लखनऊ: केंद्रीय जांच ब्यूरो ने उत्तर प्रदेश में बसपा सरकार के दौरान उत्तर प्रदेश राज्य चीनी निगम लिमिटेड की चीनी मिलों की बिक्री में हुए घोटाले में मुकदमा दर्ज किया है. सीबीआई ने बसपा के पूर्व एमएलसी मोहम्मद इकबाल के दो बेटों समेत सात लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 468, 471, 477 (ए) और कंपनी एक्ट 1956 की धारा 629 (ए) के तहत मुकदमा दर्ज किया है.
सीबीआई की लखनऊ एंटी करप्शन ब्रांच में यह मुकदमा दर्ज किया गया है. इसकी जांच इंस्पेक्टर संदीप कुमार पांडे को सौंपी गई है. पहला मुकदमा सात नवंबर 2017 को लखनऊ के गोमतीनगर थाने में दर्ज कराया गया था. यह मुकदमा उत्तर प्रदेश राज्य चीनी निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक एसके मेहरा ने दर्ज कराया था.
उनकी ओर से दी गई तहरीर में गंभीर कपट अन्वेषण संगठन (एसएफआइओ) की जांच में सामने आए तथ्यों को आधार बनाया गया था. इस संगठन ने चीनी मिलों की बिक्री में व्यापक अनियमितता बरते जाने का खुलासा किया था. बाद में इस प्रकरण की जांच सीबीआई को सौंपी जाने की सिफारिश की गई थी.
ये लोग हुए नामजद
मुकदमे में सेक्टर 56 रोहिणी निवासी राकेश शर्मा पुत्र स्वर्गीय केडी शर्मा, एटीएस इंदिरापुरम गाजियाबाद निवासी धर्मेंद्र गुप्ता पुत्र सुरेंद्र गुप्ता, साउथ सिटी सहारनपुर निवासी सौरभ मुकुंद पुत्र मोहनलाल, मिर्जापुर पोल 3 सहारनपुर निवासी मोहम्मद जावेद पुत्र मोहम्मद इकबाल, मिर्जापुर पोल तहसील बेहट सहारनपुर निवासी मोहम्मद नसीम अहमद पुत्र अब्दुल गफ्फार, मिर्जापुर पोल तहसील बेहट सहारनपुर निवासी मोहम्मद वाजिद पुत्र मोहम्मद इकबाल और सेक्टर 56 रोहिणी दिल्ली निवासी सुमन शर्मा पत्नी राकेश शर्मा को नामजद किया है.
जांच की आंच में आएंगे करीब दो दर्जन आईएएस अधिकारी
निगम की 123 चीनी मिलों को बेचने में करीब 29 आईएएस अधिकारियों पर गाज गिर सकती है. इसमें चीनी मिल बेचने वाले तत्कालीन डीएम पर भी कार्यवाही हो सकती है. शासन स्तर पर आठ आईएएस अफसर भी शामिल थे. ज्यादातर शशांक शेखर के करीबी आईएएस अफसर थे, जिनपर कार्रवाई तय मानी जा रही है. बसपा सुप्रीमो मायावती के बेहद करीबी शशांक शेखर उस वक्त कैबिनेट सचिव हुआ करते थे.
प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने 12 अप्रैल 2018 को केंद्र को पत्र लिखकर चीनी मिलों की बिक्री के मामले की जांच सीबीआई से कराने का अनुरोध किया था. यह चीनी मिलें देवरिया, बरेली, लक्ष्मीगंज, हरदोई, रामकोला, छितौनी और बाराबंकी में स्थित है.
राजनीतिक मायने
चीनी मिल घोटाले की सीबीआई द्वारा एफआईआर दर्ज किए जाने का मामला राजनीति से जोड़कर देखा जाना तय माना जा रहा है. दरअसल उत्तर प्रदेश में 2017 में भाजपा की सरकार आने के बाद से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चीनी मिल बेचने को लेकर लगातार बसपा सुप्रीमो पर हमलावर रहे हैं. उन्होंने सदन से लेकर चुनावी सभाओं तक चीनी मिलों को बेचने का आरोप बसपा सुप्रीमो पर लगाते रहे हैं.