ETV Bharat / state

प्रदेश के हर विधानसभा क्षेत्र में दस हजार पसमांदा मुसलमानों को जोड़ेगी भाजपा

2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर यूपी में भाजपा अभी से तैयारियों में जुट गई है. भाजपा खास रणनीति के तहत प्रदेश के हर विधानसभा क्षेत्र में दस हजार पसमांदा मुसलमान को जोड़ेगी. पेश है खास रिपोर्ट.

Etv bharat
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय चौधरी ने दी यह जानकारी.
author img

By

Published : Jul 8, 2022, 10:32 PM IST

लखनऊ : 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी बड़ी संख्या में पसमांदा मुस्लिमों को पार्टी से जोड़ने की योजना बना रही है. पार्टी ने हर विधानसभा क्षेत्र में कम से कम दस हजार पसमांदा मुसलमानों को जोड़ने का लक्ष्य तय किया है. विगत विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को आठ प्रतिशत मुस्लिम वोट मिलने की बात कही गई थी. स्वाभाविक है कि ऐसी रिपोर्ट्स भाजपा का मनोबल बढ़ाती हैं. प्रदेश की कुल आबादी में चार करोड़ के करीब पसमांदा मुसलमान हैं. भाजपा की निगाह इसी वोट बैंक पर है.

हाल ही में हैदराबाद में आयोजित भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में पसमांदा मुसलमानों की चर्चा की थी. प्रधानमंत्री की यह चर्चा यूं ही नहीं थी. दरअसल भाजपा की नजर मुसलमानों की लगभग नब्बे फीसदी पसमांदा (एक तरह से पिछड़ा वर्ग) आबादी पर है. पसमांदा समाज में अंसारी, सैफी, सलमानी, धोबी, नाई, मंसूरी, बुनकर, धुनिया, रंगरेज, राइन, घोसी, कुरैशी, नाइक, अल्वी, कासगर, इदरीसी, फकीर, गुजर, लोहार आदि मुसलमान आते हैं. जिन्हें एक तरह से पिछड़ा और गरीब तबका माना जाता है. भारतीय जनता पार्टी की सरकार लगातार अपनी योजनाओं के माध्यम से इसी तबके को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है.

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय चौधरी ने दी यह जानकारी.

तीन माह पहले प्रदेश में जब योगी सरकार का गठन हुआ, पार्टी ने तो परंपरा तोड़कर पसमांदा समाज के दानिश आजाद को मंत्री बनाया. आम तौर पर भाजपा शिया समुदाय के नेताओं को मंत्रिपद आदि के लिए प्रमुखता दिए जाने की परंपरा रही है. दानिश आजाद को जब मंत्रीपद की शपथ दिलाई गई, उस समय वह किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे. बाद में पार्टी ने उन्हें विधान परिषद भेजा. कई लोगों को सरकार का यह फैसला चौकाने वाला लगा. हालांकि भाजपा कोई भी फैसला कभी यूं ही नहीं करती. उसके पीछे कोई उपयुक्त कारण जरूर होता है. हर विधानसभा क्षेत्र में दस हजार पसमांदा मुसलमानों को जोड़ने का भाजपा का लक्ष्य बहुत मुश्किल नहीं है. इस समाज में पार्टी ने पहले से ही पैठ बना रखी है. उत्तर प्रदेश भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चे में तीन चौथाई मुसलमान पसमांदा समाज से ही है.

हाल ही में रामपुर और आजमगढ़ की सीटों पर हुए लोक सभा उप चुनाव में भाजपा की जीत से यह साफ हो गया कि कहीं न कहीं मुसलमानों का एक वर्ग भाजपा को वोट जरूर कर रहा है. रामपुर संसदीय सीट पर लगभग 52 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है. इसके बावजूद भाजपा की जीत यह साफ संदेश देती है कि पिछड़े मुसलमानों को लुभाने में कामयाब रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों या उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. दोनों ही नेता सबका साथ, सबका विकास का नारा देते हैं. दोनों ही नेता दावा करते हैं कि उनकी योजनाओं का लाभ सभी वर्गों को समान रूप से मिल रहा है. स्वाभाविक है अन्य वर्गों की भांति यदि पिछड़े मुसलमान भी सरकार की योजनाओं से लाभान्वित हैं, तो वह उसके लिए वोट भी करेंगे. तीन तलाक कानून लाने के साथ ही भाजपा ने मुस्लिम वोट बैंक के एक वर्ग में सेंध लगा दी थी. अब भाजपा की नई कवायद मुसलमानों की राजनीति करने वाले दलों के लिए खतरे की घंटी साबित हो रही है.

इस विषय में भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय चौधरी कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी का आधार ही अंत्योदय है. अर्थात विकास की रफ्तार में पीछे छूट गए लोगों तक विकास की किरण सबसे पहले पड़नी चाहिए. पसमांदा समाज मुसलमानों में वह समाज है, जो पिछड़ा है, गरीब है, शिक्षा से दूर है. निश्चित रूप से अंत्योदय के वैचारिक आधार पर भाजपा का लक्ष्य है ऐसे लोगों तक पहुंचना. इस बार के चुनावों के बाद जो घटनाएं हुईं वह आपके सवालों का जवाब हैं. बड़ी संख्या में मुसलमानों ने भाजपा को वोट दिया. समाज में सकारात्मक बदलाव दिखाई दे रहा है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

लखनऊ : 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी बड़ी संख्या में पसमांदा मुस्लिमों को पार्टी से जोड़ने की योजना बना रही है. पार्टी ने हर विधानसभा क्षेत्र में कम से कम दस हजार पसमांदा मुसलमानों को जोड़ने का लक्ष्य तय किया है. विगत विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को आठ प्रतिशत मुस्लिम वोट मिलने की बात कही गई थी. स्वाभाविक है कि ऐसी रिपोर्ट्स भाजपा का मनोबल बढ़ाती हैं. प्रदेश की कुल आबादी में चार करोड़ के करीब पसमांदा मुसलमान हैं. भाजपा की निगाह इसी वोट बैंक पर है.

हाल ही में हैदराबाद में आयोजित भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में पसमांदा मुसलमानों की चर्चा की थी. प्रधानमंत्री की यह चर्चा यूं ही नहीं थी. दरअसल भाजपा की नजर मुसलमानों की लगभग नब्बे फीसदी पसमांदा (एक तरह से पिछड़ा वर्ग) आबादी पर है. पसमांदा समाज में अंसारी, सैफी, सलमानी, धोबी, नाई, मंसूरी, बुनकर, धुनिया, रंगरेज, राइन, घोसी, कुरैशी, नाइक, अल्वी, कासगर, इदरीसी, फकीर, गुजर, लोहार आदि मुसलमान आते हैं. जिन्हें एक तरह से पिछड़ा और गरीब तबका माना जाता है. भारतीय जनता पार्टी की सरकार लगातार अपनी योजनाओं के माध्यम से इसी तबके को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है.

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय चौधरी ने दी यह जानकारी.

तीन माह पहले प्रदेश में जब योगी सरकार का गठन हुआ, पार्टी ने तो परंपरा तोड़कर पसमांदा समाज के दानिश आजाद को मंत्री बनाया. आम तौर पर भाजपा शिया समुदाय के नेताओं को मंत्रिपद आदि के लिए प्रमुखता दिए जाने की परंपरा रही है. दानिश आजाद को जब मंत्रीपद की शपथ दिलाई गई, उस समय वह किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे. बाद में पार्टी ने उन्हें विधान परिषद भेजा. कई लोगों को सरकार का यह फैसला चौकाने वाला लगा. हालांकि भाजपा कोई भी फैसला कभी यूं ही नहीं करती. उसके पीछे कोई उपयुक्त कारण जरूर होता है. हर विधानसभा क्षेत्र में दस हजार पसमांदा मुसलमानों को जोड़ने का भाजपा का लक्ष्य बहुत मुश्किल नहीं है. इस समाज में पार्टी ने पहले से ही पैठ बना रखी है. उत्तर प्रदेश भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चे में तीन चौथाई मुसलमान पसमांदा समाज से ही है.

हाल ही में रामपुर और आजमगढ़ की सीटों पर हुए लोक सभा उप चुनाव में भाजपा की जीत से यह साफ हो गया कि कहीं न कहीं मुसलमानों का एक वर्ग भाजपा को वोट जरूर कर रहा है. रामपुर संसदीय सीट पर लगभग 52 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है. इसके बावजूद भाजपा की जीत यह साफ संदेश देती है कि पिछड़े मुसलमानों को लुभाने में कामयाब रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों या उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. दोनों ही नेता सबका साथ, सबका विकास का नारा देते हैं. दोनों ही नेता दावा करते हैं कि उनकी योजनाओं का लाभ सभी वर्गों को समान रूप से मिल रहा है. स्वाभाविक है अन्य वर्गों की भांति यदि पिछड़े मुसलमान भी सरकार की योजनाओं से लाभान्वित हैं, तो वह उसके लिए वोट भी करेंगे. तीन तलाक कानून लाने के साथ ही भाजपा ने मुस्लिम वोट बैंक के एक वर्ग में सेंध लगा दी थी. अब भाजपा की नई कवायद मुसलमानों की राजनीति करने वाले दलों के लिए खतरे की घंटी साबित हो रही है.

इस विषय में भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय चौधरी कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी का आधार ही अंत्योदय है. अर्थात विकास की रफ्तार में पीछे छूट गए लोगों तक विकास की किरण सबसे पहले पड़नी चाहिए. पसमांदा समाज मुसलमानों में वह समाज है, जो पिछड़ा है, गरीब है, शिक्षा से दूर है. निश्चित रूप से अंत्योदय के वैचारिक आधार पर भाजपा का लक्ष्य है ऐसे लोगों तक पहुंचना. इस बार के चुनावों के बाद जो घटनाएं हुईं वह आपके सवालों का जवाब हैं. बड़ी संख्या में मुसलमानों ने भाजपा को वोट दिया. समाज में सकारात्मक बदलाव दिखाई दे रहा है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.