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धरने पर बैठे शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों की ठंड में बढ़ी मुश्किलें - ministry of basic education

लखनऊ में 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में अपनी मांगों को लेकर अभ्यर्थी धरने पर हैं. एक महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है. अभी सरकार की तरफ से इन अभ्यर्थियों को कोई आश्वासन नहीं मिला है. जिसके चलते अभ्यार्थी लगातार अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे हैं.

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प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों की बढ़ी मुश्किलें
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Published : Jan 10, 2021, 7:33 PM IST

लखनऊः 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में अपनी मांगों को लेकर अभ्यर्थी धरने पर हैं. एक महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है. अभी सरकार की तरफ से इन अभ्यर्थियों को कोई आश्वासन नहीं मिला है. जिसके चलते अभ्यार्थी लगातार अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे हैं. अगर इन अभ्यर्थियों के धरना खत्म करने के बाद की बात करें, तो आखिर बाकी का समय ये अभ्यर्थी कैसे काट रहे हैं और किन-किन परिस्थितियों से ये गुजर रहे है. इसी का जायजा लेने ईटीवी भारत की टीम सीतापुर रोड स्थित बख्शी तालाब पहुंची. जहां देखा गया कि अभ्यर्थी चूल्हे में खाना बना रहे हैं. सभी अभ्यर्थी एक मकान में रुके हुए थे, जो कि वो भी निर्माणाधीन हैं. जिसमें मेन गेट तो है, लेकिन बाकी बचे कमरों में ना तो दरवाजे हैं, न ही खिड़कियां.

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किराए पर कमरे लेकर रात गुजार रहे अभ्यर्थी

किराए के कमरे में रह रहे प्रदर्शनकारी अभ्यर्थी
ईटीवी भारत से बातचीत में अभ्यर्थी बबली पाल ने बताया कि हम लोग अपनी मांगों को लेकर पिछले काफी समय से धरने पर बैठे हुए हैं. धरना खत्म होने के बाद पहले हम लोग रैन बसेरे में रुकते थे. लेकिन रैन बसेरे में भी तीन दिन से ज्यादा नहीं रुकने दिया जा रहा था. इसलिए हम लोगों ने मिलकर एक मकान किराए पर लिया है. जो कि निर्माणाधीन है. उसमें मेन गेट लगा हुआ है, लेकिन न तो यहां पर कोई दरवाजे हैं, न ही खिड़कियां. ठंड होने के चलते अभ्यर्थियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

एक महीने से धरने पर बैठे अभ्यर्थी

ठंड में बिगड़ रही तबीयत
आंबेडकरनगर से आई अभ्यर्थी अल्का चौधरी ने बताया कि हम लोगों की दिन पर दिन हालात खराब होती जा रही है. ज्यादातर प्रदर्शनकारी अस्वस्थ होते जा रहे हैं. शुरू में जब हम लोग आए थे, तब रैन बसेरे में रुक रहे थे, लेकिन वहां पर भी कुछ लोग रैन बसेरे में नशे की हालत में आते थे और अभद्र व्यवहार करते थे. जिसकी वजह से हम लोगों ने रैन बसेरे में रहने की वजाय, एक कमरा किराये पर लिया है, वो भी बड़ी मुश्किल से मिल पाया है. हालांकि निर्माणाधीन मकान होने की वजह से यहां पर किसी तरह की व्यवस्था नहीं है.

छोटी सी चूक के लिए बड़ी सजा
जालौन से आई अभ्यर्थी सुजाता ने बताया कि हम सभी लोग बहुत मध्यम वर्ग के परिवार से हैं. मेरे माता-पिता भी ईट-भट्टे पर मजदूरी का काम करते हैं. बड़ी मुश्किलों से अपने इन दिनों को काट रहे हैं, क्योंकि किसी के पास इतना पैसा नहीं है, जो बराबर खर्च कर पाए. हमारे माता-पिता ने कर्ज लेकर मुझको पढ़ाया है. अभियर्थी का कहना है कि एक छोटी सी गलती की वजह से हम लोगों को इतनी मुसीबत उठानी पड़ रही है.

लखनऊः 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में अपनी मांगों को लेकर अभ्यर्थी धरने पर हैं. एक महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है. अभी सरकार की तरफ से इन अभ्यर्थियों को कोई आश्वासन नहीं मिला है. जिसके चलते अभ्यार्थी लगातार अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे हैं. अगर इन अभ्यर्थियों के धरना खत्म करने के बाद की बात करें, तो आखिर बाकी का समय ये अभ्यर्थी कैसे काट रहे हैं और किन-किन परिस्थितियों से ये गुजर रहे है. इसी का जायजा लेने ईटीवी भारत की टीम सीतापुर रोड स्थित बख्शी तालाब पहुंची. जहां देखा गया कि अभ्यर्थी चूल्हे में खाना बना रहे हैं. सभी अभ्यर्थी एक मकान में रुके हुए थे, जो कि वो भी निर्माणाधीन हैं. जिसमें मेन गेट तो है, लेकिन बाकी बचे कमरों में ना तो दरवाजे हैं, न ही खिड़कियां.

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किराए पर कमरे लेकर रात गुजार रहे अभ्यर्थी

किराए के कमरे में रह रहे प्रदर्शनकारी अभ्यर्थी
ईटीवी भारत से बातचीत में अभ्यर्थी बबली पाल ने बताया कि हम लोग अपनी मांगों को लेकर पिछले काफी समय से धरने पर बैठे हुए हैं. धरना खत्म होने के बाद पहले हम लोग रैन बसेरे में रुकते थे. लेकिन रैन बसेरे में भी तीन दिन से ज्यादा नहीं रुकने दिया जा रहा था. इसलिए हम लोगों ने मिलकर एक मकान किराए पर लिया है. जो कि निर्माणाधीन है. उसमें मेन गेट लगा हुआ है, लेकिन न तो यहां पर कोई दरवाजे हैं, न ही खिड़कियां. ठंड होने के चलते अभ्यर्थियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

एक महीने से धरने पर बैठे अभ्यर्थी

ठंड में बिगड़ रही तबीयत
आंबेडकरनगर से आई अभ्यर्थी अल्का चौधरी ने बताया कि हम लोगों की दिन पर दिन हालात खराब होती जा रही है. ज्यादातर प्रदर्शनकारी अस्वस्थ होते जा रहे हैं. शुरू में जब हम लोग आए थे, तब रैन बसेरे में रुक रहे थे, लेकिन वहां पर भी कुछ लोग रैन बसेरे में नशे की हालत में आते थे और अभद्र व्यवहार करते थे. जिसकी वजह से हम लोगों ने रैन बसेरे में रहने की वजाय, एक कमरा किराये पर लिया है, वो भी बड़ी मुश्किल से मिल पाया है. हालांकि निर्माणाधीन मकान होने की वजह से यहां पर किसी तरह की व्यवस्था नहीं है.

छोटी सी चूक के लिए बड़ी सजा
जालौन से आई अभ्यर्थी सुजाता ने बताया कि हम सभी लोग बहुत मध्यम वर्ग के परिवार से हैं. मेरे माता-पिता भी ईट-भट्टे पर मजदूरी का काम करते हैं. बड़ी मुश्किलों से अपने इन दिनों को काट रहे हैं, क्योंकि किसी के पास इतना पैसा नहीं है, जो बराबर खर्च कर पाए. हमारे माता-पिता ने कर्ज लेकर मुझको पढ़ाया है. अभियर्थी का कहना है कि एक छोटी सी गलती की वजह से हम लोगों को इतनी मुसीबत उठानी पड़ रही है.

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