लखनऊः क्रिसमस की तैयारियां हर जगह जोरों-शोरों पर चल रही हैं. राजधानी लखनऊ व देश-विदेशों में भी चर्च दुल्हन की तरह सज रहे हैं. राजधानी लखनऊ में तो 50 से ज्यादा छोटे-बड़े चर्च मौजूद हैं. लेकिन इनमें से सबसे अलग लखनऊ की कैथेड्रल चर्च है. यह चर्च अपने इतिहास के साथ-साथ अपने आकार के लिए भी विशेष है.
राजधानी की एक चर्च का इतिहास और आकार अद्भुत, जानें सबकुछ...
राजधानी लखनऊ में यूं तो 50 से ज्यादा छोटी-बड़ी चर्च बनी हुई हैं. लेकिन एक ऐसी चर्च भी है जिसका आकार सबसे अलग व इतिहास सबसे पुराना है. देखें खास रिपोर्ट...
लखनऊ में बना कैथेड्रल चर्च.
लखनऊः क्रिसमस की तैयारियां हर जगह जोरों-शोरों पर चल रही हैं. राजधानी लखनऊ व देश-विदेशों में भी चर्च दुल्हन की तरह सज रहे हैं. राजधानी लखनऊ में तो 50 से ज्यादा छोटे-बड़े चर्च मौजूद हैं. लेकिन इनमें से सबसे अलग लखनऊ की कैथेड्रल चर्च है. यह चर्च अपने इतिहास के साथ-साथ अपने आकार के लिए भी विशेष है.
कैथेड्रल चर्च के फादर डोनल्ड डिसूजा ने बताया कि इस चर्च का निर्माण अंग्रेजों के राज में 1860 में किया गया था. उन्होंने बताया कि उस समय आयरलैंड के सैनिक भारत आया करते थे. इस दौरान कैथोलिक क्रिश्चियन के पादरियों ने आयरलैंड के सैनिकों की देखरेख के लिए छोटे-छोटे चर्च बनाना शुरू किया. राजधानी लखनऊ में भी एक छोटी सी जगह को खरीद कर फादर ग्रीसन ने इस चर्च का निर्माण किया.
1970 में हुआ चर्च का पुनर्निर्माणकैथ्रेडल चर्च के फादर डोनाल्ड डिसूजा ने बताया कि 1860 के दशक में क्रिश्चियन कम्युनिटी की शुरुआत राजधानी लखनऊ में हुई. उस वक्त लखनऊ में क्रिश्चियन की काफी कम संख्या थी. लखनऊ में लगभग 110 साल के अंतराल में क्रिश्चियन कम्युनिटी की संख्या बढ़ी, जिसकी वजह से इस चर्च को तोड़कर 1970 में दोबारा से बनाया गया. वर्तमान में इस चर्च में 800 से 900 लोग एक साथ प्रेयर कर सकते हैं.
बोट के आकार में है चर्च
लखनऊ में कैथेड्रल चर्च एकमात्र ऐसी चर्च है जो बोट के आकार में बनी हुई है. फादर डोनल्ड डिसूजा ने बताया कि क्रिश्चियन कम्युनिटी के अध्यात्म में यह बात लिखी गई है कि जितनी भी चर्च होती है वह एक नाव होती है. नाविक ईसा मसीह जो इस चर्च नुमा नाव में सवार लोगों को स्वर्ग की ओर ले जाते हैं. इस वजह से इस चर्च का आकार बोट के आकार का बनाया गया है.
लखनऊ की सबसे पुरानी कैथड्रल चर्च
कैथेड्रल चर्च राजधानी लखनऊ के एकमात्र ऐसी चर्च है जिसका आकार बोट के आकार का है. यह राजधानी की सबसे पुरानी चर्च में से एक है. जिस वक्त लखनऊ में क्रिश्चियन कम्युनिटी की शुरुआत हुई थी उस वक्त इस पहली कैथोलिक चर्च का निर्माण किया गया था.
कैथेड्रल चर्च के फादर डोनल्ड डिसूजा ने बताया कि इस चर्च का निर्माण अंग्रेजों के राज में 1860 में किया गया था. उन्होंने बताया कि उस समय आयरलैंड के सैनिक भारत आया करते थे. इस दौरान कैथोलिक क्रिश्चियन के पादरियों ने आयरलैंड के सैनिकों की देखरेख के लिए छोटे-छोटे चर्च बनाना शुरू किया. राजधानी लखनऊ में भी एक छोटी सी जगह को खरीद कर फादर ग्रीसन ने इस चर्च का निर्माण किया.
1970 में हुआ चर्च का पुनर्निर्माणकैथ्रेडल चर्च के फादर डोनाल्ड डिसूजा ने बताया कि 1860 के दशक में क्रिश्चियन कम्युनिटी की शुरुआत राजधानी लखनऊ में हुई. उस वक्त लखनऊ में क्रिश्चियन की काफी कम संख्या थी. लखनऊ में लगभग 110 साल के अंतराल में क्रिश्चियन कम्युनिटी की संख्या बढ़ी, जिसकी वजह से इस चर्च को तोड़कर 1970 में दोबारा से बनाया गया. वर्तमान में इस चर्च में 800 से 900 लोग एक साथ प्रेयर कर सकते हैं.
बोट के आकार में है चर्च
लखनऊ में कैथेड्रल चर्च एकमात्र ऐसी चर्च है जो बोट के आकार में बनी हुई है. फादर डोनल्ड डिसूजा ने बताया कि क्रिश्चियन कम्युनिटी के अध्यात्म में यह बात लिखी गई है कि जितनी भी चर्च होती है वह एक नाव होती है. नाविक ईसा मसीह जो इस चर्च नुमा नाव में सवार लोगों को स्वर्ग की ओर ले जाते हैं. इस वजह से इस चर्च का आकार बोट के आकार का बनाया गया है.
लखनऊ की सबसे पुरानी कैथड्रल चर्च
कैथेड्रल चर्च राजधानी लखनऊ के एकमात्र ऐसी चर्च है जिसका आकार बोट के आकार का है. यह राजधानी की सबसे पुरानी चर्च में से एक है. जिस वक्त लखनऊ में क्रिश्चियन कम्युनिटी की शुरुआत हुई थी उस वक्त इस पहली कैथोलिक चर्च का निर्माण किया गया था.