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मायावती ने कहा, कई राज्यों में बैलेंस ऑफ पावर बनकर उभरी बीएसपी

नई दिल्ली में बसपा सुप्रीमो ने मंगलवार को चार राज्यों में होने वाले विधानसभा आमचुनाव की तैयारी को लेकर बैठक की.

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Published : Jul 26, 2023, 8:08 AM IST

लखनऊ : बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने विभिन्न दलों पर चुनाव के बाद बसपा के विधायकों को तोड़ने का आरोप लगाया है. मायावती ने कहा है कि 'इन साम, दाम, दंड, भेद की राजनीति करने वाली पार्टियों से सतर्क रहने की जरूरत है.' बीएसपी सुप्रीमो ने मंगलवार को नई दिल्ली में छत्तीसगढ़ और तेलंगाना सहित चार राज्यों में होने वाले विधानसभा आमचुनाव की तैयारी को लेकर बैठक की. मध्य प्रदेश के नये उभरते हालात व ताजा राजनीतिक समीकरण पर चर्चा की. पार्टी के जनाधार को बढ़ाने की प्रगति रिपोर्ट लेने के साथ-साथ पूरे प्रदेश में चुनावी तैयारियों और उम्मीदवारों के चयन की गहन समीक्षा की. उन्होंने पदाधिकारियों को ज़रूरी दिशा-निर्देश दिए.



बसपा मुखिया मायावती ने इस दौरान कहा कि 'बीएसपी कई राज्यों में बैलेंस ऑफ पावर बनकर जरूर उभरी है, लेकिन बीएसपी विरोधी जातिवादी तत्व, सरकार बनाने के लोभ में साम, दान, दंड, भेद जैसे घिनौने हथकंडे अपना कर पार्टी के विधायकों को तोड़ लेते हैं, जिससे जनता के साथ विश्वासघात करके घोर स्वार्थी जनविरोधी तत्व सत्ता पर काबिज हो जाते हैं. ऐसा बार-बार होने से बीएसपी मूवमेंट को भी काफी नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि वैसे तो बीएसपी ने उत्तर प्रदेश जैसे विशाल आबादी वाले और राजनीतिक दृष्टि से अति महत्त्वपूर्ण उत्तर प्रदेश में चार बार अपनी सरकार बनाकर डा. भीमराव अम्बेडकर व उनकी अनुयाई संस्थापक कांशीराम के सपनों को जमीनी हकीकत में उतारने के लिए सामाजिक परिवर्तन व आर्थिक मुक्ति का काफी हद तक काम किया है, लेकिन दूसरे राज्यों में भी बैलेंस ऑफ पावर बनकर सरकार में शामिल होकर करोड़ों गरीबों, शोषितों, उपेक्षितों, दलितों व अन्य पिछड़ों आदि के हित व कल्याण के साथ ही उन पर होने वाली जुल्म-ज्यादती व अन्याय-अत्याचार आदि को रोकने का काम भी जरूर किया जा सकता है. ऐसा लोगों का मानना है. मायावती ने कहा कि जल्द होने वाले विधानसभा आमचुनाव के बाद बैलेंस ऑफ पावर बनने पर लोगों की चाहत के हिसाब से सरकार में शामिल होने पर विचार संभव है. ऐसे में राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व तेलंगाना राज्य में इन कमजोर वर्गों व धार्मिक अल्पसंख्यकों में से मुस्लिम समाज का सही संवैधानिक भला तभी हो सकता है जब वहां जनता को हताश व निराश करने वाली "मजबूत व अहंकारी सरकार" नहीं बल्कि गठबंधन की "जनहित को मजबूर सरकार" होगी, जैसा यहां देखने को मिला है.

यह भी पढ़ें : ओम प्रकाश राजभर की जान को खतरा, सुभासपा कार्यालय की बढ़ाई गई सुरक्षा


मायावती ने कहा कि 'राजस्थान व मध्य प्रदेश से गरीबों, दलितों, आदिवासियों, अतिपिछड़ों व धार्मिक अल्पसंख्यकों में से खासकर मुस्लिम व ईसाई समाज के लोगों और उनके संस्थानों पर जुल्म-ज्यादती पर भी सरकारी द्वेष व अन्याय-अत्याचार की खबरें लगातार आती रहती हैं, जो दुखद हैं.'

यह भी पढ़ें : रिटायर्ड इंजीनियर्स ने किया 100 करोड़ का घोटाला, पेंशन की जगह वेतन और भत्ते लेते रहे

लखनऊ : बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने विभिन्न दलों पर चुनाव के बाद बसपा के विधायकों को तोड़ने का आरोप लगाया है. मायावती ने कहा है कि 'इन साम, दाम, दंड, भेद की राजनीति करने वाली पार्टियों से सतर्क रहने की जरूरत है.' बीएसपी सुप्रीमो ने मंगलवार को नई दिल्ली में छत्तीसगढ़ और तेलंगाना सहित चार राज्यों में होने वाले विधानसभा आमचुनाव की तैयारी को लेकर बैठक की. मध्य प्रदेश के नये उभरते हालात व ताजा राजनीतिक समीकरण पर चर्चा की. पार्टी के जनाधार को बढ़ाने की प्रगति रिपोर्ट लेने के साथ-साथ पूरे प्रदेश में चुनावी तैयारियों और उम्मीदवारों के चयन की गहन समीक्षा की. उन्होंने पदाधिकारियों को ज़रूरी दिशा-निर्देश दिए.



बसपा मुखिया मायावती ने इस दौरान कहा कि 'बीएसपी कई राज्यों में बैलेंस ऑफ पावर बनकर जरूर उभरी है, लेकिन बीएसपी विरोधी जातिवादी तत्व, सरकार बनाने के लोभ में साम, दान, दंड, भेद जैसे घिनौने हथकंडे अपना कर पार्टी के विधायकों को तोड़ लेते हैं, जिससे जनता के साथ विश्वासघात करके घोर स्वार्थी जनविरोधी तत्व सत्ता पर काबिज हो जाते हैं. ऐसा बार-बार होने से बीएसपी मूवमेंट को भी काफी नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि वैसे तो बीएसपी ने उत्तर प्रदेश जैसे विशाल आबादी वाले और राजनीतिक दृष्टि से अति महत्त्वपूर्ण उत्तर प्रदेश में चार बार अपनी सरकार बनाकर डा. भीमराव अम्बेडकर व उनकी अनुयाई संस्थापक कांशीराम के सपनों को जमीनी हकीकत में उतारने के लिए सामाजिक परिवर्तन व आर्थिक मुक्ति का काफी हद तक काम किया है, लेकिन दूसरे राज्यों में भी बैलेंस ऑफ पावर बनकर सरकार में शामिल होकर करोड़ों गरीबों, शोषितों, उपेक्षितों, दलितों व अन्य पिछड़ों आदि के हित व कल्याण के साथ ही उन पर होने वाली जुल्म-ज्यादती व अन्याय-अत्याचार आदि को रोकने का काम भी जरूर किया जा सकता है. ऐसा लोगों का मानना है. मायावती ने कहा कि जल्द होने वाले विधानसभा आमचुनाव के बाद बैलेंस ऑफ पावर बनने पर लोगों की चाहत के हिसाब से सरकार में शामिल होने पर विचार संभव है. ऐसे में राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व तेलंगाना राज्य में इन कमजोर वर्गों व धार्मिक अल्पसंख्यकों में से मुस्लिम समाज का सही संवैधानिक भला तभी हो सकता है जब वहां जनता को हताश व निराश करने वाली "मजबूत व अहंकारी सरकार" नहीं बल्कि गठबंधन की "जनहित को मजबूर सरकार" होगी, जैसा यहां देखने को मिला है.

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मायावती ने कहा कि 'राजस्थान व मध्य प्रदेश से गरीबों, दलितों, आदिवासियों, अतिपिछड़ों व धार्मिक अल्पसंख्यकों में से खासकर मुस्लिम व ईसाई समाज के लोगों और उनके संस्थानों पर जुल्म-ज्यादती पर भी सरकारी द्वेष व अन्याय-अत्याचार की खबरें लगातार आती रहती हैं, जो दुखद हैं.'

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