लखनऊ: भारतीय रेलवे में किए गए काम के बकाया बिल को पास कराने के लिए भारतीय रेलवे सेवा (Indian Railway Service) के वरिष्ठ अधिकारी आलोक मिश्र को अस्सी हजार रुपये की रिश्वत देने के मामले में अभियुक्त मंजीत सिंह की दूसरी जमानत अर्जी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश (सीबीआई) अजय विक्रम सिंह ने खारिज कर दिया है.
कोर्ट में सीबीआई के वकील ने तर्क दिया कि अभियुक्त मंजीत की पहली जमानत अर्जी को दोनो पक्षों को सुनने के बाद के बाद खारिज कर दिया गया था. कोर्ट में बताया गया कि यह मामला नार्दन रेलवे के डिप्टी सीएमएम आलोक मिश्रा, अवनीश मिश्रा और ठेकेदार मंजीत सिंह के खिलाफ दर्ज किया गया है. दलील दी गई कि एक आपराधिक षडयंत्र के तहत आलोक मिश्रा ने सह अभियुक्त अवनीश मिश्रा के जरिए मंजित सिंह के द्वारा रेलवे में किए गए काम के लम्बित बिल को पास करने के एवज में रिश्वत की मांग की थी, जिस पर आरोपी मंजीत ने अवनीश मिश्र के जरिए अभियुक्त आलोक मिश्रा को अस्सी हजार रुपये दिए थे, जिसे सीबीआई ने कार्यवाही के दौरान आलोक मिश्रा की ही दराज से बरामद कर लिया था.
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सीबीआई की ओर से कहा गया कि मामले में अभियुक्त मंजीत सिंह के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिले हैं, इसके साथ ही ऐसे गवाह भी हैं, जिन्होंने रिश्वत के इस लेनदेन को अपनी आंखों से देखा है.