लखनऊः आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद और प्रदेश प्रभारी संजय सिंह ने गुरुवार को प्रदेश की योगी सरकार पर हमला बोला. संजय सिंह ने कहा कि कोरोना संकट काल में अवसर तलाश कर योगी सरकार ने पूरे प्रदेश में चिकित्सा उपकरणों की खरीद में हुए महाघोटाले और भ्रष्टाचार की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया जो हास्यास्पद है.
योगी सरकार ने किया 500 फीसदी घोटाला
आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रभारी ने कहा कि सरकार के घोटाले की जांच सरकार के अधिकारी निष्पक्षता के साथ नहीं कर सकते. वह आज भी अपनी पुरानी मांग पर कायम हैं और इस भ्रष्टाचार और घोटाले की जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि रामराज का दावा करने वाली योगी सरकार ने चिकित्सीय उपकरणों की खरीद में 100-200 नहीं, बल्कि 500 फीसदी का घोटाला किया है.
एसआईटी जांच से कुछ नहीं होगा
संजय सिंह ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि इस एसआईटी जांच से कुछ होने वाला नहीं है. रामराज्य का दावा करने वाली योगी सरकार ने चिकित्सीय उपकरणों की खरीद में 500 फीसदी का भ्रष्टाचार किया गया. कोरोना घोटाला किया, कोरोना भ्रष्टाचार किया. यानी जो चिकित्सीय उपकरण 800 रुपये में है, वह ऑक्सीमीटर 4 हजार में खरीदा गया. जो थर्मामीटर 1800 रुपये में मिलता है, वह 13 हजार में खरीदा गया और यह एक-दो जिलों में नहीं हुआ बल्कि प्रदेश के 65 जिलों में हुआ है.
रोज होती है टीम 11 की मीटिंग
उन्होंने कहा कि इस भ्रष्टाचार को लेकर गुरुवार को योगी सरकार ने एक एसआईटी बनाई है. वह एसआईटी इस पूरे मामले की जांच करेगी. यह बड़ा हास्यास्पद है.आपको जानकर हैरानी होगी कि प्रदेश के मुख्यमंत्री टीम इलेविन की मीटिंग लेते हैं. टीम 11 की मीटिंग कोरोना को लेकर प्रतिदिन होती है तो क्या उनको यह पता नहीं चल पाया कि ऑक्सीमीटर कितने में खरीदा गया? थर्मामीटर कितने में खरीदा गया? एनालाइजर जो सरकारी वेबसाइट जेम पोर्टल पर 145000 कीमत पर दर्शाया जा रहा है, उसी एनालाइजर को योगीजी की सरकार 330000 रुपये में खरीद रही है और ऐसा प्रदेश के 20 जिलों में घोटाला हो रहा है. एक-दो पीस नहीं बल्कि कई एनालाइजर खरीदे जा रहे हैं. यह एक बड़े भ्रष्टाचार का मामला है.
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हाईकोर्ट के सिटिंग जज से कराई जाए जांच
संजय सिंह ने कहा कि एक बड़ा कोरोना घोटाले का मामला है. यह श्मशान में दलाली खाने के समान है और इसलिए एसआईटी की जांच से इसमें कुछ भी हासिल होने वाला नहीं है. योगी सरकार खुद इस भ्रष्टाचार में शामिल है. बड़े पैमाने पर सरकार और शासन के बड़े अधिकारी और जिले के अधिकारी शामिल हैं, तो कम से कम इस पूरे मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए. जिसके लिए मैंने पहले भी चिट्ठी लिखी है अथवा हाईकोर्ट के सिटिंग जज से एसआईटी बनाकर इसकी जांच कराई जानी चाहिए.
संजय सिंह ने कहा कि घोटाले में मात्र दो डीपीआरओ अभी तक सस्पेंड किए गए हैं. वह बलि का बकरा बनाए गए हैं. इसमें ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार है तो दो डीपीआरओ के सस्पेंशन की कार्रवाई ऊंट के मुंह में जीरा है.