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कोरोना के डर से घटी प्रतिरोधक छमता: KGMU के स्वस्थ विभाग

कोरोना के बढ़ते संक्रमण ने लोगो को शारीरिक रूप से तो बीमार किया ही है उससे ज्यादा लोगों पर मानसिक तनाव देखने को मिल रहा है. इसी को लेकर KGMU के स्वस्थ विभाग ने करीब 300 स्वस्थ लोगों पर सर्वे किया है. इसमें हिस्सा लेने वालों ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान उनमें तनाव, उलझन, डर, घबराहट की शिकायत हुई है.

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Published : Jul 17, 2020, 10:01 PM IST

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KGMU, लखनऊ

लखनऊ: कोरोना के बढ़ते संक्रमण ने लोगो को जितना शारीरिक रूप से बीमार किया है उससे ज्यादा लोगों के अंदर मानसिक तनाव देखने को मिल रहा है. इस तनाव के कारण इस बामारी से लड़ने की छमता भी प्रभावित हो रही है. इस बीमारी को लेकर लोगों पर पड़ने वाले मानसिक असर पर के.जी.एम.यू. के मानसिक स्वास्थ्य विभाग का सर्वे सामने आया है.

KGMU, लखनऊ
विशेषज्ञों का कहना है कि तनाव के कारण शरीर में हार्मोंन्स का स्तर बिगड़ता है, जिससे रोग प्रतिरोधक छमता प्रभावित होती है. KGMU के स्वस्थ विभाग ने करीब 300 स्वस्थ लोगों पर सर्वे किया है. इस सर्वे में 20 से 79 साल के लोगों ने हिस्सा लिया. इनसे लॉक डाउन के पहले सामान्य दिन व मौजूदा हालात पर जानकारी मांगी गई, ज्यादातर लोगों ने लॉकडाउन में तनाव, उलझन, डर, घबराहट की शिकायत बताई.KGMU स्वस्थ विभाग के मनोचिकित्सक विभाग के डा. आदर्श त्रिपाठी के मुताबिक कोरोना को लेकर दहशत बढ़ी है. वॉयरस लोगों की सोच का हिस्सा बन गया है जो कि तनाव की वजह है. उन्होंने बताया कि तनाव से शरीर में हार्मोंन्स का रिसाव होता है. हार्मोन का स्त्राव कुछ समय के लिए तो ठीक है लेकिन लंबे समय के लिए घातक है.
डा. आदर्श ने बताया कि इससे बचाव के लिए लोगों को ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है. अगर वो ज्यादा सोचेंगे और पूरी तरह से नींद नही लेंगे तो इससे आपके दिमाग मे मानसिक तनाव बढेगा जो आपके सेहत के लिए हानिकारक है. इसलिए मानसिक और शारीरिक स्वस्थता के लिए इन सबसे आपको दूर रहना पड़ेगा.

लखनऊ: कोरोना के बढ़ते संक्रमण ने लोगो को जितना शारीरिक रूप से बीमार किया है उससे ज्यादा लोगों के अंदर मानसिक तनाव देखने को मिल रहा है. इस तनाव के कारण इस बामारी से लड़ने की छमता भी प्रभावित हो रही है. इस बीमारी को लेकर लोगों पर पड़ने वाले मानसिक असर पर के.जी.एम.यू. के मानसिक स्वास्थ्य विभाग का सर्वे सामने आया है.

KGMU, लखनऊ
विशेषज्ञों का कहना है कि तनाव के कारण शरीर में हार्मोंन्स का स्तर बिगड़ता है, जिससे रोग प्रतिरोधक छमता प्रभावित होती है. KGMU के स्वस्थ विभाग ने करीब 300 स्वस्थ लोगों पर सर्वे किया है. इस सर्वे में 20 से 79 साल के लोगों ने हिस्सा लिया. इनसे लॉक डाउन के पहले सामान्य दिन व मौजूदा हालात पर जानकारी मांगी गई, ज्यादातर लोगों ने लॉकडाउन में तनाव, उलझन, डर, घबराहट की शिकायत बताई.KGMU स्वस्थ विभाग के मनोचिकित्सक विभाग के डा. आदर्श त्रिपाठी के मुताबिक कोरोना को लेकर दहशत बढ़ी है. वॉयरस लोगों की सोच का हिस्सा बन गया है जो कि तनाव की वजह है. उन्होंने बताया कि तनाव से शरीर में हार्मोंन्स का रिसाव होता है. हार्मोन का स्त्राव कुछ समय के लिए तो ठीक है लेकिन लंबे समय के लिए घातक है.
डा. आदर्श ने बताया कि इससे बचाव के लिए लोगों को ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है. अगर वो ज्यादा सोचेंगे और पूरी तरह से नींद नही लेंगे तो इससे आपके दिमाग मे मानसिक तनाव बढेगा जो आपके सेहत के लिए हानिकारक है. इसलिए मानसिक और शारीरिक स्वस्थता के लिए इन सबसे आपको दूर रहना पड़ेगा.
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