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लखनऊ: अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के बजट में नहीं हुआ कोई इजाफा - आम बजट 2019

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट से मुस्लिम समाज में मायूसी है. अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों का कहना है कि उनके समाज के उत्थान लिए बजट में कुछ भी खास नहीं है.

बजट पर मुस्लिम व्यापारियों की प्रतिक्रिया.
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Published : Jul 5, 2019, 10:33 PM IST

लखनऊ: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को बजट पेश किया. बजट के बाद जनता की अलग-अलग प्रतिक्रिया आ रही हैं. कहीं महंगे हुए साजो सामान से एक वर्ग मायूस है. वहीं इलेक्ट्रॉनिक समान पर कम हुए दामों पर खुशी भी दिख रही है, हालांकि इस बजट में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के लिए पेश की गई रक़म में कोई इज़ाफ़ा नहीं हुआ है, जिससे अल्पसंख्यक समुदाय से अलग-अलग प्रतिक्रिया अब मिलना शुरू हो गई है.

बजट पर मुस्लिम व्यापारियों की प्रतिक्रिया.
  • बजट में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के लिए 4 हज़ार 700 करोड़ रुपये रखे गए हैं.
  • सलमान राइनी का कहना है कि अल्पसंख्यकों का इस बजट में ख्याल नहीं रखा गया है.
  • बीजेपी मुसलमानों पर भरोसा नहीं कर पा रही है.
  • सैफ सिद्दीकी ने नाराज़गी ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा बहुत जरूरी.
  • अबुल हसन हुसैनी का मानना है कि इस बजट में अल्पसंख्यक समुदाय के लिए कुछ भी खास नहीं.

फिलहाल सरकार के इस बजट से मुस्लिम समाज में काफी नाराजगी है. मुस्लिम समाज के व्यापारी वर्ग ने जहां एक ओर बजट में अपने समाज के लिए कुछ खास न होने की बात कही तो वहीं सुरक्षा को लेकर भी सरकार को घेरा.

लखनऊ: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को बजट पेश किया. बजट के बाद जनता की अलग-अलग प्रतिक्रिया आ रही हैं. कहीं महंगे हुए साजो सामान से एक वर्ग मायूस है. वहीं इलेक्ट्रॉनिक समान पर कम हुए दामों पर खुशी भी दिख रही है, हालांकि इस बजट में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के लिए पेश की गई रक़म में कोई इज़ाफ़ा नहीं हुआ है, जिससे अल्पसंख्यक समुदाय से अलग-अलग प्रतिक्रिया अब मिलना शुरू हो गई है.

बजट पर मुस्लिम व्यापारियों की प्रतिक्रिया.
  • बजट में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के लिए 4 हज़ार 700 करोड़ रुपये रखे गए हैं.
  • सलमान राइनी का कहना है कि अल्पसंख्यकों का इस बजट में ख्याल नहीं रखा गया है.
  • बीजेपी मुसलमानों पर भरोसा नहीं कर पा रही है.
  • सैफ सिद्दीकी ने नाराज़गी ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा बहुत जरूरी.
  • अबुल हसन हुसैनी का मानना है कि इस बजट में अल्पसंख्यक समुदाय के लिए कुछ भी खास नहीं.

फिलहाल सरकार के इस बजट से मुस्लिम समाज में काफी नाराजगी है. मुस्लिम समाज के व्यापारी वर्ग ने जहां एक ओर बजट में अपने समाज के लिए कुछ खास न होने की बात कही तो वहीं सुरक्षा को लेकर भी सरकार को घेरा.

Intro:वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा आज पेश हुए बजट पर जनता से अलग अलग प्रतिक्रिया आ रही है कहीं महंगे हुए साजो सामान से एक वर्ग मायूस है तो वहीं इलेक्ट्रॉनिक समान पर कम हुए दामो पर खुशी भी दिख रही है हालांकि इस बजट में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के लिए पेश की गई रक़म में कोई इज़ाफ़ा नही हुआ है जिससे अल्पसंख्यक समुदाय से अलग अलग प्रतिक्रिया अब मिलना शुरू हो गई है।


Body:आपको बता दें गुरुवार को पेश हुए इस बजट में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के लिए 4 हज़ार 700 करोड़ रुपये रखे गए है जो कि इस सरकार के पिछले बजट के ही बराबर है यानी कि अल्पसंख्यक समुदाय के उत्थान के लिए कोई इज़ाफ़ा इस बजट में नही हुआ है। वहीं केंद्र सरकार की मदरसा आधुनिकीकरण स्कीम का बजट भी नही बढ़ाया गया है यानी कि इस योजना का बजट भी 120 करोड़ ही रहा है हालांकि वर्ष 2014-15 में इस स्कीम के लिए सरकार ने 295 करोड़ पास किये थे। जिसपर अब मुस्लिम तबक़े से मायूसी और नाराज़गी देखने को मिल रही है। मुस्लिम तबक़े से आने वाले सलमान राइनी का कहना है की अल्पसंख्यकों का इस बजट में ख्याल नहीं रखा गया है जबकि मुसलमानों ने तो बीजेपी पर भरोसा कर लिया था लेकिन शायद बीजेपी मुसलमानों पर भरोसा नहीं कर पा रही है जो इस बजट में देखने को मिल रहा है। वहीं युवा सैफ का मानना है कि उनको उम्मीद नही है कि सबका साथ सबका विकास अब होगा यहीं नही सैफ सिद्दीकी ने नाराज़गी का इज़हार करते हुए कहा कि 4 या 5 हज़ार करोड़ रुपये अल्पसंख्यकों को देने से कोई फायदा नही होने वाला जबतक समुदाय विशेष को सुरक्षा नहीं दी जाए वहीं दूसरी ओर अबुल हसन हुसैनी का मानना है कि भले ही इस बजट में माइनॉरिटी के लिए इज़ाफ़ा न हुआ हो लेकिन पिछली सरकारों की तरह इस सरकार में बजट का बन्दर बाँट न हो कर पूर्ण बजट आम जनता तक पहुँचता है जिससे पूरे 4700 करोड़ अल्पसंख्यक समाज के उत्थान में लगेंगे और आने वाले दिनों में विशेष तौर से मुस्लिम समाज का कल्याण होगा।

बाइट1- सलमान राईनी, व्यपारी
बाइट2- सैफ सिद्दीकी, युवा
बाइट3- अबुल हसन हुसैनी, व्यपारी


Conclusion:ग़ौरतलब है कि मोदी सरकार की दूसरी पारी के इस पहले बजट से सबकी निगाहें अल्पसंख्यक समाज पर टिकी थी वहीं इस बजट में इज़ाफ़ा न होने के चलते सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास के नारे पर मुस्लिम समाज अब सवाल खड़ा करता हुआ दिखाई दे रहा है।
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