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फ़ैज़ और जमाल की जोड़ी कर रही 10 दिन के तोते के बच्चों की देखभाल

तस्करों के चंगुल से छुड़ाए गए तोतों और उनके बच्चों की देखभाल फॉरेस्ट ऑफिसर और वन्यजीवों की देखभाल करने वाले फैज कर रहे हैं. खाना खिलाने का पूरा खर्चा भी दोनों अपने पास से देते हैं.

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तोतें के बच्चों की देखभाल
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Published : Mar 24, 2022, 7:59 PM IST

Updated : Mar 24, 2022, 8:08 PM IST

लखनऊ: 'कहां आजाद परिंदों की जिंदगी आसान होती है, कभी बाज से तो कभी शिकारी के जाल से परेशान होती है'. लखनऊ के कुकरैल इलाके में स्थित वन विभाग कार्यालय में करीब ढाई सौ वयस्क तोते व उतने ही 10 दिन के मासूम छोटे बच्चे मौजूद है. इन पंछियों को यूपी एसटीएफ ने बीते 20 मार्च को लखनऊ की नक्खास बाजार से तस्करों के चुंगल से छुड़ाया था. तस्करों को तो जेल भेज दिया गया, वहीं बेजुबान पंछियों को एसटीएफ ने वन विभाग के हवाले कर दिया.

तोतें के बच्चों की देखभाल

सरकारी दस्तावेज में इन मासूम पंछियों को खिलाने-पिलाने के लिए कोई भी प्रावधान नहीं है. ऐसे में वन विभाग में कार्यरत फॉरेस्ट ऑफिसर जमाल खान और वन्यजीवों के लिए कार्य करने वाले फ़ैज़ इनकी देखभाल कर रहे हैं. फैज़ रोजाना जमाल के ऑफिस आते हैं और अपने हाथ से इन छोटे मासूम तोते के बच्चों को सिरिंज से एक-एक कर खाना खिलाते हैं. इनके बच्चों को खाना खिलाने में जितना भी खर्चा आता है, वह जमाल खुद देते हैं.

यह भी पढ़ें:लखनऊ विश्वविद्यालय: नए सत्र में प्रवेश के लिए 2 अप्रैल से शुरू होगा आवेदन

फॉरेस्ट ऑफिसर जमाल के मुताबिक एसटीएफ ने जब पंजाब से इन तोतों को लाकर बेचने वाले तस्करों को गिरफ्तार किया और इनकी जिम्मेदारी वन विभाग को दी तो कोर्ट के आदेश के बाद करीब ढाई सौ व्यस्क तोतों को तो खुले आसमान में छोड़ दिया गया लेकिन उनके बच्चों की देखभाल करने वाला कोई नहीं था. ऐसे में फैज की उनको मदद मिली. अब दोनों लोग मिलकर उन्हें रोजाना खाना खिलाते हैं. उनके मुताबिक एक बच्चे को खाने खिलाने में करीब 5 मिनट का वक्त लगता है. ऐसे में करीब 200 से ज्यादा बच्चों को रोजाना फैज और वह खुद मिलकर खाना खिला रहे हैं.

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लखनऊ: 'कहां आजाद परिंदों की जिंदगी आसान होती है, कभी बाज से तो कभी शिकारी के जाल से परेशान होती है'. लखनऊ के कुकरैल इलाके में स्थित वन विभाग कार्यालय में करीब ढाई सौ वयस्क तोते व उतने ही 10 दिन के मासूम छोटे बच्चे मौजूद है. इन पंछियों को यूपी एसटीएफ ने बीते 20 मार्च को लखनऊ की नक्खास बाजार से तस्करों के चुंगल से छुड़ाया था. तस्करों को तो जेल भेज दिया गया, वहीं बेजुबान पंछियों को एसटीएफ ने वन विभाग के हवाले कर दिया.

तोतें के बच्चों की देखभाल

सरकारी दस्तावेज में इन मासूम पंछियों को खिलाने-पिलाने के लिए कोई भी प्रावधान नहीं है. ऐसे में वन विभाग में कार्यरत फॉरेस्ट ऑफिसर जमाल खान और वन्यजीवों के लिए कार्य करने वाले फ़ैज़ इनकी देखभाल कर रहे हैं. फैज़ रोजाना जमाल के ऑफिस आते हैं और अपने हाथ से इन छोटे मासूम तोते के बच्चों को सिरिंज से एक-एक कर खाना खिलाते हैं. इनके बच्चों को खाना खिलाने में जितना भी खर्चा आता है, वह जमाल खुद देते हैं.

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फॉरेस्ट ऑफिसर जमाल के मुताबिक एसटीएफ ने जब पंजाब से इन तोतों को लाकर बेचने वाले तस्करों को गिरफ्तार किया और इनकी जिम्मेदारी वन विभाग को दी तो कोर्ट के आदेश के बाद करीब ढाई सौ व्यस्क तोतों को तो खुले आसमान में छोड़ दिया गया लेकिन उनके बच्चों की देखभाल करने वाला कोई नहीं था. ऐसे में फैज की उनको मदद मिली. अब दोनों लोग मिलकर उन्हें रोजाना खाना खिलाते हैं. उनके मुताबिक एक बच्चे को खाने खिलाने में करीब 5 मिनट का वक्त लगता है. ऐसे में करीब 200 से ज्यादा बच्चों को रोजाना फैज और वह खुद मिलकर खाना खिला रहे हैं.

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Last Updated : Mar 24, 2022, 8:08 PM IST
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