लखनऊः 2022 के विधानसभा चुनाव की चल रही प्रक्रिया के अंतर्गत आज तीसरे चरण के चुनाव में 16 जिलों की 59 विधानसभा सीटों पर मतदान संपन्न हो गया. शाम 6:00 बजे तक निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार करीब 60.82 फीसद मतदान हुआ है. 2017 विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण से आज हुए मतदान फीसद की तुलना करें तो करीब 2 फीसद मतदान कम हुआ है.
2012 विधानसभा चुनाव की बात करें तो तीसरे चरण में इन्हीं 59 सीटों पर 59.79 फीसद मतदान हुआ था. जबकि 2017 के तीसरे चरण के चुनाव में 62.21 फीसद मतदान हुआ था. ऐसे में समझ सकते हैं कि 2012 विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण की तुलना में 2017 के विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में करीब ढाई फीसद मतदान अधिक हुआ था. काफी उलटफेर देखने को मिला था. 2012 में समाजवादी पार्टी की सरकार थी और जब 2017 में चुनाव हुए तो समाजवादी पार्टी की सरकार का सफाया हुआ और भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन गई थी.
दोनों चुनाव में तीसरे चरण की बात करें तो 2012 में भारतीय जनता पार्टी की 8 सीटें बढ़कर 49 पर पहुंच गई थी. वहीं, समाजवादी पार्टी 37 सीटें 2012 में जीती थी, वह 2017 में आकर 8 सीटों पर सिमट गई थी. ऐसे में अब 2017 विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में मिले मतदान प्रतिशत से 2022 के तीसरे चरण में मिले मतदान में करीब 2 फ़ीसदी की कमी है, जो कई तरह के राजनीतिक समीकरण बदलने वाले भी साबित हो सकते हैं.
2012 विधानसभा चुनाव की बात करें तो समाजवादी पार्टी ने 59 सीटों में 37 पर जीत दर्ज की थी, जबकि भाजपा को 8 सीटें मिली थीं. बसपा को दस और कांग्रेस के खाते में तीन व एक सीट पर निर्दलीय ने जीत दर्ज की थी. वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में भाजपा ने इन 59 सीटों में से 49 पर जीत दर्ज करने में सफलता प्राप्त की थी, तो सपा को 8 और कांग्रेस बसपा को एक एक सीट ही मिली थीं.
2012 में इन 59 सीटों में से भाजपा को सिर्फ 8 सीटें ही मिली थीं. यानी भाजपा को 41 सीटों का फायदा हुआ. वहीं खासबात यह है कि सपा को 2012 के तीसरे चरण में इन 59 सीटों में 37 सीटें ही मिली थीं. तो 2017 में 8 सीटें उसके झोली में आयी. यानी सपा को 29 सीटों का नुकसान हो गया.
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वरिष्ठ पत्रकार राजनीतिक विश्लेषक योगेश मिश्रा का कहना है कि, मतदान का फीसद निराश करने वाला है. क्योंकि 5 साल में भी हम 62 फीसदी के पिछली बार के मतदान के आंकड़े तक नहीं पहुंच पाए. बह बताते हैं कि पॉलिटिकल पार्टियों के प्रति मतदाताओं का रुझान कम हो रहा है. और दूसरी बात यह है कि लोकतंत्र के प्रति लोगों की आस्था भी कम हो रही है.
यह जो मतदान है जिसे हम 60- 62 के बीच का बता रहे हैं इस मतदान को भी समझने की जरूरत है. शहरों में मतदान बहुत कम है जबकि देहात क्षेत्र में मतदान ज्यादा है. हालांकि कोरोना का डर भी लोगों में बना हुआ है. दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि एक बड़े बदलाव एक बड़े परिवर्तन और एक पॉलिटिकल पार्टी को बनाए रखने या विपक्ष को लेकर जनता का कोई साफ रुझान इस तीसरे चरण के मतदान में नहीं देखने को मिला.
इससे स्पष्ट होता है कि लोकतंत्र के प्रति लोगों में घोर निराशा है. और मुझे लगता है कि निर्वाचन आयोग और स्वयंसेवी संगठनों को चाहिए कि जनता और राजनीतिक दलों के बीच में जागरूकता लाएं और राजनीतिक दलों को भी ऐसा ही एक नई तरह की राजनीति के लिए प्रेरित करें.
राजनीतिक विश्लेषक योगेश मिश्रा ने बताया कि पुराने घिसे-पिटे पॉलिटिकल ट्रेंड से जनता परेशान हो चुकी है. उनके सामने सांप नाथ और नागनाथ का विकल्प ही है. जनता एक नया विकल्प चाहती है राजनीतिक दलों को एक नए विकल्प देने को लेकर प्रयास करने चाहिए नहीं तो मतदाताओं में उत्साह नहीं आएगा.
2022 के तीसरे चरण में मतदान करीब 60 फीसद
हाथरस- 59 %
फिरोजाबाद 57.41 %
कासगंज - 59.11%
एटा - 63.58%
मैनपुरी - 60.80%
फर्रुखाबाद 54.55
कन्नौज - 60.28%
इटावा - 58.35%
औरैया 57.55%
कानपुर देहात 58.48%
कानपुर नगर - 50.76 %
जालौन - 53.84%
झांसी - 57.71%
ललितपुर 67.38 %
हमीरपुर 57.90%
महोबा- 62.02%
2017 में 62.21 फीसद और 2012 के तीसरे चरण में 59.79 फीसद मतदान
औरैया 59.79% - 60.37%
एटा 61.71%- 64.61%
इटावा 59.93%- 60.03%
फर्रुखाबाद 58.12%- 59.77%
फिरोजाबाद 63.97% - 66.07%
हमीरपुर 59.17%- 63.35%
हाथरस 61.32%- 63.03%
जालौन 60.53%- 60.40%
झांसी 63.79% 66.02%
कन्नौज 57.51%- 63.32%
कानपुर देहात 62.68%- 62.58%
कानपुर नगर 54.41%- 57.26%
कासगंज 58.60%- 62.66%
ललितपुर 72.65%- 72.01%
महोबा 61.89% - 65.99%
मैनपुरी 62.68% - 59.63%
2017 विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में सीटों की स्थिति
भाजपा 49
सपा 08
कांग्रेस 01
बसपा 01
2012 विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में सीटों की स्थिति
सपा 37
भाजपा 08
बसपा 10
कांग्रेस 03
निर्दलीय01
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