लखनऊ: 2022 के विधानसभा चुनाव (UP assembly elections 2022) को लेकर भारतीय जनता पार्टी राम मंदिर आंदोलन के नायक रहे कल्याण सिंह (Kalyan Singh) के नाम और काम को भुनाने की तैयारी कर रही है. उनके निधन के बाद भाजपा सरकार के स्तर पर कई योजनाओं के नाम कल्याण के नाम पर करने पर विचार कर रही है. वहीं चुनाव में कल्याण सिंह द्वारा किए गए काम और उनके नाम को लेकर तमाम तरह के अभियान चलाने पर भी चर्चा हो रही है. आने वाले दिनों में इसका एलान करते हुए चुनाव में कल्याण के नाम और काम का फायदा लेने की कोशिश नजर आएगी. मुख्य रूप से राम मंदिर के लिए सरकार कुर्बान करने की बात हो या बेहतर सरकार देने को लेकर कल्याण सिंह हमेशा जाने जाएंगे.
उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी अयोध्या सहित पांच जिलों की सड़कों के नाम कल्याण सिंह के नाम पर किए जाने का एलान किया है. इसके अलावा उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के स्तर पर आने वाले दिनों में कई योजनाओं के नाम कल्याण सिंह के नाम पर करने को लेकर उच्च स्तर पर मंथन किया जा रहा है. दरअसल भारतीय जनता पार्टी 2022 के विधानसभा चुनाव में पिछड़ों के सबसे बड़े नेता कल्याण सिंह की हिंदुत्ववादी छवि और पिछड़ों के सर्वमान्य नेता होने को लेकर जनता के बीच जाएगी. भाजपा जन-जन को बताएगी कि पार्टी किस प्रकार से कल्याण सिंह के नाम और काम को जन-जन तक पहुंचा रही है. सरकार योजनाओं के माध्यम से पिछड़ों, वंचितों और शोषितों के हक के लिए कैसे काम कर रही है, योजनाओं में पिछड़े समाज के लोगों को कैसे सहभागी बनाया जा रहा है, ऐसी तमाम जानकारी जनता तक पहुंचाने का काम करेगी.
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कल्याण सिंह के संकल्प और उनके आदर्शों को संकलित करने को लेकर भी भारतीय जनता पार्टी योजना बना रही है. भाजपा बड़े स्तर पर अभियान चलाने को लेकर भी तैयारी कर रही है. भाजपा के वरिष्ठ नेता कहते हैं कि कल्याण सिंह भाजपा के न सिर्फ हिंदुत्ववादी छवि के बड़े नेता रहे हैं, बल्कि वह पिछड़ों के सर्वमान्य नेता भी हैं. राम मंदिर आंदोलन के नायक रहे कल्याण सिंह ने किस प्रकार से कार सेवकों पर गोली न चलवा कर राम मंदिर के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई थी. उन्होंने यह संदेश दिया था कि राम भक्त कारसेवक उनके लिए सब कुछ हैं और बाद में उन्होंने नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री जैसे एक बड़े पद का भी त्याग करने में तनिक देरी नहीं लगाई. भारतीय जनता पार्टी उनकी हिंदुत्ववादी छवि राम मंदिर आंदोलन में उनके त्याग और पिछड़ों के सर्वमान्य बड़े नेता के नाम और काम को लेकर जन-जन तक जाने को लेकर तैयारी कर रही है, जिससे भाजपा को विधानसभा चुनाव 2022 में कल्याण सिंह के सहारे काफी फायदा मिल सके.
प्रदेश में पिछड़ों को लुभाने की कवायद
दरअसल भारतीय जनता पार्टी यह सब कवायद 2022 के विधानसभा चुनाव को केंद्र बिंदु में रखते हुए करना चाह रही है. उत्तर प्रदेश में 53 फीसद पिछड़े मतदाता चुनाव में किसी भी राजनीतिक दल के हार जीत का बड़ा कारण बनते हैं. भारतीय जनता पार्टी 53 फीसद इसी पिछड़ी जाति के वोटरों को पार्टी के पक्ष में और अधिक लामबंद करने को लेकर कल्याण के नाम का सहारा लेने की रणनीति बना रही है. उत्तर प्रदेश में पिछड़े वर्ग की वोटरों की लामबंदी को लेकर सभी राजनीतिक दल सक्रिय हैं. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर भी पिछड़ों के हक में लगातार आवाज बुलंद कर रहे हैं. निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद भी भाजपा के साथ हैं और पिछड़ों के हित की बात करके पिछड़े वोटरों को भाजपा के साथ लाने को लेकर लॉबिंग कर रहे हैं.
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भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय चौधरी कहते हैं कि भाजपा जिस विचार पर काम करती है, जिस संस्कृति के आधार पर अपने कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने का काम करती है, कल्याण सिंह उसके जीवंत प्रतिमान हैं. चाहें वह हिंदुत्व की बात हो, चाहे प्रशासनिक कुशलता की बात हो, दोनों ही पैमानों पर कल्याण सिंह एक आदर्श राजनेता के रूप में जाने जाएंगे. जनता के बीच में यही उनकी साख थी. उनके काम चाहें किसान बही के रूप में हों, या नौजवानों के लिए समूह ग और घ की नौकरियां देने की बात हो, दोनों के लिए उन्होंने नौकरी की शुरुआत की थी. निश्चित रूप से कल्याण सिंह एक बहुत बड़े उदाहरण हैं. जैसा देखा गया है कि पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने उनको श्रद्धांजलि अर्पित की है और उस समय इस बात को कहा गया है कि उनके विचारों को, उनके क्रियाकलापों को, संकल्पों को पूरा करने के लिए भाजपा प्रतिबद्ध है. सामाजिक रूप से वह जिस वर्ग से आते थे उनमें पीड़ा थी, शोषित, वंचित, अविकसित ऐसे लोगों के लिए काम करने के लिए उसी संकल्प के साथ भाजपा अपनी दोगुनी गति के साथ लोगों के बीच में जाएगी और कल्याण सिंह के संकल्पों को पूरा करेगी.
राजनीतिक विश्लेषक डॉ दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं कल्याण सिंह का कद उत्तर प्रदेश की राजनीति में काफी बड़ा है. वह पिछड़ों के सर्वमान्य नेता रहे हैं तो हिंदुत्व के फायर ब्रांड नेता राम मंदिर आंदोलन के समय से रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी स्वाभाविक रूप से उनके संकल्प उनके आदर्श और उनके कामकाज को लेकर जनता के बीच जाएगी तो इसका फायदा भी भाजपा को मिल सकता है. प्रदेश में पितरों को अपने पक्ष में लामबंद करने को लेकर सभी राजनीतिक दल सक्रिय हैं. ऐसे में कल्याण के काम व नाम के आधार पर अगर भाजपा जन जन तक जाएगी तो यह अच्छी बात है. भाजपा के प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय नेतृत्व ने जिस प्रकार से कल्याण के निधन के बाद उन्हें श्रद्धांजलि दी है वह भी बहुत बड़ा सम्मान है.