लखनऊ : बिहार सरकार ने जातीय जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक कर दिए हैं. इसके बाद राजनीतिक दलों में देश भर में जातीय जनगणना कराने की मांग तेजी पकड़ने लगी है. विभिन्न विपक्षी दल केंद्र सरकार से बिहार की तर्ज पर जातीय जनगणना कराने की मांग कर रहे हैं. बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने बिहार सरकार की तरफ से कराई गई जातीय जनगणना को लेकर ट्वीट किया है. उन्होंने केंद्र सरकार के साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार से भी जातीय जनगणना करने की मांग की है.
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1. बिहार सरकार द्वारा कराए गए जातीय जनगणना के आँकड़े सार्वजनिक होने की खबरें आज काफी सुर्खियों में है तथा उस पर गहन चर्चाएं जारी है। कुछ पार्टियाँ इससे असहज ज़रूर हैं किन्तु बीएसपी के लिए ओबीसी के संवैधानिक हक के लम्बे संघर्ष की यह पहली सीढ़ी है।
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— Mayawati (@Mayawati) October 3, 2023
भाजपा ने साधी चुप्पी, बीजेपी के सहयोगियों और विपक्षी दलों ने उठाई मांग
बिहार में जातीय जनगणना की रिपोर्ट आने के बाद उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने इस विषय पर चुप्पी साध ली है. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने जाति जनगणना कराए जाने पर एक तरफ जहां चुप्पी साध ली है. वहीं बिहार में हुई जाति जनगणना कराए जाने पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं. कहा कि कांग्रेस सपा राजद परिवार की राजनीति करते हैं. विपक्षी दलों के नेता जाति जनगणना के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेक रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी समाज के सभी वर्ग के लोगों को साथ लेकर चलने वाली पार्टी है. जाति जनगणना करने का विषय केंद्र सरकार का है. कोई भी राज्य सरकार जाति जनगणना नहीं करा सकती है. यह विषय केंद्र सरकार से जुड़ा हुआ है. बहरहाल उत्तर प्रदेश में बीजेपी के सहयोगी दल अपना दल, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी निषाद पार्टी जैसे दलों ने जाति जनगणना की मांग की है.
निषाद पार्टी के अध्यक्ष व योगी सरकार में मंत्री संजय निषाद का कहना है कि वर्ष 1961 की सेंसेस के आधार पर ही जनगणना कराई जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि बिहार में नीतीश सरकार जाति जनगणना के नाम पर जातियों को भरमाना चाहती है. इनके वोट को बांटकर ओबीसी और एससी एसटी की संख्या को छोटा करना चाहते हैं. हम चाहते हैं कि संवैधानिक रूप से जनगणना होनी चाहिए. यदि जाति जनगणना करना है तो वर्ष 1961 की सेंसेस के आधार पर ही जाति जनगणना होनी चाहिए.