई थी. अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी थी तो दवाओं के अभाव के चलते लोगों की मौत की खबर आ रही थी. विपक्ष लगातार सत्ता पक्ष पर हमलावर रहा. विपक्ष ने यह भी आरोप लगाए थे कि उत्तर प्रदेश सरकार मौतों का आंकड़ा छिपा रही है. इसी बीच जब नदियों में लाशें उतराती हुई मिलीं तो विपक्ष और हमलावर हो गया. हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार हर दिन मौत का आंकड़ा जारी करती आ रही है. सरकार की तरफ से जारी रिपोर्ट के मुताबिक 11 जून तक कोविड संक्रमण से 21 हजार 667 लोगों की मृत्यु हुई है.

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योगी की सबसे पहले शाह से हुई मुलाकात

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 10 जून को दोपहर बाद दिल्ली पहुंचे. योगी के दिल्ली दौरे को बड़े बदलाव के रूप में देखा जाने लगा. उन्होंने सबसे पहली मुलाकात गृह मंत्री अमित शाह से की. करीब डेढ़ घंटे तक उनसे बातचीत हुई. सीएम योगी की तरफ से प्रवासी श्रमिकों की समस्याओं का समाधान शीर्षक से एक पुस्तक भी उन्हें भेंट की गई. बताया जा रहा है कि यूपी की सियासत, सरकार, संगठन और कोविड प्रबंधन को लेकर पूरी रिपोर्ट योगी ने गृहमंत्री को सौंपी.

पीएम मोदी से एक घण्टे से अधिक हुई मुलाकात

मुख्यमंत्री योगी की दूसरे दिन 11 जून को सुबह 10:45 बजे प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात हुई. पीएम आवास पर हुई यह मुलाकात करीब 80 मिनट तक चली. पीएम मोदी के साथ इस लंबी मुलाकात के कई अलग-अलग मायने निकाले जा सकते हैं. अनुमान है कि सीएम योगी ने पीएम मोदी के समक्ष यूपी से जुड़ी रिपोर्ट पेश की है. मिलने के बाद सीएम ने ट्वीट करके लिखा कि 'प्रधानमंत्री मोदी से नई दिल्ली में शिष्टाचार भेंट एवं मार्गदर्शन प्राप्ति का सौभाग्य प्राप्त हुआ. इसके बाद सीएम योगी ने बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा और फिर शाम को राष्ट्रपति भवन जाकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की.

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विपक्ष ने कहा कि हमारे सवालों को केंद्र ने किया प्रमाणित

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की राष्ट्रपति से मुलाकात होने से पहले ही केंद्र सरकार ने यूपी को चिट्ठी लिखकर कोविड-19 से होने वाली मौतों का ब्यौरा मांग लिया. केंद्र से यूपी को लिखी गई चिट्ठी पर कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता अंशु अवस्थी कहते हैं कि, विपक्ष ने पहले ही इस पर शंका व्यक्त की थी. सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी सरकार पर आंकड़े छुपाने के आरोप लगाए थे. प्रदेश की बिगड़ी स्वास्थ्य व्यवस्था पर पर्दा डालने के लिए सरकार ने यह आंकड़े छुपाए थे, लेकिन अब केंद्र सरकार ने चिट्ठी लिखकर यह प्रमाणित कर दिया है कि विपक्ष के जो सवाल थे, वह सही थे. वहीं वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक अशोक राजपूत का कहना है कि संसद सत्र चलने से पहले केंद्र यह आंकड़ा जुटाता आ रहा है. इसीलिए केंद्र ने राज्यों को चिट्ठी लिखकर इस तरह से आंकड़े मांगे हैं. ताकि सदन के दौरान विपक्ष के सवालों का जवाब दिया जा सके. इसमें कोई राजनीति नहीं दिखती है.

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