लखनऊ: दूसरे दलों के मेगा शो से बेपरवाह हाथी अपनी चाल में है. पार्टी के रणनीतिकार अपने सामाजिक-जातीय रणनीतियों को फिट करने में जुटे हैं. इसके लिए यूपी की हर विधानसभा सीट पर जातिवार तानाबाना बुना जा रहा है. लिहाजा, ब्राह्मणों के बाद अब बसपा की पिछड़ा वर्ग की टीम विधानसभावार खड़ी की जा रही है. इसकी कमान राज्य महासचिव मानवेन्द्र आजाद मौर्य ने खुद संभाल रखी है. यूपी में विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) का बिगुल बज चुका है. भाजपा-सपा जहां दूसरी पार्टियों के छत्रपों को अपने पाले में खींचने में जुटी हैं. वहीं, बसपा कार्यकर्ताओं की फौज खड़ी करने में जुटी है. हर सीट पर पहले एक हजार 'ब्राह्मण कार्यकर्ताओं' को सदस्यता देने का लक्ष्य रखा गया.
बसपा प्रमुख मायावती ने इसकी कमान पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र को सौंपी. यूपी की 403 सीटों पर एक-एक हजार ब्राह्मण कार्यकर्ता के जरिए 4 लाख तीन हजार ब्राह्मणों को पार्टी से सीधे जोड़ने में सफलता मिलेगी. यह कार्य दिसंबर तक पूरा करने का लक्ष्य है.
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हर सीट पर दस-दस प्रतिनिधि
बसपा के राज्य महासचिव मानवेन्द्र आजाद मौर्य के मुताबिक मौर्य, कुशवाहा, शाक्य, सैनी, माली को पार्टी में प्रमुखता से जोड़ा जा रहा है. पिछड़े वर्ग की इन जातियों को वर्षों से उनके अधिकारों से वंचित किया गया. बसपा की सरकार बनने पर समाज के इन लोगों को न्याय व अधिकार दिलाकर समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का काम किया जाएगा. इसके लिए अलावा पिछड़ा वर्ग को जोड़ने के लिए हर विधानसभा सीट पर 10-10 प्रतिनिधि बनाए जा रहे हैं. यह पार्टी व जनता के बीच संवाद का काम करेंगे. प्रतिनिधयों को पार्टी तक जनता की समस्या या सुझाव पहुंचाने के लिए मोबाइल नंबर व अन्य माध्यम तय किए गए हैं.
86 सुरक्षित सीटों पर बसपा का फोकस, गैर दलित वोटों के लिए खास प्लान
पार्टी प्रमुख मायावती समय-समय पर पदाधिकारियों संग लखनऊ में समीक्षा बैठक कर रही हैं. इसमें सुरक्षित सीटों पर जीत के लिए खास प्लान तैयार किए गए हैं. प्लान के तहत इन सीटों पर दलित वोटों का बंटवारा होने की वजह से गैर दलित समाज में पार्टी का जनाधार बढ़ाने की रणनीति बनाई गई है. इसमें ब्राह्मणों को जोड़ने पर विशेष जोर दिया जा रहा है. इसके अलावा पिछड़ा वर्ग व मुस्लिमों को भी साथ लिया जाना है. इसके लिए इन समाज से जुड़े पार्टी के पदाधिकारियों का सम्मेलन शुरू हो गया है. यूपी की सुरक्षित 86 सीटें हर हाल में जीतने के लिए 'भाईचारा' वाला फार्मूला तय किया गया है.
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