लखनऊ: उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ वर्षों से मदरसे चर्चा का विषय बने हुए है. मदरसों को लेकर कभी नेताओं की बयानबाजियां तो कभी सरकार के फरमान सुर्खियों में रहते हैं. हाल ही में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वे के बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने एक मांग उठा दी है. आयोग ने मांग करते हुए उन मदरसों की जांच की बात कही थी जिसमें गैर मुस्लिम बच्चे भी पढ़ा करते हैं. बुधवार को लखनऊ में हुई यूपी मदरसा बोर्ड की बैठक में बाल आयोग की मांग को खारिज कर दिया गया है.
यूपी मदरसा बोर्ड के चेयरमैन डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा कि बुधवार को हमारी बैठक पहले से प्रस्तावित थी, जिसमे मदरसों से जुड़े कई मामलों पर विचार विमर्श करना था. इस बैठक में छह बिंदुओं पर बातचीत हुई और फैसला लिया गया. चेयरमैन की अध्यक्षता में हुई सदस्यों और अधिकारियों संग मीटिंग में बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा चरणबद्ध तरीके से NCERT पाठ्यक्रम को मदरसों में भी चरणबद्ध तरीके से लागू करने का फैसला लिया गया. इसके साथ ही बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा प्रतिवर्ष अनुदानित मदरसों को कक्षा 1 से 8 तक की पाठ्य पुस्तकों को उपलब्ध कराए जाने के दृष्टिगत पूर्व में परिषद की अपनी बैठक में NCERT की पाठ्य पुस्तकें राज्य अनुदानित मदरसों में वितरण किए जाने हेतु लिए गए. अपने फैसले को संशोधित करते हुए बेसिक शिक्षा विभाग की पुस्तकों को अनुमन्य किए जाने का निर्णय लिया गया. NCERT की पुस्तकों की मांग को वापस लिए जाने पर सहमति बनी.
मदरसा बोर्ड की मीटिंग में अनुदानित मदरसों में कक्षा 1 से 8 तक अध्ययनरत छात्रों को बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा ड्रेस वितरण करने में आ रही कठिनाइयों पर विचार विमर्श कर समस्याओं को दूर करने का निर्णय लिया गया. वहीं, मदरसों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाए जाने के उद्देश्य से अनुदानित मदरसों में कार्यरत शिक्षकों को बेसिक शिक्षा विभाग की तरह ट्रेनिंग कराए जाने का निर्णय लिया गया. मदरसा विनियमावली 2016 संशोधन के संबंध में संशोधित वी नियमावली प्रख्यापित किए जाने हेतु हित धारकों से प्राप्त सुझावों को वी नियमावली में समाहित करते हुए संशोधित प्रस्ताव शासन को प्रेषित किए जाने का निर्णय लिया गया. बोर्ड की बैठक में सबसे अहम फैसला राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग की मांग पर लिया गया. आयोग द्वारा गैर मुस्लिम बच्चों को प्रवेश देने वाले सभी मदरसों की जांच कराए जाने व मदरसों में पढ़ रहे गैर मुस्लिम छात्रों का प्रवेश अन्य विद्यालयों में कराए जाने की सिफारिश को सिरे से खारिज कर दिया गया.