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डाॅक्टरों का कमाल : दुनिया का सबसे बड़ा फ्लो डायवर्टर लगाकर मरीज के ब्रेन में पहुंचाया खून

अगर एन्यूरिज्म छोटा है और स्थिति ज्यादा गंभीर नहीं है तो ऐसे में इसके टूटने का जोखिम न के बराबर होता है. ऐसी स्थिति में डॉक्टर हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के तरीके देखते हैं. अगर एन्यूरिज्म बड़ा है या इसमें दर्द है तो सर्जरी की जाती है.

दुनिया का सबसे बड़ा फ्लो डायवर्टर लगाकर मरीज के ब्रेन में पहुंचाया खून
दुनिया का सबसे बड़ा फ्लो डायवर्टर लगाकर मरीज के ब्रेन में पहुंचाया खून
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Published : Jul 12, 2021, 5:17 PM IST

Updated : Jul 12, 2021, 7:55 PM IST

लखनऊ : लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में गंभीर हालत में एक महिला लाई गई. इसे न्यूरो सर्जरी विभाग के चिकित्सकों ने देखा. जांच में ब्रेन में बड़ा एन्युरिज्म (खून की रसौली) मिला. ऐसे में डॉक्टर काफी देर तक रसौली में खून के आने-जाने का रास्ता नहीं तलाश सके. लिहाजा, दुनिया का सबसे बड़ा फ्लो डायवर्टर लगाकर बाईपास बना दिया गया. इससे मरीज के ब्रेन में खून पहुंचने लगा.

दुनिया का सबसे बड़ा फ्लो डायवर्टर लगाकर मरीज के ब्रेन में पहुंचाया खून
दुनिया का सबसे बड़ा फ्लो डायवर्टर लगाकर मरीज के ब्रेन में पहुंचाया खून
आजमगढ़ निवासी 68 वर्षीय तारादेवी को तेज सिर दर्द की शिकायत थी. इसके बाद बेहोशी, उल्टी की दिक्कत बढ़ने लगी. कई जगह दिखाया. मगर राहत नहीं मिली. ऐसे में परिजन मरीज को लेकर हफ्तेभर पहले लोहिया संस्थान पहुंचे. यहां न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉ. कुलदीप यादव ने तारा देवी को देखा. इसके बाद सीटी एंजियोग्राफी और डीएसए जांच कराई. डॉ. कुलदीप के मुताबिक तारा देवी के ब्रेन के बाएं हिस्से में बड़ा एन्युरिज्म (Brain Aneurysm) मिला.

सामान्य तौर पर जहां मरीजों में 6 से 8 एमएम का एन्युरिज्म मिलता है, वहीं तारादेवी में 4 सेंटीमीटर का एन्यूरिज्म पाया गया. यह उत्तर प्रदेश में किसी मरीज में सबसे बड़े एन्युरिज्म का केस था. अभी तक लोहिया में 3 सेमी तक के एन्युरिज्म का ऑपरेट किया गया.

दुनिया का सबसे बड़ा फ्लो डायवर्टर लगाकर मरीज के ब्रेन में पहुंचाया खून
दुनिया का सबसे बड़ा फ्लो डायवर्टर लगाकर मरीज के ब्रेन में पहुंचाया खून

डॉ. कुलदीप यादव के मुताबिक मरीज में खून की रसौली बड़ी बन गई थी. यह ऐंठकर गांठ नुमा हो गयी थी. इसमें रक्त भर रहा था. साथ ही ब्रेन के दूसरे हिस्से में खून की आपूर्ति सही नहीं हो पा रही थी. खून की रसौली में रक्त जाने से रोकने के लिए फीमोरल आर्टरी से ब्रेन तक कैथेटर डाला गया. मगर 3 घंटे तक रक्त के आने-जाने का रास्ता नहीं मिला.

ऐसे में दुनिया का सबसे बड़ा फ्लो डायवर्टर लगा दिया गया. यह पाइपनुमा पांच सेमी का उपकरण होता है. ऐसे में रक्त रसौली वाली जगह से न जाकर सीधे ब्रेन के दूसरे हिस्से में पहुंचने लगा. ऑपरेशन में कुल साढ़े चार घंटे लगे. इससे पहले देश के एक नामी संस्थान में 3.5 सेमी एन्युरिज्म का मरीज आया था. इसके ऑपरेशन के लिए जर्मनी के डॉक्टर बुलाये गए.

मगर, खून के आने-जाने का रास्ता न मिलने पर सर्जरी टाल दी गयी. लोहिया की ऑपरेशन टीम में डॉ. कुलदीप के अलावा डॉ दीपक सिंह, डॉ. पीके दास, डॉ. दिवाकर, डॉ. विपिन शामिल रहे.

दुनिया का सबसे बड़ा फ्लो डायवर्टर लगाकर मरीज के ब्रेन में पहुंचाया खून
एन्युरिज्म के कारण

डॉ. कुलदीप के मुताबिक एक कारक एन्युरिज्म का अनुवांशिकी होता है. जन्मजात बीमारी से इसका उपचार संभव नहीं होता. वहीं, अन्य कारक स्मोकिंग, हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज होता है. एन्यूरिज्म होने पर मरीजों का समय का इलाज मुमकिन है.

यह भी पढ़ें : प्रियंका गांधी का लखनऊ दौरा रद्द, 14 जुलाई को आने वालीं थी यूपी

Brain Aneurysm: बहुत तेज हो सिरदर्द तो न करें नजरअंदाज

ब्रेन एन्यूरिज्म (Brain Aneurysm) होने पर सिरदर्द (Headache) के साथ जी मचलने, उल्टी व रोशनी के प्रति संवेदनशीलता, मिर्गी आना, गर्दन में अकड़न, मांसपेशियों में कमजोरी, शरीर के किसी हिस्से को चलाने में कठिनाई, आंखों में धुंधलापन, सुस्ती, बोलने में परेशानी आदि समस्याएं देखने को मिलतीं हैं.

ज्यादा भागा दौड़ या तनाव के कारण भी सिरदर्द की स्थिति पैदा हो जाती है. लेकिन अगर व्यक्ति को असहनीय सिरदर्द हो तो उसे इस लक्षण को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. गर्दन भी अकड़ी हुई महसूस होती है. तो इसे भी हल्के में न लें क्योंकि व्यक्ति सेरिब्रल एन्यूरिज्म या मस्तिष्क धमनी विस्फार का शिकार हो सकता है. मरीज की अचानक से मौत भी हो सकती है.

यह बीमारी 35 से 60 साल की आयु के लोगों को ज्यादा प्रभावित करती है. कुछ मामलों में इसकी स्थिति बच्चों में भी देखी जा सकती है. ब्रेन एन्यूरिज्म का विकास धमनी की दीवारों के पतले होने की वजह से होता है. इनमें आनुवंशिकता, हाई ब्लड प्रेशर और असामान्य रक्त प्रवाह सबसे बड़ी वजह होती है. पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में इसके होने की आशंका अधिक होती है. डॉक्टर क्लिनिकल टेस्ट के साथ ही सीटी स्कैन और ब्रेन एंजियोग्राफी से इस रोग की जांच की जाती है.

ब्रेन एन्यूरिज्म का इलाज

ब्रेन एन्यूरिज्म का इलाज किस विधि से किया जाए, इसके लिए डॉक्टर उम्र, रोग की स्थिति और स्वास्थ्य की स्थिति देखते हैं. अगर एन्यूरिज्म प्रारंभिक दौर में है और स्थिति ज्यादा गंभीर नहीं है तो इसके टूटने का जोखिम न के बराबर होता है. ऐसे में डॉक्टर हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के तरीके देखते हैं. अगर एन्यूरिज्म बड़ा है या इसमें दर्द है तो सर्जरी की जाती है.

लखनऊ : लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में गंभीर हालत में एक महिला लाई गई. इसे न्यूरो सर्जरी विभाग के चिकित्सकों ने देखा. जांच में ब्रेन में बड़ा एन्युरिज्म (खून की रसौली) मिला. ऐसे में डॉक्टर काफी देर तक रसौली में खून के आने-जाने का रास्ता नहीं तलाश सके. लिहाजा, दुनिया का सबसे बड़ा फ्लो डायवर्टर लगाकर बाईपास बना दिया गया. इससे मरीज के ब्रेन में खून पहुंचने लगा.

दुनिया का सबसे बड़ा फ्लो डायवर्टर लगाकर मरीज के ब्रेन में पहुंचाया खून
दुनिया का सबसे बड़ा फ्लो डायवर्टर लगाकर मरीज के ब्रेन में पहुंचाया खून
आजमगढ़ निवासी 68 वर्षीय तारादेवी को तेज सिर दर्द की शिकायत थी. इसके बाद बेहोशी, उल्टी की दिक्कत बढ़ने लगी. कई जगह दिखाया. मगर राहत नहीं मिली. ऐसे में परिजन मरीज को लेकर हफ्तेभर पहले लोहिया संस्थान पहुंचे. यहां न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉ. कुलदीप यादव ने तारा देवी को देखा. इसके बाद सीटी एंजियोग्राफी और डीएसए जांच कराई. डॉ. कुलदीप के मुताबिक तारा देवी के ब्रेन के बाएं हिस्से में बड़ा एन्युरिज्म (Brain Aneurysm) मिला.

सामान्य तौर पर जहां मरीजों में 6 से 8 एमएम का एन्युरिज्म मिलता है, वहीं तारादेवी में 4 सेंटीमीटर का एन्यूरिज्म पाया गया. यह उत्तर प्रदेश में किसी मरीज में सबसे बड़े एन्युरिज्म का केस था. अभी तक लोहिया में 3 सेमी तक के एन्युरिज्म का ऑपरेट किया गया.

दुनिया का सबसे बड़ा फ्लो डायवर्टर लगाकर मरीज के ब्रेन में पहुंचाया खून
दुनिया का सबसे बड़ा फ्लो डायवर्टर लगाकर मरीज के ब्रेन में पहुंचाया खून

डॉ. कुलदीप यादव के मुताबिक मरीज में खून की रसौली बड़ी बन गई थी. यह ऐंठकर गांठ नुमा हो गयी थी. इसमें रक्त भर रहा था. साथ ही ब्रेन के दूसरे हिस्से में खून की आपूर्ति सही नहीं हो पा रही थी. खून की रसौली में रक्त जाने से रोकने के लिए फीमोरल आर्टरी से ब्रेन तक कैथेटर डाला गया. मगर 3 घंटे तक रक्त के आने-जाने का रास्ता नहीं मिला.

ऐसे में दुनिया का सबसे बड़ा फ्लो डायवर्टर लगा दिया गया. यह पाइपनुमा पांच सेमी का उपकरण होता है. ऐसे में रक्त रसौली वाली जगह से न जाकर सीधे ब्रेन के दूसरे हिस्से में पहुंचने लगा. ऑपरेशन में कुल साढ़े चार घंटे लगे. इससे पहले देश के एक नामी संस्थान में 3.5 सेमी एन्युरिज्म का मरीज आया था. इसके ऑपरेशन के लिए जर्मनी के डॉक्टर बुलाये गए.

मगर, खून के आने-जाने का रास्ता न मिलने पर सर्जरी टाल दी गयी. लोहिया की ऑपरेशन टीम में डॉ. कुलदीप के अलावा डॉ दीपक सिंह, डॉ. पीके दास, डॉ. दिवाकर, डॉ. विपिन शामिल रहे.

दुनिया का सबसे बड़ा फ्लो डायवर्टर लगाकर मरीज के ब्रेन में पहुंचाया खून
एन्युरिज्म के कारण

डॉ. कुलदीप के मुताबिक एक कारक एन्युरिज्म का अनुवांशिकी होता है. जन्मजात बीमारी से इसका उपचार संभव नहीं होता. वहीं, अन्य कारक स्मोकिंग, हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज होता है. एन्यूरिज्म होने पर मरीजों का समय का इलाज मुमकिन है.

यह भी पढ़ें : प्रियंका गांधी का लखनऊ दौरा रद्द, 14 जुलाई को आने वालीं थी यूपी

Brain Aneurysm: बहुत तेज हो सिरदर्द तो न करें नजरअंदाज

ब्रेन एन्यूरिज्म (Brain Aneurysm) होने पर सिरदर्द (Headache) के साथ जी मचलने, उल्टी व रोशनी के प्रति संवेदनशीलता, मिर्गी आना, गर्दन में अकड़न, मांसपेशियों में कमजोरी, शरीर के किसी हिस्से को चलाने में कठिनाई, आंखों में धुंधलापन, सुस्ती, बोलने में परेशानी आदि समस्याएं देखने को मिलतीं हैं.

ज्यादा भागा दौड़ या तनाव के कारण भी सिरदर्द की स्थिति पैदा हो जाती है. लेकिन अगर व्यक्ति को असहनीय सिरदर्द हो तो उसे इस लक्षण को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. गर्दन भी अकड़ी हुई महसूस होती है. तो इसे भी हल्के में न लें क्योंकि व्यक्ति सेरिब्रल एन्यूरिज्म या मस्तिष्क धमनी विस्फार का शिकार हो सकता है. मरीज की अचानक से मौत भी हो सकती है.

यह बीमारी 35 से 60 साल की आयु के लोगों को ज्यादा प्रभावित करती है. कुछ मामलों में इसकी स्थिति बच्चों में भी देखी जा सकती है. ब्रेन एन्यूरिज्म का विकास धमनी की दीवारों के पतले होने की वजह से होता है. इनमें आनुवंशिकता, हाई ब्लड प्रेशर और असामान्य रक्त प्रवाह सबसे बड़ी वजह होती है. पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में इसके होने की आशंका अधिक होती है. डॉक्टर क्लिनिकल टेस्ट के साथ ही सीटी स्कैन और ब्रेन एंजियोग्राफी से इस रोग की जांच की जाती है.

ब्रेन एन्यूरिज्म का इलाज

ब्रेन एन्यूरिज्म का इलाज किस विधि से किया जाए, इसके लिए डॉक्टर उम्र, रोग की स्थिति और स्वास्थ्य की स्थिति देखते हैं. अगर एन्यूरिज्म प्रारंभिक दौर में है और स्थिति ज्यादा गंभीर नहीं है तो इसके टूटने का जोखिम न के बराबर होता है. ऐसे में डॉक्टर हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के तरीके देखते हैं. अगर एन्यूरिज्म बड़ा है या इसमें दर्द है तो सर्जरी की जाती है.

Last Updated : Jul 12, 2021, 7:55 PM IST
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