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प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए प्रयास न करने को लेकर ऋषिता डेवलपर पर मुकदमा

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बढ़ते प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. इसी क्रम में राजधानी के बिल्डरों को प्रदूषण रोकने के प्रयास करने के निर्देश दिए गए थे. वहीं इस निर्देश की अवहेलना के चलते यूपीपीसीबी ने ऋषिता डेवलपर और उसके निदेशक पर मुकदमा दायर किया है.

प्रदूषण पर नियंत्रण
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Published : Nov 24, 2020, 2:07 PM IST

लखनऊ: बीते दिनों राजधानी की हवा काफी जहरीली हो गई थी. लखनऊ में वायु प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा था. इसी को ध्यान में रखते हुए लखनऊ के कई बिल्डरों को प्रदूषण रोकने के लिए प्रयास करने की सख्त हिदायत दी गई थी. इसी कड़ी में ऋषिता डेवलपर को भी चेतावनी दी गई थी. लेकिन इस संस्था की ओर से लगातार इन आदेशों की अवहेलना की गई. इसके बाद अब उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की तरफ से सीबीआई कोर्ट में ऋषिता डेवलपर और उनके निदेशक के खिलाफ मुकदमा दायर किया गया है.

लगातार तीन नोटिस के बाद भी सुधरे नहीं हालात

बीते दिनों उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की तरफ से ऋषिता डेवलपर को अपनी साइट निर्माण के दौरान दौरान वायु प्रदूषण को रोकने को लेकर के प्रयास करने के लिए कहा गया था. ऋषिता डेवलपर के द्वारा इन आदेशों की अवहेलना की गई. इसके बाद शहर में हवा की खराब होती गुणवत्ता के सुधार में कोई प्रयास न करने और क्षतिपूर्ति जमा करने के लिए जारी कारण बताओ नोटिस का जवाब न देने पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बड़ी कार्रवाई की है. ऋषिता डेवलपर और उसके निदेशक के खिलाफ सीबीआई कोर्ट में मुकदमा दाखिल कर दिया गया है.

सीबीआई कोर्ट में किए गए मुकदमे में कंपनी को वादी बनाया गया है. सुलतानपुर रोड पर कंपनी की साइट चल रही है. यहां पर कई मंजिला अपार्टमेंट बनाया जा रहा है. इसी दौरान उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा साइट का निरीक्षण किया गया. निरीक्षण में पाया गया कि यहां पर प्रदूषण को रोकने के लिए कोई भी उपाय नहीं किए गए हैं. इसके बाद उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की तरफ से तीन बार नोटिस जारी कर व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए चेतावनी दी गई थी.

बीते 11 नवंबर को बोर्ड के अभियंताओं ने फिर से निरीक्षण किया, तो वहां पर प्रदूषण पर नियंत्रण का कोई उपाय नहीं मिला. इस पर 13 नवंबर को कारण बताओ नोटिस दिया गया. उसमें 22 अक्टूबर से व्यवस्था दुरुस्त करने तक 23 हजार रुपये प्रतिदिन की दर से क्षतिपूर्ति लगाने की चेतावनी दी गई थी. संस्था ने इस नोटिस को गंभीरता से नहीं लिया. इसके बाद अब उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की तरफ से इस पूरे मामले पर कड़ी कार्रवाई करते हुए सीबीआई कोर्ट में संस्था के खिलाफ सीबीआई कोर्ट में मुकदमा कर दिया है.

इस पूरे मामले पर उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के पर्यावरण अभियंता आशुतोष पांडे ने बताया कि इस मामले में कंपनी की तरफ से लगातार उल्लंघन किया जा रहा था, जिसके बाद अब सीबीआई कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी गई है.

लखनऊ: बीते दिनों राजधानी की हवा काफी जहरीली हो गई थी. लखनऊ में वायु प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा था. इसी को ध्यान में रखते हुए लखनऊ के कई बिल्डरों को प्रदूषण रोकने के लिए प्रयास करने की सख्त हिदायत दी गई थी. इसी कड़ी में ऋषिता डेवलपर को भी चेतावनी दी गई थी. लेकिन इस संस्था की ओर से लगातार इन आदेशों की अवहेलना की गई. इसके बाद अब उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की तरफ से सीबीआई कोर्ट में ऋषिता डेवलपर और उनके निदेशक के खिलाफ मुकदमा दायर किया गया है.

लगातार तीन नोटिस के बाद भी सुधरे नहीं हालात

बीते दिनों उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की तरफ से ऋषिता डेवलपर को अपनी साइट निर्माण के दौरान दौरान वायु प्रदूषण को रोकने को लेकर के प्रयास करने के लिए कहा गया था. ऋषिता डेवलपर के द्वारा इन आदेशों की अवहेलना की गई. इसके बाद शहर में हवा की खराब होती गुणवत्ता के सुधार में कोई प्रयास न करने और क्षतिपूर्ति जमा करने के लिए जारी कारण बताओ नोटिस का जवाब न देने पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बड़ी कार्रवाई की है. ऋषिता डेवलपर और उसके निदेशक के खिलाफ सीबीआई कोर्ट में मुकदमा दाखिल कर दिया गया है.

सीबीआई कोर्ट में किए गए मुकदमे में कंपनी को वादी बनाया गया है. सुलतानपुर रोड पर कंपनी की साइट चल रही है. यहां पर कई मंजिला अपार्टमेंट बनाया जा रहा है. इसी दौरान उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा साइट का निरीक्षण किया गया. निरीक्षण में पाया गया कि यहां पर प्रदूषण को रोकने के लिए कोई भी उपाय नहीं किए गए हैं. इसके बाद उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की तरफ से तीन बार नोटिस जारी कर व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए चेतावनी दी गई थी.

बीते 11 नवंबर को बोर्ड के अभियंताओं ने फिर से निरीक्षण किया, तो वहां पर प्रदूषण पर नियंत्रण का कोई उपाय नहीं मिला. इस पर 13 नवंबर को कारण बताओ नोटिस दिया गया. उसमें 22 अक्टूबर से व्यवस्था दुरुस्त करने तक 23 हजार रुपये प्रतिदिन की दर से क्षतिपूर्ति लगाने की चेतावनी दी गई थी. संस्था ने इस नोटिस को गंभीरता से नहीं लिया. इसके बाद अब उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की तरफ से इस पूरे मामले पर कड़ी कार्रवाई करते हुए सीबीआई कोर्ट में संस्था के खिलाफ सीबीआई कोर्ट में मुकदमा कर दिया है.

इस पूरे मामले पर उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के पर्यावरण अभियंता आशुतोष पांडे ने बताया कि इस मामले में कंपनी की तरफ से लगातार उल्लंघन किया जा रहा था, जिसके बाद अब सीबीआई कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी गई है.

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