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90 करोड़ रुपए के कैमरे लगे, फिर भी नहीं शुरू हो सका आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम - लखनऊ में नहीं शुूरू हो सका आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम का काम शुरू हो चुका है. इसी के तहत पिछले वर्ष करीब 90 करोड़ रुपए के कैमरे लगाए गए थे. इन कैमरों से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम का काम भी शुरू होना था पर यह काम एक साल बाद भी नहीं शुरू हो सका है.

ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम
ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम
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Published : Dec 5, 2020, 11:18 AM IST

लखनऊः जिले में सड़क हादसों को कम करने और ट्रैफिक व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस) लागू करने की योजना बनी थी. इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम लखनऊ में लागू किया गया लेकिन इसमें आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस का काम अभी तक शुरू नहीं हो सका है. यहां तक की 90 करोड़ रुपए के कैमरे लगाए गए पर यह आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस में अक्षम साबित हो रहे हैं.

ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम

क्या है आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस
दिल्ली और बेंगलुरु में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से ट्रैफिक का संचालन किया जा रहा है. यहां पर चौराहों पर लगे हुए उच्च क्वालिटी के कैमरों ट्रैफिक के दबाव को भांप लेते हैं और उसी के अनुसार ट्रैफिक सिग्नल को हरा या लाल कर देते हैं. आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस में कैमरे ज्यादा ट्रैफिक देख सिग्नल को हरा कर देते हैं, और जिधर ट्रैफिक कम होता है वहां सिग्नल लाल कर देते हैं. ऐसे में कैमरे में लगे सॉफ्टवेयर के द्वारा ट्रैफिक संचालन में बड़ी मदद मिली है.

लगे 90 करोड़ रुपए के कैमरे
बेंगलुरु की तर्ज पर लखनऊ में भी यही व्यवस्था लागू करने के लिए लखनऊ में पुलिस और ट्रैफिक ने एक प्लान बनाया. जिसके तहत 90 करोड़ का बजट भी स्वीकृत हुआ. इस बजट से शहर के चौराहों पर आधुनिक सिग्नल, एनपीआर कैमरे और कई तरह के बदलाव किए गए. यह पूरा काम टेक्नोसिस कंपनी ने किया. टेक्नोसिस कंपनी ने लखनऊ के चौराहों पर 155 एनपीआर कैमरे लगाए थे. इन कैमरों की मदद से जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को शुरू करना था. ट्रायल में ही यह व्यवस्था फेल साबित हो गई .आज तक यातायात के अधिकारी इस व्यवस्था को राजधानी में शुरू नहीं कर पाए. जबकि इन कैमरों की बदौलत ही इस व्यवस्था से बेंगलुरु जैसी यातायात व्यवस्था की तर्ज पर सुधार की उम्मीद की जा रही थी.

क्या सुविधाएं शुरू
इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस) के तहत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सुविधा बेशक न शुरू हो पाई हो पर ऑनलाइन चालान, नंबर प्लेट को कैमरे से पढ़ने की सुविधा आदि सिस्टम शुरू हो चुका है.

यह रही वजह
विभागीय सूत्रों का कहना है कि यहां लगे कैमरे एक निश्चित दूरी तक वाहनों की संख्या को देख पाते हैं. लखनऊ में चौराहों पर लगने वाले लंबे-लंबे वाहनों की लाइनों को यह कैमरे देख नहीं पा रहे हैं जिसकी वजह से यह व्यवस्था अभी तक नहीं शुरू हो पाई.

की जा रही समीक्षा
एडीजी लॉ एंड आर्डर प्रशांत कुमार ने बताया की यातायात व्यवस्था में बेहतरी के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. वही व्यवस्था की खामियों की भी समीक्षा की जा रही है. राजधानी लखनऊ से आईटीएमएस की शुरुआत हो चुकी है. वहीं अन्य शहरों में भी इसे शुरू किया जाएगा.


लखनऊः जिले में सड़क हादसों को कम करने और ट्रैफिक व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस) लागू करने की योजना बनी थी. इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम लखनऊ में लागू किया गया लेकिन इसमें आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस का काम अभी तक शुरू नहीं हो सका है. यहां तक की 90 करोड़ रुपए के कैमरे लगाए गए पर यह आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस में अक्षम साबित हो रहे हैं.

ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम

क्या है आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस
दिल्ली और बेंगलुरु में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से ट्रैफिक का संचालन किया जा रहा है. यहां पर चौराहों पर लगे हुए उच्च क्वालिटी के कैमरों ट्रैफिक के दबाव को भांप लेते हैं और उसी के अनुसार ट्रैफिक सिग्नल को हरा या लाल कर देते हैं. आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस में कैमरे ज्यादा ट्रैफिक देख सिग्नल को हरा कर देते हैं, और जिधर ट्रैफिक कम होता है वहां सिग्नल लाल कर देते हैं. ऐसे में कैमरे में लगे सॉफ्टवेयर के द्वारा ट्रैफिक संचालन में बड़ी मदद मिली है.

लगे 90 करोड़ रुपए के कैमरे
बेंगलुरु की तर्ज पर लखनऊ में भी यही व्यवस्था लागू करने के लिए लखनऊ में पुलिस और ट्रैफिक ने एक प्लान बनाया. जिसके तहत 90 करोड़ का बजट भी स्वीकृत हुआ. इस बजट से शहर के चौराहों पर आधुनिक सिग्नल, एनपीआर कैमरे और कई तरह के बदलाव किए गए. यह पूरा काम टेक्नोसिस कंपनी ने किया. टेक्नोसिस कंपनी ने लखनऊ के चौराहों पर 155 एनपीआर कैमरे लगाए थे. इन कैमरों की मदद से जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को शुरू करना था. ट्रायल में ही यह व्यवस्था फेल साबित हो गई .आज तक यातायात के अधिकारी इस व्यवस्था को राजधानी में शुरू नहीं कर पाए. जबकि इन कैमरों की बदौलत ही इस व्यवस्था से बेंगलुरु जैसी यातायात व्यवस्था की तर्ज पर सुधार की उम्मीद की जा रही थी.

क्या सुविधाएं शुरू
इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस) के तहत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सुविधा बेशक न शुरू हो पाई हो पर ऑनलाइन चालान, नंबर प्लेट को कैमरे से पढ़ने की सुविधा आदि सिस्टम शुरू हो चुका है.

यह रही वजह
विभागीय सूत्रों का कहना है कि यहां लगे कैमरे एक निश्चित दूरी तक वाहनों की संख्या को देख पाते हैं. लखनऊ में चौराहों पर लगने वाले लंबे-लंबे वाहनों की लाइनों को यह कैमरे देख नहीं पा रहे हैं जिसकी वजह से यह व्यवस्था अभी तक नहीं शुरू हो पाई.

की जा रही समीक्षा
एडीजी लॉ एंड आर्डर प्रशांत कुमार ने बताया की यातायात व्यवस्था में बेहतरी के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. वही व्यवस्था की खामियों की भी समीक्षा की जा रही है. राजधानी लखनऊ से आईटीएमएस की शुरुआत हो चुकी है. वहीं अन्य शहरों में भी इसे शुरू किया जाएगा.


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