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AIS Code को दरकिनार कर बस मालिक कर रहे बॉडी में बड़ा 'खेल', अब ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के रडार पर - परिवहन विभाग

राजधानी में प्राइवेट बसों की बाॅडी में परिवर्तन को लेकर (AIS Code) मामले सामने आए हैं. जिसके बाद परिवहन विभाग (Transport Department) ऐसी बसों को लेकर अभियान चलाता है. बसों की बाॅडी में परिवर्तन के चलते पलटने का भी खतरा रहता है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 28, 2023, 6:57 PM IST

Updated : Sep 29, 2023, 3:19 PM IST

देखें पूरी खबर

लखनऊ : प्राइवेट बस के मालिक एआईएस 052 कोड को दरकिनार कर (AIS Code) बस बॉडी में बड़ा 'खेल' कर रहे हैं. ओरिजनल बस में जितनी सीटें होनी चाहिए उससे ज्यादा सीटें बढ़ाकर बसों का संचालन कर रहे हैं. इससे उनकी कमाई में इजाफा हो रहा है. ऐसी बसों को परिवहन विभाग (Transport Department) के अधिकारियों ने चेकिंग के दौरान पकड़ा है. सामने आया कि जितनी सीटों के लिए बस रजिस्टर्ड है उससे कहीं ज्यादा सवारियां बसों में ढोई जा रही हैं. बस की बॉडी में ही बस मालिकों ने परिवर्तन कर लिया. सड़क पर संचालन भी कर रहे हैं और जिम्मेदार बेखबर भी हैं. सवाल यह भी उठना है कि इन बसों की फिटनेस कैसे हो जाती है?





परिवहन विभाग की तरफ से समय-समय पर अनाधिकृत वाहनों के खिलाफ चेकिंग अभियान (AIS Code) चलाया जाता है. चेकिंग अभियान के दौरान परिवहन विभाग के अधिकारियों को लंबी दूरी की कई बसें संचालित हुई मिलती हैं. जब जांच की जाती है तो अधिकारी आश्चर्यचकित रह जाते हैं. बस में भूसे की तरह सवारियां भरी होती हैं. 52 सीट की बस में 135 सवारी तक ले जाते हैं. जब बस की मूल डिजाइन में परिवर्तन कर अपने फायदे के लिए बस संचालक बसों में सीटें बढ़ा लेते हैं, ये उनकी अतिरिक्त कमाई का जरिया बन जाता है, लेकिन यात्रियों की जान से खिलवाड़ होना शुरू हो जाता है. कारण है कि बस बॉडी जिस मानक पर पास की गई है. उसकी क्षमता से अधिक भार ढोने पर दुर्घटना का खतरा बढ़ जाता है. ऐसी कई बसें विभागीय अधिकारियों ने अभियान में पकड़ी है जो निर्धारित बस बॉडी से अलग ही आकर लिए हुए हैं. कई बसों को थानों में और वर्कशॉप में बंद किया गया है.

बस के पलटने का रहता है खतरा
बस के पलटने का रहता है खतरा


क्या होता है व्हीलबेस? : व्हीलबेस अगले पहिये से पिछले पहिये की दूरी को कहते हैं. उदाहरणस्वरूप किसी बस की लंबाई 55×45 है तो इस हिसाब से सीटे तय होती है जैसे वातानुकूलित है तो 42 सीट 2×2 की होंगी. साधारण बसों में 50 से 52 होंगी.

ओवर हैड क्या है? : बसों में व्हीलबेस से 60 प्रतिशत अतिरिक्त बॉडी का निर्माण कर सकते हैं. उससे ज्यादा की लंबाई चौड़ाई ओवरहैंड कहलाती हैं.

संदीप कुमार पंकज, आरटीओ (प्रवर्तन), लखनऊ
संदीप कुमार पंकज, आरटीओ (प्रवर्तन), लखनऊ

क्या है जुर्माने का प्रावधान? : अगर बस की बॉडी मानक के अनुरूप नहीं बनी है तो चेकिंग के दौरान वाहन में सीट की गिनती के बाद जितनी बढ़ीं सीटें होती हैं उसका जुर्माना प्रति सीट प्रतिमाह के हिसाब से बस की नवीन फिटनेस तिथि से पकड़े जाने वाली तिथि तक वसूला जाता है. अगर वाहन में सीटें अधिक हैं तो उस बस की सीटों का निर्धारित टैक्स फिटनेस से पकड़े जाने की तिथि तक हर माह के हिसाब से वसूला जाएगा. जैसे जो वाहन एक माह पूर्व इन्हीं आरोपों में पकड़ा गया है तो उस स्थिति में वाहन को रिलीज तिथि से पकड़े जाने की तिथि तक टैक्स देना होता है. अगर केवल बस की बॉडी मानक से ज्यादा है सीटें नहीं बढ़ी हैं उस स्थिति में पांच हजार रुपये का जुर्माना लगता है. सीटों के बने जुर्माने पर 25 प्रतिशत पेनाल्टी लगती है.


क्या होती है विभागीय कार्रवाई? : रीजनल अथॉरिटी को पत्र भेजकर सूचित करते हैं कि वाहन नियमों के विपरीत बना है. इस पर सुसंगत धाराओं में कार्रवाई की जाए. धारा 86 के तहत परमिट निरस्त किया जाए.

यह भी पढ़ें : ओवर स्पीड स्कूल वैन अब बन सकती है स्कूल की मान्यता रद्द होने की वजह, जानिए कितने समय में स्कूल पहुंचाने होंगे बच्चे

यह भी पढ़ें : परिवहन विभाग जारी करेगा नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड, पेमेंट के अलावा कर सकेंगे काशी और अयोध्या के दर्शन

क्या कहते हैं अधिकारी : लखनऊ के आरटीओ (प्रवर्तन) संदीप कुमार पंकज बताते हैं कि 'परिवहन विभाग की तरफ से अनाधिकृत वाहनों के खिलाफ अभियान चलाया जाता है. इस अभियान में पिछले दिनों कई बसें ऐसी पकड़ी गईं जो मानकों का उल्लंघन कर रही थीं. इन्हें थाने में बंद कराया गया. नादरगंज स्थित रोडवेज वर्कशॉप में बंद की गई हैं. ऐसी बसों को पकड़े जाने के बाद इनका एसेसमेंट किया जाता है. हमारे विभाग के रीजनल इंस्पेक्टर (टेक्निकल) बस का टेक्निकल इंस्पेक्शन करते हैं. अगर कोई वाहन या कोई भी बस एआईएस कोड के तहत अनुमन्य चेसिस पर बनी है तो उसका हम सामान्य चालान करते हैं. उसका जुर्माना जमा करके छोड़ देते हैं, लेकिन आरआई (टेक्निकल) इंस्पेक्शन में अगर उसे वहां की चेसिस एआईएस मानक के अनुसार नहीं है या बढ़ी हुई है तो उसे वहां के ओवरहैंड होने की संभावना बनी रहती है, उस पर अधिक सीट का टैक्स एसेस करके उसकी मूल रजिस्टरिंग अथॉरिटी को सूचित करते हैं और बोलते हैं कि यह गलत है. फिटनेस करने के लिए कहा जाता है और धारा 86 के अंतर्गत आरटीओ को रिक्वेस्ट भेजते हैं कि इनका परमिट सस्पेंड किया जाए. धारा 86 के अंतर्गत इनका परमिट शर्तों के विरुद्ध संचालन करने पर परमिट निरस्त करने की संस्कृति करते हैं.'

यह भी पढ़ें : Transport Department : परिवहन विभाग के पांच अधिकारियों का प्रमोशन, इन्हें मिली यह जिम्मेदारी

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लखनऊ : प्राइवेट बस के मालिक एआईएस 052 कोड को दरकिनार कर (AIS Code) बस बॉडी में बड़ा 'खेल' कर रहे हैं. ओरिजनल बस में जितनी सीटें होनी चाहिए उससे ज्यादा सीटें बढ़ाकर बसों का संचालन कर रहे हैं. इससे उनकी कमाई में इजाफा हो रहा है. ऐसी बसों को परिवहन विभाग (Transport Department) के अधिकारियों ने चेकिंग के दौरान पकड़ा है. सामने आया कि जितनी सीटों के लिए बस रजिस्टर्ड है उससे कहीं ज्यादा सवारियां बसों में ढोई जा रही हैं. बस की बॉडी में ही बस मालिकों ने परिवर्तन कर लिया. सड़क पर संचालन भी कर रहे हैं और जिम्मेदार बेखबर भी हैं. सवाल यह भी उठना है कि इन बसों की फिटनेस कैसे हो जाती है?





परिवहन विभाग की तरफ से समय-समय पर अनाधिकृत वाहनों के खिलाफ चेकिंग अभियान (AIS Code) चलाया जाता है. चेकिंग अभियान के दौरान परिवहन विभाग के अधिकारियों को लंबी दूरी की कई बसें संचालित हुई मिलती हैं. जब जांच की जाती है तो अधिकारी आश्चर्यचकित रह जाते हैं. बस में भूसे की तरह सवारियां भरी होती हैं. 52 सीट की बस में 135 सवारी तक ले जाते हैं. जब बस की मूल डिजाइन में परिवर्तन कर अपने फायदे के लिए बस संचालक बसों में सीटें बढ़ा लेते हैं, ये उनकी अतिरिक्त कमाई का जरिया बन जाता है, लेकिन यात्रियों की जान से खिलवाड़ होना शुरू हो जाता है. कारण है कि बस बॉडी जिस मानक पर पास की गई है. उसकी क्षमता से अधिक भार ढोने पर दुर्घटना का खतरा बढ़ जाता है. ऐसी कई बसें विभागीय अधिकारियों ने अभियान में पकड़ी है जो निर्धारित बस बॉडी से अलग ही आकर लिए हुए हैं. कई बसों को थानों में और वर्कशॉप में बंद किया गया है.

बस के पलटने का रहता है खतरा
बस के पलटने का रहता है खतरा


क्या होता है व्हीलबेस? : व्हीलबेस अगले पहिये से पिछले पहिये की दूरी को कहते हैं. उदाहरणस्वरूप किसी बस की लंबाई 55×45 है तो इस हिसाब से सीटे तय होती है जैसे वातानुकूलित है तो 42 सीट 2×2 की होंगी. साधारण बसों में 50 से 52 होंगी.

ओवर हैड क्या है? : बसों में व्हीलबेस से 60 प्रतिशत अतिरिक्त बॉडी का निर्माण कर सकते हैं. उससे ज्यादा की लंबाई चौड़ाई ओवरहैंड कहलाती हैं.

संदीप कुमार पंकज, आरटीओ (प्रवर्तन), लखनऊ
संदीप कुमार पंकज, आरटीओ (प्रवर्तन), लखनऊ

क्या है जुर्माने का प्रावधान? : अगर बस की बॉडी मानक के अनुरूप नहीं बनी है तो चेकिंग के दौरान वाहन में सीट की गिनती के बाद जितनी बढ़ीं सीटें होती हैं उसका जुर्माना प्रति सीट प्रतिमाह के हिसाब से बस की नवीन फिटनेस तिथि से पकड़े जाने वाली तिथि तक वसूला जाता है. अगर वाहन में सीटें अधिक हैं तो उस बस की सीटों का निर्धारित टैक्स फिटनेस से पकड़े जाने की तिथि तक हर माह के हिसाब से वसूला जाएगा. जैसे जो वाहन एक माह पूर्व इन्हीं आरोपों में पकड़ा गया है तो उस स्थिति में वाहन को रिलीज तिथि से पकड़े जाने की तिथि तक टैक्स देना होता है. अगर केवल बस की बॉडी मानक से ज्यादा है सीटें नहीं बढ़ी हैं उस स्थिति में पांच हजार रुपये का जुर्माना लगता है. सीटों के बने जुर्माने पर 25 प्रतिशत पेनाल्टी लगती है.


क्या होती है विभागीय कार्रवाई? : रीजनल अथॉरिटी को पत्र भेजकर सूचित करते हैं कि वाहन नियमों के विपरीत बना है. इस पर सुसंगत धाराओं में कार्रवाई की जाए. धारा 86 के तहत परमिट निरस्त किया जाए.

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क्या कहते हैं अधिकारी : लखनऊ के आरटीओ (प्रवर्तन) संदीप कुमार पंकज बताते हैं कि 'परिवहन विभाग की तरफ से अनाधिकृत वाहनों के खिलाफ अभियान चलाया जाता है. इस अभियान में पिछले दिनों कई बसें ऐसी पकड़ी गईं जो मानकों का उल्लंघन कर रही थीं. इन्हें थाने में बंद कराया गया. नादरगंज स्थित रोडवेज वर्कशॉप में बंद की गई हैं. ऐसी बसों को पकड़े जाने के बाद इनका एसेसमेंट किया जाता है. हमारे विभाग के रीजनल इंस्पेक्टर (टेक्निकल) बस का टेक्निकल इंस्पेक्शन करते हैं. अगर कोई वाहन या कोई भी बस एआईएस कोड के तहत अनुमन्य चेसिस पर बनी है तो उसका हम सामान्य चालान करते हैं. उसका जुर्माना जमा करके छोड़ देते हैं, लेकिन आरआई (टेक्निकल) इंस्पेक्शन में अगर उसे वहां की चेसिस एआईएस मानक के अनुसार नहीं है या बढ़ी हुई है तो उसे वहां के ओवरहैंड होने की संभावना बनी रहती है, उस पर अधिक सीट का टैक्स एसेस करके उसकी मूल रजिस्टरिंग अथॉरिटी को सूचित करते हैं और बोलते हैं कि यह गलत है. फिटनेस करने के लिए कहा जाता है और धारा 86 के अंतर्गत आरटीओ को रिक्वेस्ट भेजते हैं कि इनका परमिट सस्पेंड किया जाए. धारा 86 के अंतर्गत इनका परमिट शर्तों के विरुद्ध संचालन करने पर परमिट निरस्त करने की संस्कृति करते हैं.'

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Last Updated : Sep 29, 2023, 3:19 PM IST
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