ETV Bharat / state

निर्दलीयों के सहारे पंचायतों में अपनी 'सरकार' बनाएगी बीजेपी

बीजेपी ने पूरी ताकत के साथ यूपी में पंचायत चुनाव में उतरने का फैसला लिया था. इसके लिए पार्टी ने पूरी रणनीति के साथ उम्मीदवार भी उतारे थे. लेकिन, चुनाव परिणाम अपेक्षा के अनुरूप नहीं आए. ऐसे में अब पार्टी निर्दलियों को अपने पाले में करके जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ने की तैयारी में है.

निर्दलीयों के सहारे बीजेपी
निर्दलीयों के सहारे बीजेपी
author img

By

Published : May 6, 2021, 4:46 PM IST

लखनऊः भारतीय जनता पार्टी को अपना जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने में भी लाले पड़ सकते हैं. पार्टी को अब सिर्फ निर्दलियों का ही सहारा है. इसके बावजूद बीजेपी इसे अपनी उपलब्धि बता रही है. प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह का कहना है कि प्रदेश की जनता ने पंचायत चुनाव में बीजेपी को अपार समर्थन दिया है.

जिसकी सत्ता उसकी पंचायत

अबतक ये देखा जाता रहा है कि सत्ताधारी दल ही पंचायत के चुनाव में झंडे गाड़ते रही है. पिछली बार के पंचायत चुनाव में समाजवादी पार्टी ने 1500 सदस्य बनाकर 62 जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा जमाया था. उस समय प्रदेश के मुखिया अखिलेश यादव थे. इस बार भी सपा एक हजार जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीतने का दावा कर रही है. लेकिन, जानकारों का कहना है कि जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर आमतौर पर सत्ताधारी दल ही जीत दर्ज कर पाते हैं.

भाजपा का पिछली बार से बेहतर प्रदर्शन

पिछले पंचायत चुनाव में बीजेपी केवल पांच जिलों में ही अपना जिला पंचायत अध्यक्ष बना सकी थी. इस बार वो अपनी सारी ताकत जिला पंचायत अध्यक्ष के साथ ब्लॉक प्रमुखों की कुर्सी हथियाने में लगा देगी. बीजेपी इस बार 981 जिला पंचायत सदस्य जीतने का दावा कर रही है. जिला पंचायत अध्यक्ष बनने में निर्दलीय और छोटे दलों की भूमिका हो सकती है. पार्टी की तरफ से यह दावा भी किया गया है कि करीब 400 से अधिक निर्दलीय जिला पंचायत सदस्य बीजेपी के संपर्क में हैं. पार्टी चाहेगी कि बीजेपी के अध्यक्ष बनने में निर्दलीय और छोटे दलों के सदस्यों का उसे साथ मिले. इसके लिए बीजेपी जीते हुए उम्मीदवारों को अपने पाले में बुलाने के लिए गुणा-गणित में जुट गई है.

निर्दलीय और छोटे दलों की भी भूमिका महत्वपूर्ण

जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में छोटे दलों की भूमिका काफी अहम है. आमतौर पर छोटे दल और निर्दलीय जीत दर्ज करने वाले उम्मीदवार सत्ताधारी दल के साथ ही खड़े दिखाई देते हैं. पश्चिम में राष्ट्रीय लोक दल ने करीब 60 से अधिक सीटों पर जीत दर्ज करने का दावा किया है. पूर्वांचल के कुछ जिलों में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और अपना दल (एस) के उम्मीदवारों ने भी जीत दर्ज की है. हालांकि उनकी संख्या बहुत कम है. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल भाजपा के साथ आते हुए नहीं दिखाई दे रहे. ऐसे में निर्दलीय ही भाजपा का दामन थामेंगे. बीजेपी इनके सहारे ही जिला पंचायत अध्यक्ष के ज्यादातर पदों पर जीत दर्ज करने की रणनीति बना रही है.

BJP को ऐसी चुनौतियों का भी करना होगा सामना

भारतीय जनता पार्टी भले ही सत्ता में हो, लेकिन उसे जिला पंचायत अध्यक्ष पद जीतने के लिए तमाम कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. राज्य के कई ऐसे जिले हैं, जहां पार्टी का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है. राम नगरी अयोध्या, गोंडा, उन्नाव, अम्बेडकरनगर, मथुरा, जालौन, बलिया, वाराणसी समेत कई ऐसे जिलों में बीजेपी बहुमत से काफी दूर है.

गुटबाजी का भी दिखेगा चुनाव पर असर

जिन जिलों में भाजपा खेमे में गुटबाजी है और पार्टी के सांसद, विधायक ताकतवर हैं, उन जिलों में निर्दलीय उम्मीदवारों के जिला पंचायत अध्यक्ष बनने का अनुमान लगाया जा रहा है. दरअसल बीजेपी ने सांसदों, विधायकों के परिजन को जिला पंचायत सदस्य का उम्मीदवार नहीं बनाया. इससे उनमें पार्टी नेतृत्व के प्रति नाराजगी है. वह जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में अपनी ताकत का एहसास नेतृत्व को कराना चाहेंगे. सदस्य के चुनाव में वो अपनी ताकत का एहसास पार्टी नेतृत्व को करा चुके हैं. कई जिलों में इसलिए बीजेपी को करारी हार भी मिली है. पार्टी के सांसद, विधायक ही अपने उम्मीदवारों के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे.

बीजेपी को मिलेगा सत्ता का लाभ

राजनीतिक विश्लेषक पीएन द्विवेदी कहते हैं कि समाजवादी पार्टी, भाजपा और निर्दलीय जिला पंचायत सदस्यों की संख्या करीब-करीब बराबर है. ऐसे में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में निर्दलियों की भूमिका अहम होगी. निर्दलियों का झुकाव हमेशा से सत्ता पक्ष के साथ ही रहा है. ये जीत के बाद सत्ता पक्ष के साथ चले जाते हैं. सत्ता पक्ष के साथ जाने में ही उन्हें लाभ दिखाई देता है. इसलिए मौजूदा समय में प्रदेश की सत्ता में काबिज बीजेपी को इसका लाभ मिलना लगभग तय है. पिछले जिला पंचायत के चुनाव में जो लाभ समाजवादी पार्टी को मिला था, वही लाभ इस बार बीजेपी को मिलेगा.

लखनऊः भारतीय जनता पार्टी को अपना जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने में भी लाले पड़ सकते हैं. पार्टी को अब सिर्फ निर्दलियों का ही सहारा है. इसके बावजूद बीजेपी इसे अपनी उपलब्धि बता रही है. प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह का कहना है कि प्रदेश की जनता ने पंचायत चुनाव में बीजेपी को अपार समर्थन दिया है.

जिसकी सत्ता उसकी पंचायत

अबतक ये देखा जाता रहा है कि सत्ताधारी दल ही पंचायत के चुनाव में झंडे गाड़ते रही है. पिछली बार के पंचायत चुनाव में समाजवादी पार्टी ने 1500 सदस्य बनाकर 62 जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा जमाया था. उस समय प्रदेश के मुखिया अखिलेश यादव थे. इस बार भी सपा एक हजार जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीतने का दावा कर रही है. लेकिन, जानकारों का कहना है कि जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर आमतौर पर सत्ताधारी दल ही जीत दर्ज कर पाते हैं.

भाजपा का पिछली बार से बेहतर प्रदर्शन

पिछले पंचायत चुनाव में बीजेपी केवल पांच जिलों में ही अपना जिला पंचायत अध्यक्ष बना सकी थी. इस बार वो अपनी सारी ताकत जिला पंचायत अध्यक्ष के साथ ब्लॉक प्रमुखों की कुर्सी हथियाने में लगा देगी. बीजेपी इस बार 981 जिला पंचायत सदस्य जीतने का दावा कर रही है. जिला पंचायत अध्यक्ष बनने में निर्दलीय और छोटे दलों की भूमिका हो सकती है. पार्टी की तरफ से यह दावा भी किया गया है कि करीब 400 से अधिक निर्दलीय जिला पंचायत सदस्य बीजेपी के संपर्क में हैं. पार्टी चाहेगी कि बीजेपी के अध्यक्ष बनने में निर्दलीय और छोटे दलों के सदस्यों का उसे साथ मिले. इसके लिए बीजेपी जीते हुए उम्मीदवारों को अपने पाले में बुलाने के लिए गुणा-गणित में जुट गई है.

निर्दलीय और छोटे दलों की भी भूमिका महत्वपूर्ण

जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में छोटे दलों की भूमिका काफी अहम है. आमतौर पर छोटे दल और निर्दलीय जीत दर्ज करने वाले उम्मीदवार सत्ताधारी दल के साथ ही खड़े दिखाई देते हैं. पश्चिम में राष्ट्रीय लोक दल ने करीब 60 से अधिक सीटों पर जीत दर्ज करने का दावा किया है. पूर्वांचल के कुछ जिलों में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और अपना दल (एस) के उम्मीदवारों ने भी जीत दर्ज की है. हालांकि उनकी संख्या बहुत कम है. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल भाजपा के साथ आते हुए नहीं दिखाई दे रहे. ऐसे में निर्दलीय ही भाजपा का दामन थामेंगे. बीजेपी इनके सहारे ही जिला पंचायत अध्यक्ष के ज्यादातर पदों पर जीत दर्ज करने की रणनीति बना रही है.

BJP को ऐसी चुनौतियों का भी करना होगा सामना

भारतीय जनता पार्टी भले ही सत्ता में हो, लेकिन उसे जिला पंचायत अध्यक्ष पद जीतने के लिए तमाम कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. राज्य के कई ऐसे जिले हैं, जहां पार्टी का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है. राम नगरी अयोध्या, गोंडा, उन्नाव, अम्बेडकरनगर, मथुरा, जालौन, बलिया, वाराणसी समेत कई ऐसे जिलों में बीजेपी बहुमत से काफी दूर है.

गुटबाजी का भी दिखेगा चुनाव पर असर

जिन जिलों में भाजपा खेमे में गुटबाजी है और पार्टी के सांसद, विधायक ताकतवर हैं, उन जिलों में निर्दलीय उम्मीदवारों के जिला पंचायत अध्यक्ष बनने का अनुमान लगाया जा रहा है. दरअसल बीजेपी ने सांसदों, विधायकों के परिजन को जिला पंचायत सदस्य का उम्मीदवार नहीं बनाया. इससे उनमें पार्टी नेतृत्व के प्रति नाराजगी है. वह जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में अपनी ताकत का एहसास नेतृत्व को कराना चाहेंगे. सदस्य के चुनाव में वो अपनी ताकत का एहसास पार्टी नेतृत्व को करा चुके हैं. कई जिलों में इसलिए बीजेपी को करारी हार भी मिली है. पार्टी के सांसद, विधायक ही अपने उम्मीदवारों के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे.

बीजेपी को मिलेगा सत्ता का लाभ

राजनीतिक विश्लेषक पीएन द्विवेदी कहते हैं कि समाजवादी पार्टी, भाजपा और निर्दलीय जिला पंचायत सदस्यों की संख्या करीब-करीब बराबर है. ऐसे में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में निर्दलियों की भूमिका अहम होगी. निर्दलियों का झुकाव हमेशा से सत्ता पक्ष के साथ ही रहा है. ये जीत के बाद सत्ता पक्ष के साथ चले जाते हैं. सत्ता पक्ष के साथ जाने में ही उन्हें लाभ दिखाई देता है. इसलिए मौजूदा समय में प्रदेश की सत्ता में काबिज बीजेपी को इसका लाभ मिलना लगभग तय है. पिछले जिला पंचायत के चुनाव में जो लाभ समाजवादी पार्टी को मिला था, वही लाभ इस बार बीजेपी को मिलेगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.