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सेंटीनियल कॉलेज विवादः डीएम के आदेश के बावजूद शिक्षकों और छात्रों से बदसलूकी

लखनऊ के गोलागंज में जिस स्कूल की बिल्डिंग को लेकर विवाद चल रहा हैं. वहां, बीते 139 वर्षों से सेंटीनियल इंटर कॉलेज का संचालन किया जा रहा था. यह सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालय है. रातोंरात इस स्कूल को खत्म कर यहां निजी स्कूलों को मान्यता दे दी गई.

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क्लास चलाने के लिए दे दिया स्टोर रूम
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Published : Jul 8, 2022, 10:53 AM IST

लखनऊः सेंटीनियल इंटर कॉलेज के बाहर शुक्रवार सुबह जमकर हंगामा हुआ. जिलाधिकारी के आदेश के बावजूद सेंटीनियल इंटर कॉलेज पर कब्जा करके बैठे लोग शिक्षकों और स्टूडेंट्स को प्रवेश देने के लिए तैयार नहीं थे. प्रिंसिपल डेविड दयाल अपने कुछ बच्चों के साथ अंदर चले गए थे लेकिन, बाकी को प्रवेश नहीं मिल पाया. इस दौरान जमकर नौंकझौंक हुई. मौके पर बेसिक शिक्षा अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक से लेकर जिलाधिकारी तक पहुंचे. हंगामा और विवाद के बाद सेन्टीनियल इंटर कॉलेज के स्टूडेंट्स को अपने ही स्कूल में प्रवेश मिल पाया.

लखनऊ के सेंटीनियल इंटर कॉलेज में पहुंचे डीएम
इस दौरान प्रशासन के अधिकारियों की मौजूदगी में प्रार्थना सभा कराई गई. कक्षाएं संचालित करने के लिए सेंटीनियल इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल को मुख्य भवन के बीच कुछ पुराने कमरे दिए गए हैं. इन कमरों को पहले स्टोर रूम की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है. सुबह जब इन कमरों को खोला गया तो वहां की गंदगी देख अधिकारी भी भड़क उठे. उन्होंने निजी स्कूल के संचालकों को जमकर फटकार लगाई. इसके बाद बच्चों को मुख्य भवन की कक्षाओं में बैठाया गया. इन सबके बीच सुबह करीब 9.30 बजे जिलाधिकारी भी स्कूल की जांच करने पहुंचे. सच्चाई छिपाकर दी गई मान्यता: लखनऊ के गोलागंज में जिस स्कूल की बिल्डिंग को लेकर विवाद चल रहा हैं वहां, बीते 139 वर्षों से सेन्टीनियल स्कूल का संचालन किया जा रहा था. यह सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालय है. रातोंरात इस स्कूल को खत्म कर यहां निजी स्कूलों को मान्यता दे दी गई. अब जांच इस बात की हो रही है कि यह मान्यता किसके कहने पर दी गई है. जानकारों की मानें तो, इस पूरे प्रकरण में बेसिक शिक्षा विभाग के मंडल स्तरीय एक अधिकारी का नाम सामने आया है. इस अधिकारी के आदेश पर ही नीचे के अधिकारियों और कर्मचारियों ने आंख बंद करके इस निजी स्कूल को चलाने की अनुमति दी थी. फिलहाल, विभाग की तरफ से निजी स्कूल की मान्यता समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी विजय प्रताप सिंह ने इस स्कूल के प्रबंधन को पत्र भेजकर एक सप्ताह के भीतर अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा है.

इसे भी पढ़े-योगीराज में रोड पर चल रहा सरकारी स्कूल, जानें क्यों 500 छात्र रास्ते में पढ़ने को हैं मजबूर


शिकायत के बाद क्यों थे सब चुप
सेंटीनियल इंटर कॉलेज को लेकर बीते करीब आठ-नौ महीने से विवाद चल रहा था. गुरुवार को जब शिक्षक सड़क पर उतर आए तब जाकर अधिकारियों की नींद टूटी. इससे पहले सभी खामोश थे. जबकि, स्कूल के शिक्षकों की तरफ से तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ. अमर कान्त सिंह, संयुक्त शिक्षा निदेशक सरेन्द्र तिवारी से लेकर सभी अन्य अधिकारियों तक इसकी शिकायत की गई थी. असल में, इस पूरे मामले में शिक्षा विभाग की खामियों और लूपहोल का इस्तेमाल किया गया है. जिसमें, शिक्षा विभाग के अधिकारी पूरी तरह से लिप्त हैं. इसके चलते वह बार-बार प्रकरण को दबाने में लगे हुए थे.

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लखनऊः सेंटीनियल इंटर कॉलेज के बाहर शुक्रवार सुबह जमकर हंगामा हुआ. जिलाधिकारी के आदेश के बावजूद सेंटीनियल इंटर कॉलेज पर कब्जा करके बैठे लोग शिक्षकों और स्टूडेंट्स को प्रवेश देने के लिए तैयार नहीं थे. प्रिंसिपल डेविड दयाल अपने कुछ बच्चों के साथ अंदर चले गए थे लेकिन, बाकी को प्रवेश नहीं मिल पाया. इस दौरान जमकर नौंकझौंक हुई. मौके पर बेसिक शिक्षा अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक से लेकर जिलाधिकारी तक पहुंचे. हंगामा और विवाद के बाद सेन्टीनियल इंटर कॉलेज के स्टूडेंट्स को अपने ही स्कूल में प्रवेश मिल पाया.

लखनऊ के सेंटीनियल इंटर कॉलेज में पहुंचे डीएम
इस दौरान प्रशासन के अधिकारियों की मौजूदगी में प्रार्थना सभा कराई गई. कक्षाएं संचालित करने के लिए सेंटीनियल इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल को मुख्य भवन के बीच कुछ पुराने कमरे दिए गए हैं. इन कमरों को पहले स्टोर रूम की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है. सुबह जब इन कमरों को खोला गया तो वहां की गंदगी देख अधिकारी भी भड़क उठे. उन्होंने निजी स्कूल के संचालकों को जमकर फटकार लगाई. इसके बाद बच्चों को मुख्य भवन की कक्षाओं में बैठाया गया. इन सबके बीच सुबह करीब 9.30 बजे जिलाधिकारी भी स्कूल की जांच करने पहुंचे. सच्चाई छिपाकर दी गई मान्यता: लखनऊ के गोलागंज में जिस स्कूल की बिल्डिंग को लेकर विवाद चल रहा हैं वहां, बीते 139 वर्षों से सेन्टीनियल स्कूल का संचालन किया जा रहा था. यह सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालय है. रातोंरात इस स्कूल को खत्म कर यहां निजी स्कूलों को मान्यता दे दी गई. अब जांच इस बात की हो रही है कि यह मान्यता किसके कहने पर दी गई है. जानकारों की मानें तो, इस पूरे प्रकरण में बेसिक शिक्षा विभाग के मंडल स्तरीय एक अधिकारी का नाम सामने आया है. इस अधिकारी के आदेश पर ही नीचे के अधिकारियों और कर्मचारियों ने आंख बंद करके इस निजी स्कूल को चलाने की अनुमति दी थी. फिलहाल, विभाग की तरफ से निजी स्कूल की मान्यता समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी विजय प्रताप सिंह ने इस स्कूल के प्रबंधन को पत्र भेजकर एक सप्ताह के भीतर अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा है.

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शिकायत के बाद क्यों थे सब चुप
सेंटीनियल इंटर कॉलेज को लेकर बीते करीब आठ-नौ महीने से विवाद चल रहा था. गुरुवार को जब शिक्षक सड़क पर उतर आए तब जाकर अधिकारियों की नींद टूटी. इससे पहले सभी खामोश थे. जबकि, स्कूल के शिक्षकों की तरफ से तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ. अमर कान्त सिंह, संयुक्त शिक्षा निदेशक सरेन्द्र तिवारी से लेकर सभी अन्य अधिकारियों तक इसकी शिकायत की गई थी. असल में, इस पूरे मामले में शिक्षा विभाग की खामियों और लूपहोल का इस्तेमाल किया गया है. जिसमें, शिक्षा विभाग के अधिकारी पूरी तरह से लिप्त हैं. इसके चलते वह बार-बार प्रकरण को दबाने में लगे हुए थे.

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