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हाथरस दुष्कर्म काण्ड के बाद इन वारदातों ने महिला सुरक्षा पर उठाए सवाल

हाथरस में सामूहिक दुष्कर्म की शिकार पीड़िता की मौत हो गई है. इस खबर को आए देर नहीं हुई थी कि प्रयागराज से एक और सामूहिक दुष्कर्म की वारदात का मामला सामने आ गया. इसके बाद से यह कहना मुश्किल सा है कि उत्तर प्रदेश में लड़कियां या महिलाएं कितनी सुरक्षित हैं.

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Published : Sep 30, 2020, 5:33 PM IST

लखनऊ: हाथरस के दरिंदों ने निर्भया कांड जैसी वारदात को अंजाम दिया है. जिसे लेकर लोगों में आक्रोश है और राजनीतिक पार्टियां धरना-प्रदर्शन कर रही हैं. नेताओं में आरोप-प्रत्यारोप चल रहा है और सोशल मीडिया पर लोग अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं. इस बीच उत्तर प्रदेश में बेटियों की सुरक्षा सवालों के घेरे में है.

मंगलवार को जब हाथरस की गैंगरेप पीड़िता ने दिल्ली के अस्पताल में अंतिम सांस ली. वहीं, प्रयागराज में एक और लड़की गैंगरेप का शिकार हो गई. सिर्फ सितंबर के इस मंगलवार की बात करें तो महिलाओं के साथ हो रही हिंसा की जितनी खबरें आईं, उसने यह बता दिया कि उत्तर प्रदेश में सबकुछ ठीक नहीं है.

सत्ता में चाहे जो हो, दावे कितने भी किए जाते रहे हों, लेकिन यूपी में किसी भी उम्र की लड़की या महिला कहीं भी सुरक्षित नहीं महसूस कर रही. शायद शासन और समाज दोनों ही बेटियों को सुरक्षित जिंदगी का भरोसा दे पाने में फेल हो गया है.

कानपुर की बात करें तो वहां किशोरी ने शोहदे के खौफ में आकर अपना घर ही छोड़ दिया. प्रशासन तक छेड़खानी की शिकायत पहुंची तो थी मगर कुम्भकर्णी नींद में सोई पुलिस ने बस कार्रवाई के नाम पर चालान काटकर छोड़ दिया. नतीजा ये हुआ कि मनचले से तंग आकर किशोरी ने अपना घर ही छोड़ दिया.

ये दौर यहां थमता नहीं दिखा. एक और वारदात सामने आई गाजीपुर से जहां एक ग्राम प्रधान एक युवक को धमकाकर उसकी पत्नी के साथ दुषकर्म किया करता था. पुलिस कार्रवाई करने की बात तो कह रही है, मगर इसका पता नहीं कि आखिर कब तक पीड़िता को न्याय मिलेगा.

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के राज में बेटियां कितनी सुरक्षित हैं यह सामने है. बेटी पढ़ाओ बेटी बचाव से पहले बेटी बचाव को अगर ध्यान दिया जाए तो शायद कई बेटियों कि जिंदगी बच जाएगी और वो दरिंदगी की भेंट नहीं चढ़ेंगी.

लखनऊ: हाथरस के दरिंदों ने निर्भया कांड जैसी वारदात को अंजाम दिया है. जिसे लेकर लोगों में आक्रोश है और राजनीतिक पार्टियां धरना-प्रदर्शन कर रही हैं. नेताओं में आरोप-प्रत्यारोप चल रहा है और सोशल मीडिया पर लोग अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं. इस बीच उत्तर प्रदेश में बेटियों की सुरक्षा सवालों के घेरे में है.

मंगलवार को जब हाथरस की गैंगरेप पीड़िता ने दिल्ली के अस्पताल में अंतिम सांस ली. वहीं, प्रयागराज में एक और लड़की गैंगरेप का शिकार हो गई. सिर्फ सितंबर के इस मंगलवार की बात करें तो महिलाओं के साथ हो रही हिंसा की जितनी खबरें आईं, उसने यह बता दिया कि उत्तर प्रदेश में सबकुछ ठीक नहीं है.

सत्ता में चाहे जो हो, दावे कितने भी किए जाते रहे हों, लेकिन यूपी में किसी भी उम्र की लड़की या महिला कहीं भी सुरक्षित नहीं महसूस कर रही. शायद शासन और समाज दोनों ही बेटियों को सुरक्षित जिंदगी का भरोसा दे पाने में फेल हो गया है.

कानपुर की बात करें तो वहां किशोरी ने शोहदे के खौफ में आकर अपना घर ही छोड़ दिया. प्रशासन तक छेड़खानी की शिकायत पहुंची तो थी मगर कुम्भकर्णी नींद में सोई पुलिस ने बस कार्रवाई के नाम पर चालान काटकर छोड़ दिया. नतीजा ये हुआ कि मनचले से तंग आकर किशोरी ने अपना घर ही छोड़ दिया.

ये दौर यहां थमता नहीं दिखा. एक और वारदात सामने आई गाजीपुर से जहां एक ग्राम प्रधान एक युवक को धमकाकर उसकी पत्नी के साथ दुषकर्म किया करता था. पुलिस कार्रवाई करने की बात तो कह रही है, मगर इसका पता नहीं कि आखिर कब तक पीड़िता को न्याय मिलेगा.

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के राज में बेटियां कितनी सुरक्षित हैं यह सामने है. बेटी पढ़ाओ बेटी बचाव से पहले बेटी बचाव को अगर ध्यान दिया जाए तो शायद कई बेटियों कि जिंदगी बच जाएगी और वो दरिंदगी की भेंट नहीं चढ़ेंगी.

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