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UP Assembly Election 2022: अखिलेश-जयंत साथ मिलकर लड़ सकते हैं चुनाव

ब्राह्मण वोट को लेकर सियासत तेज हो गई है. बसपा ने एक तरफ जहां प्रबुद्ध सम्मेलन शुरू किया है तो वहीं सपा ने ब्राह्मण सम्मेलन (brahmin sammelan) आयोजित कर ब्राह्मणों को साधने की कोशिश की. वहीं, अब रालोद भी भाईचारा सम्मेलन (rld bhaichara sammelan) आयोजित कर सभी वर्गों को साथ लाने की तैयारी में जुट गई है. सपा और रालोद दोनों मिलकर विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) साथ लड़ सकते हैं.

ब्राह्मण वोट की सियासत.
ब्राह्मण वोट की सियासत.
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Published : Jul 26, 2021, 5:07 PM IST

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले एक सियासी दांव चला और साल 2007 की तरह ब्राह्मणों को केंद्र बिंदु में ला दिया. बसपा ने ब्राह्मण सम्मेलन (brahmin sammelan) का आयोजन शुरू किया तो इससे सभी दलों में हलचल पैदा हो गई. अब सभी पार्टियों के केंद्र में ब्राह्मण ही नजर आ रहे हैं. समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने पांच ब्राह्मण नेताओं के साथ ब्राह्मणों का दुख-दर्द समझने के लिए कमेटी गठित कर दी और सम्मेलन आयोजित कराने की तैयारी की है, जिससे ब्राह्मण समाजवादी पार्टी से जुड़ सकें. वहीं, पंचायत चुनाव अखिलेश के बसाथ मिलकर लड़ चुके जयंत चौधरी भाईचारा सम्मेलन (rld bhaichara sammelan) आयोजित कर सभी वर्गों को साथ लेने की तैयारी में जुट गए हैं. एक दिन पहले ही अखिलेश यादव ने दिल्ली स्थित आवास पर जयंत चौधरी से मुलाकात की और भविष्य के सम्मेलनों पर विचार-विमर्श हुआ. इसके अलावा उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) में दोनों के बीच गठबंधन को लेकर भी चर्चाएं हुईं.


मुजफ्फरनगर से शुरू होगा भाईचारा सम्मेलन

मुजफ्फरनगर के खतौली से राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष जयंत चौधरी 27 जुलाई को भाईचारा सम्मेलन की शुरुआत कर रहे हैं. इसमें सभी वर्गों के बड़े नेताओं के जुटने की उम्मीद है. इसके अलावा हर वर्ग के लोग इस सम्मेलन में शिरकत करें इसे लेकर भी पार्टी के नेता जोर लगा रहे हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर क्षेत्र राष्ट्रीय लोक दल के लिए शुरुआत से ही काफी महत्वपूर्ण रहा है. ऐसे में भाईचारा सम्मेलन की शुरुआत के लिए भी राष्ट्रीय लोक दल ने मुजफ्फरनगर को ही चुना है. इसके बाद रालोद अन्य जगहों पर भी इसी तरह का भाईचारा सम्मेलन आयोजित करेगी. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रालोद एक नया ही समीकरण तैयार करने में जुट गया है. रालोद जाट, गुर्जर, सैनी, मुस्लिम और कश्यप समाज के साथ ही ब्राह्मणों को भी अपनी तरफ खींचने का प्रयास कर रहा है.

रालोद वरिष्ठ नेता सुरेंद्र त्रिवेदी.

पढ़ें: बीजेपी MLC ने ब्राह्मण के नाम पर प्रतापगढ़ मेडिकल कॉलेज का नाम करने की मांग की

राष्ट्रीय लोक दल ने मेनिफेस्टो कमेटी भी तैयार कर ली है. पार्टी की तरफ से इसी सप्ताह इसका एलान भी किया जाएगा. रालोद की मेनिफेस्टो कमेटी लोगों से राय मशविरा करेगी और उसके बाद आगामी विधानसभा चुनाव के लिए घोषणा पत्र तैयार किया जाएगा. इस कमेटी में शिक्षक, चिकित्सक जैसे प्रबुद्ध वर्ग के लोगों को रखा जाएगा. मेनिफेस्टो कमेटी जनता के बीच जाकर प्रदेश के विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श करेगी.

साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे जयंत और अखिलेश

पंचायत चुनाव में अखिलेश यादव और जयंत चौधरी ने साथ मिलकर ताल ठोकी थी और इसका नतीजा भी उनके पक्ष में ही आया. ऐसे में विधानसभा चुनाव भी यह दोनों नेता साथ मिलकर ही लड़ेंगे. यही वजह है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव दिल्ली स्थित जयंत चौधरी के आवास पर मिलने पहुंचे थे. यहां पर उन्होंने आगामी दिनों में ब्राह्मण सम्मेलनों के जरिए ब्राह्मणों की आवाज उठाने की बात कही तो जयंत चौधरी ने उनसे भाईचारा सम्मेलन आयोजित करने का विचार रखा. दोनों नेताओं ने साथ मिलकर विभिन्न जातियों और वर्गों को साथ जोड़ने पर भी विचार-विमर्श किया.

बसपा के प्रबुद्ध सम्मेलन की काट

समाजवादी पार्टी ब्राह्मण सम्मेलन आयोजित कराकर और भगवान परशुराम की मूर्ति लगवाकर बसपा के प्रबुद्ध सम्मेलन के प्रभाव को कम करने की कोशिश करेगी तो रालोद भाईचारा सम्मेलन आयोजित कर सभी वर्गों को साथ लाएगी. इससे भविष्य में अखिलेश और जयंत जब साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ें तो सभी वर्ग समाजवादी पार्टी के साथ दिखें न कि बहुजन समाज पार्टी के साथ. ऐसे में समाजवादी पार्टी और रालोद के सम्मेलन बसपा के प्रबुद्ध सम्मेलन की काट साबित हो सकते हैं.

पढ़ें: लखनऊ : बीजेपी के सभी विभागों और प्रकोष्ठों की बैठक शुरू, 'मिशन 2022' की रणनीति पर होगा मंथन

रालोद नेता बोले, पार्टी जातिगत सम्मेलन के पक्ष में नहीं

राष्ट्रीय लोक दल के वरिष्ठ नेता सुरेंद्र त्रिवेदी कहते हैं कि राष्ट्रीय लोकदल जातिगत सम्मेलन आयोजित करने के पक्ष में नहीं रहता है, इसीलिए हम 27 जुलाई से भाईचारा सम्मेलन आयोजित कर रहे हैं. इसका उद्देश्य है कि भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस ने जिस तरह समाज को तोड़ा है. हम और हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी समाज को जोड़ने का काम कर रहे हैं.

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले एक सियासी दांव चला और साल 2007 की तरह ब्राह्मणों को केंद्र बिंदु में ला दिया. बसपा ने ब्राह्मण सम्मेलन (brahmin sammelan) का आयोजन शुरू किया तो इससे सभी दलों में हलचल पैदा हो गई. अब सभी पार्टियों के केंद्र में ब्राह्मण ही नजर आ रहे हैं. समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने पांच ब्राह्मण नेताओं के साथ ब्राह्मणों का दुख-दर्द समझने के लिए कमेटी गठित कर दी और सम्मेलन आयोजित कराने की तैयारी की है, जिससे ब्राह्मण समाजवादी पार्टी से जुड़ सकें. वहीं, पंचायत चुनाव अखिलेश के बसाथ मिलकर लड़ चुके जयंत चौधरी भाईचारा सम्मेलन (rld bhaichara sammelan) आयोजित कर सभी वर्गों को साथ लेने की तैयारी में जुट गए हैं. एक दिन पहले ही अखिलेश यादव ने दिल्ली स्थित आवास पर जयंत चौधरी से मुलाकात की और भविष्य के सम्मेलनों पर विचार-विमर्श हुआ. इसके अलावा उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) में दोनों के बीच गठबंधन को लेकर भी चर्चाएं हुईं.


मुजफ्फरनगर से शुरू होगा भाईचारा सम्मेलन

मुजफ्फरनगर के खतौली से राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष जयंत चौधरी 27 जुलाई को भाईचारा सम्मेलन की शुरुआत कर रहे हैं. इसमें सभी वर्गों के बड़े नेताओं के जुटने की उम्मीद है. इसके अलावा हर वर्ग के लोग इस सम्मेलन में शिरकत करें इसे लेकर भी पार्टी के नेता जोर लगा रहे हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर क्षेत्र राष्ट्रीय लोक दल के लिए शुरुआत से ही काफी महत्वपूर्ण रहा है. ऐसे में भाईचारा सम्मेलन की शुरुआत के लिए भी राष्ट्रीय लोक दल ने मुजफ्फरनगर को ही चुना है. इसके बाद रालोद अन्य जगहों पर भी इसी तरह का भाईचारा सम्मेलन आयोजित करेगी. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रालोद एक नया ही समीकरण तैयार करने में जुट गया है. रालोद जाट, गुर्जर, सैनी, मुस्लिम और कश्यप समाज के साथ ही ब्राह्मणों को भी अपनी तरफ खींचने का प्रयास कर रहा है.

रालोद वरिष्ठ नेता सुरेंद्र त्रिवेदी.

पढ़ें: बीजेपी MLC ने ब्राह्मण के नाम पर प्रतापगढ़ मेडिकल कॉलेज का नाम करने की मांग की

राष्ट्रीय लोक दल ने मेनिफेस्टो कमेटी भी तैयार कर ली है. पार्टी की तरफ से इसी सप्ताह इसका एलान भी किया जाएगा. रालोद की मेनिफेस्टो कमेटी लोगों से राय मशविरा करेगी और उसके बाद आगामी विधानसभा चुनाव के लिए घोषणा पत्र तैयार किया जाएगा. इस कमेटी में शिक्षक, चिकित्सक जैसे प्रबुद्ध वर्ग के लोगों को रखा जाएगा. मेनिफेस्टो कमेटी जनता के बीच जाकर प्रदेश के विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श करेगी.

साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे जयंत और अखिलेश

पंचायत चुनाव में अखिलेश यादव और जयंत चौधरी ने साथ मिलकर ताल ठोकी थी और इसका नतीजा भी उनके पक्ष में ही आया. ऐसे में विधानसभा चुनाव भी यह दोनों नेता साथ मिलकर ही लड़ेंगे. यही वजह है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव दिल्ली स्थित जयंत चौधरी के आवास पर मिलने पहुंचे थे. यहां पर उन्होंने आगामी दिनों में ब्राह्मण सम्मेलनों के जरिए ब्राह्मणों की आवाज उठाने की बात कही तो जयंत चौधरी ने उनसे भाईचारा सम्मेलन आयोजित करने का विचार रखा. दोनों नेताओं ने साथ मिलकर विभिन्न जातियों और वर्गों को साथ जोड़ने पर भी विचार-विमर्श किया.

बसपा के प्रबुद्ध सम्मेलन की काट

समाजवादी पार्टी ब्राह्मण सम्मेलन आयोजित कराकर और भगवान परशुराम की मूर्ति लगवाकर बसपा के प्रबुद्ध सम्मेलन के प्रभाव को कम करने की कोशिश करेगी तो रालोद भाईचारा सम्मेलन आयोजित कर सभी वर्गों को साथ लाएगी. इससे भविष्य में अखिलेश और जयंत जब साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ें तो सभी वर्ग समाजवादी पार्टी के साथ दिखें न कि बहुजन समाज पार्टी के साथ. ऐसे में समाजवादी पार्टी और रालोद के सम्मेलन बसपा के प्रबुद्ध सम्मेलन की काट साबित हो सकते हैं.

पढ़ें: लखनऊ : बीजेपी के सभी विभागों और प्रकोष्ठों की बैठक शुरू, 'मिशन 2022' की रणनीति पर होगा मंथन

रालोद नेता बोले, पार्टी जातिगत सम्मेलन के पक्ष में नहीं

राष्ट्रीय लोक दल के वरिष्ठ नेता सुरेंद्र त्रिवेदी कहते हैं कि राष्ट्रीय लोकदल जातिगत सम्मेलन आयोजित करने के पक्ष में नहीं रहता है, इसीलिए हम 27 जुलाई से भाईचारा सम्मेलन आयोजित कर रहे हैं. इसका उद्देश्य है कि भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस ने जिस तरह समाज को तोड़ा है. हम और हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी समाज को जोड़ने का काम कर रहे हैं.

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