लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती के तीन सांसद लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी को छोड़ दूसरे दल का दामन थाम सकते हैं. इसे लेकर मायावती के मन में हलचल मची हुई है. बहुजन समाज पार्टी के सांसद श्याम सिंह यादव, भारतीय जनता पार्टी की तारीफ कर रहे हैं. सांसद रितेश पांडेय हाल ही में सपा मुखिया अखिलेश यादव से मिल चुके हैं. इसके अलावा मलूक नागर भी भारतीय जनता पार्टी सरकार के बजट की तारीफ कर चुके हैं. यही वजह है कि मायावती को चुनाव से पहले इनके पार्टी से खिसकने का डर सता रहा है.
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती के तीन सांसद वक्त वक्त पर अपने बयानों या फिर विपक्षी दलों के नेताओं के साथ गलबहियां करके पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष की धड़कन बढ़ा रहे हैं. हाल ही में बहुजन समाज पार्टी के सांसद रितेश पांडेय समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ नजर आए थे. इसके बाद से राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा शुरू हो गई कि कहीं लोकसभा चुनाव से पहले रितेश पांडेय बहुजन समाज पार्टी को छोड़कर समाजवादी पार्टी के साथ तो खड़े नहीं नजर आएंगे.
इसके पीछे एक सबसे बड़ी वजह यह भी है कि सांसद रितेश पांडेय के पिता राकेश पांडेय पिछले विधानसभा चुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी छोड़कर समाजवादी पार्टी के साथ आ गए थे और विधायक बने थे. ऐसे में अब पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए कहीं सांसद बेटा भी हाथी की सवारी छोड़कर साइकिल की सवारी न कर ले, मायावती इस ओर नजर बनाए हुए हैं.
इसके अलावा बिजनौर से पार्टी के सांसद मलूक नागर भारतीय जनता पार्टी की सरकार के कदमों की तारीफ करते हुए नजर आते हैं. उन्होंने केंद्र सरकार की तरफ से पेश किए गए बजट को बेहतरीन बताया था. जौनपुर से सांसद श्याम सिंह यादव भी भारतीय जनता पार्टी के कदमों की सराहना करते रहते हैं. बसपा सुप्रीमो के लिए यह तीनों सांसद चिंता का सबब बने हुए हैं.
बता दें कि साल 2012 के विधानसभा चुनाव के बाद से ही बहुजन समाज पार्टी के सितारे गर्दिश में हैं. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2012 में बहुजन समाज पार्टी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई और 2022 की बात करें तो बहुजन समाज पार्टी ने सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे लेकिन 403 विधानसभा सीटों में से सिर्फ एक सीट ही सीट पार्टी के खाते में आई. बलिया की रसड़ा विधानसभा सीट से उमाशंकर सिंह विधायक बनने में सफल हुए.
हालांकि माना जा रहा है कि यह सीट भी बहुजन समाज पार्टी की ताकत से कम उमाशंकर सिंह के चेहरे के चलते ही जीती गई. फिर भी बसपा की एक सीट जरूर गिनी जाएगी. बीते 2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो बहुजन समाज पार्टी ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था जिसमें पार्टी के 10 सांसद चुनाव जीतने में सफल हुए थे, लेकिन चुनाव के बाद ही वक्त वक्त पर बहुजन समाज पार्टी को झटके लगते रहे.
अब 2024 का लोकसभा चुनाव करीब आने को है तो इससे पहले ही पार्टी के कई सांसद अलग-अलग पार्टियों के नेताओं के साथ या फिर बीजेपी सरकार के कदमों की प्रशंसा करते हुए नजर आ रहे हैं. मायावती के लिए ये चिंता का सबब बन रहा है. पहले से ही कमजोर हो रही बहुजन समाज पार्टी को अगर पार्टी के ही नेता झटका देते हैं तो इससे लोकसभा चुनाव में पार्टी को काफी नुकसान हो सकता है.