लखनऊ: यूपी में कांवड़ियों पर हो रही पुष्प वर्षा पर AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने तंज कसा है. उन्होंने योगी सरकार का नाम लिए बिना कहा कि अगर उन पर फूल बरसा रहे हैं, तो कम से कम हमारे घर तो मत तोड़िए. ओवैसी ने कुछ अखबारों की फोटो शेयर करते हुए लिखा कि यह 'रेवड़ी कल्चर' नहीं है? मुसलमान, खुली जगह पर चंद मिनट के लिए नमाज भी अदा करे तो बवाल हो जाता है. मुसलमानों को सिर्फ मुसलमान होने की वजह से पुलिस की गोलियों, एनएसए, यूएपीए, लिंचिंग और बुलडोजर का सामना करना पड़ रहा है.
ओवैसी के इस बयान पर बीजेपी ने स्पष्टीकरण देते कहा कि आज जो इंतजाम कावड़ियों के लिए किए जा रहे है. सालों से मोहर्रम ताजिया और हज यात्रा में किए जाते रहे हैं. तब किसी ने सवाल नहीं उठाया तो अब क्यों.
'एक से नफरत, दूसरों से मोहब्बत'
AIMIM सांसद ओवैसी ने आगे अपने ट्वीट में योगी सरकार पर सवाल खड़े करते हुए लिखा कि कांवड़ियों के जज्बात इतने कमजोर हैं कि वे किसी मुसलमान पुलिसकर्मी का नाम भी बर्दाश्त नहीं कर सकते. यह भेद-भाव क्यों? समानता नहीं होनी चाहिए? एक से नफरत और दूसरों से मोहब्बत क्यों? एक मजहब के लिए ट्रैफिक डाइवर्ट और दूसरे के लिए बुलडोजर क्यों?
'मुसलमानों का भी रखा जाए ध्यान'
ओवैसी ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में मुसलमानों का घर गिराया जा रहे हैं. चिन्हित करके उनके खिलाफ कार्रवाई हो रही है और कांवड़ियों पर फूल बरसाए जा रहे हैं. सरकारी अधिकारी कर्मचारियों नेता इस काम में जुटे हुए हैं. मुसलमानों का भी ख्याल रखा जाना चाहिए.
'लोगों की भावनाओं को भड़काने का प्रयास'
ओवैसी के बयान पर जवाब देते हुए बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि सावन के महीने में लाखों लोग भगवान भोलेनाथ पर जलाभिषेक के लिए पदयात्रा करते हैं. इसलिये सरकार आवश्यक सुविधाएं सुनिश्चित करती है. सरकार इसी तरह ताजिया जुलूस और रोजा इफ्तार के लिए भी व्यवस्थाएं मुहैया कराती रही है. तब ओवैसी सवाल नहीं उठाते. ओवैसी सवाल उठाकर सांप्रदायिक विभाजन और लोगों की भावनाओं को भड़काने का प्रयास कर रहे हैं.
इसे भी पढ़ें- "महंगाई और बेरोजगारी के लिए मुगल जिम्मेदार हैं, पीएम मोदी नहीं"