ETV Bharat / state

आखिर इन 38 हजार बूथों पर भाजपा की क्यों है खास नजर? क्या है खास वजह? - भाजपा की ताजी खबर

आगामी लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने कमर कस ली है. यूपी के 38 हजार बूथों पर भाजपा की खास नजर है. आखिर इन बूथों पर बीजेपी क्यों फोकस कर रही है, चलिए जानते हैं इस बारे में.

Etv bharat
राजनीतिक विश्लेषक यह बोले.
author img

By

Published : Jul 6, 2022, 4:59 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में 38 हजार ऐसे बूथ जहां भाजपा की नजर है. ये 38 हजार ऐसे बूथ हैं जहां भाजपा को साल 2019 के लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. अब इनमें से जिन बूथों पर भाजपा को कम अंतर से हार मिली या फिर 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले जीत मिली थी, उन पर खास नजर रखी जा रही है. बूथों को तीन वर्गों में बांटा गया है. बूथ को जीतने के लिए अलग-अलग मैनेजमेंट हैं.

हाल ही में भाजपा के जिला संयोजकों की मीटिंग हुई थी जिसमें तय किया गया कि बूथ मैनेजमेंट की शुरुआत अभी से की जाए ताकि भाजपा विपक्ष से आगे निकल सके. इस बैठक में उन 14 सीटों के जिला संयोजक बुलाए गए थे जहां भाजपा के सांसद नहीं है. फिलहाल 80 सीटों का यह लक्ष्य खासा कठिन है, मगर सपा बसपा के अलग-अलग लड़ने और बसपा का भाजपा के प्रति सहयोगी रुख देखते हुए विशेषज्ञ इस लक्ष्य को खोखला दावा नहीं मान रहे हैं. बसपा ने हाल में ही रामपुर में प्रत्याशी न उतारकर और आज़मगढ़ में उम्मीदवार को उतारकर भाजपा की मदद ही की थी. ऐसे में भगवा खेमा ज्यादा आशान्वित बताया रहा है.

राजनीतिक विश्लेषक यह बोले.
जब यह तय हो गया था कि उपचुनाव में लोकसभा की दोनों सीटें भारतीय जनता पार्टी ही जीतने जा रही है, उसी वक्त शाम को भाजपा के प्रदेश मुख्यालय पर आयोजित प्रेस वार्ता में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि वे इस बार उत्तर प्रदेश में लोकसभा की सभी यानी 80 सीटों को जीतेंगे . इसके बाद से ही भाजपा नेतृत्व ने तय कर लिया है कि इस बार किसी भी सीट को विरोधियों के हाथ में नहीं जाने दिया जाएगा. उत्तर प्रदेश में कुल 1.73 लाख बूथ है. जिनमें से भारतीय जनता पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में 38000 बूथों पर हार का सामना किया था. जिसके बाद में अब जब लोकसभा के उपचुनाव में भाजपा को जीत मिली है तो भाजपा सभी सीट जीतना चाहती है.
हारे हुए बूथों के अलावा सभी बूथों को भारतीय जनता पार्टी ने 3 ग्रुपों में बांटा है. ए, बी और सी जिसमें ए कैटेगरी में वह बूथ हैं जहां भारतीय जनता पार्टी को लगातार जीत मिलती रही है. जबकि बी कैटेगरी में ऐसे बूथ है जहां कभी भाजपा जीती है और कभी हार गई. जबकि सी कैटेगरी में ऐसे बूथ हैं जहां भारतीय जनता पार्टी को लगातार हार का सामना करना पड़ा है. सबसे ज्यादा फोकस बी और सी कैटेगरी पर रखने के लिए कहा गया है ताकि भाजपा को जीत मिल सके.
इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रतिभान त्रिपाठी ने बताया कि निश्चित तौर पर भारतीय जनता पार्टी का जिस तरह से बूथ मैनेजमेंट है और काम करने की शैली है यह कोई बड़ी बात नहीं है कि भारतीय जनता पार्टी 80 सीटें जीत ले. बूथ मैनेजमेंट पर भारतीय जनता पार्टी ने काम करना शुरू कर दिया है.
निश्चित तौर पर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन टूटने का फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिल रहा है. लोकसभा के उपचुनाव में जो परिणाम सामने आया है उसमें बहुजन समाज पार्टी की भूमिका भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में नजर आ रही है. आजमगढ़ में बहुजन समाज पार्टी ने मुस्लिम चेहरा गुड्डू जमाली को चुनाव में उतारा. गुड्डू जमाली ने करीब पौने तीन लाख वोट पाए और अधिकांश वोट समाजवादी पार्टी के झोली से छीने. भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ को मात्र 8679 वोटों से जीत मिली. जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर गुड्डू जमाली चुनाव में न उतरते तो यह निश्चित था कि भाजपा को वहां हार का सामना करना पड़ता. रामपुर में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के खिलाफ बसपा ने उम्मीदवार नहीं उतारा ऐसे में दलित और लोधी मतदाता एकतरफा भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में आ गया. इस वजह से समाजवादी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. भारतीय जनता पार्टी उम्मीद कर रही है कि बसपा का ऐसा रुख आगे भी बना रहे.


अमेठी का चुनाव 2019 में कांग्रेस हार चुकी है. राहुल गांधी ने अमेठी के साथ वायनाड से भी चुनाव लड़ा था, वह अमेठी में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से हार गए. मगर वायनाड में उन को जीत मिली इसके बाद में रायबरेली कांग्रेस के लिए अपेक्षाकृत कमजोर सीट हो चुकी है. इस बार माना जा रहा है कि सोनिया गांधी बढ़ती उम्र या बीमारी की वजह से संभवत रायबरेली से चुनाव न लड़ें. ऐसे में गांधी परिवार से अगर प्रियंका गांधी सीट पर नहीं उतरती हैं तो भारतीय जनता पार्टी के लिए यहां जीत हासिल करना कोई खास मुश्किल काम नहीं होगी.

भारतीय जनता पार्टी विधानसभा चुनाव 2022 में कई जिलों से गायब हो गई. इसमें आजमगढ़, मऊ, बस्ती, गाजीपुर, अंबेडकरनगर, मुरादाबाद और संभल ऐसे ही जिले हैं जहां भाजपा को सीटें नहीं मिली. इसी तरह से कौशांबी भी एक ऐसा जिला है जहां भारतीय जनता पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. 2019 के लोकसभा चुनाव में इन हारे हुए जिलों में भाजपा कैसे जीतेगी या एक बड़ा सवाल है. उप चुनाव में रामपुर और आजमगढ़ को जीतकर भाजपा ने यह स्पष्ट संदेश दे दिया है कि उसके बूथ मैनेजमेंट के आगे किसी भी तरह की कोई मुश्किल नहीं है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में 38 हजार ऐसे बूथ जहां भाजपा की नजर है. ये 38 हजार ऐसे बूथ हैं जहां भाजपा को साल 2019 के लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. अब इनमें से जिन बूथों पर भाजपा को कम अंतर से हार मिली या फिर 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले जीत मिली थी, उन पर खास नजर रखी जा रही है. बूथों को तीन वर्गों में बांटा गया है. बूथ को जीतने के लिए अलग-अलग मैनेजमेंट हैं.

हाल ही में भाजपा के जिला संयोजकों की मीटिंग हुई थी जिसमें तय किया गया कि बूथ मैनेजमेंट की शुरुआत अभी से की जाए ताकि भाजपा विपक्ष से आगे निकल सके. इस बैठक में उन 14 सीटों के जिला संयोजक बुलाए गए थे जहां भाजपा के सांसद नहीं है. फिलहाल 80 सीटों का यह लक्ष्य खासा कठिन है, मगर सपा बसपा के अलग-अलग लड़ने और बसपा का भाजपा के प्रति सहयोगी रुख देखते हुए विशेषज्ञ इस लक्ष्य को खोखला दावा नहीं मान रहे हैं. बसपा ने हाल में ही रामपुर में प्रत्याशी न उतारकर और आज़मगढ़ में उम्मीदवार को उतारकर भाजपा की मदद ही की थी. ऐसे में भगवा खेमा ज्यादा आशान्वित बताया रहा है.

राजनीतिक विश्लेषक यह बोले.
जब यह तय हो गया था कि उपचुनाव में लोकसभा की दोनों सीटें भारतीय जनता पार्टी ही जीतने जा रही है, उसी वक्त शाम को भाजपा के प्रदेश मुख्यालय पर आयोजित प्रेस वार्ता में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि वे इस बार उत्तर प्रदेश में लोकसभा की सभी यानी 80 सीटों को जीतेंगे . इसके बाद से ही भाजपा नेतृत्व ने तय कर लिया है कि इस बार किसी भी सीट को विरोधियों के हाथ में नहीं जाने दिया जाएगा. उत्तर प्रदेश में कुल 1.73 लाख बूथ है. जिनमें से भारतीय जनता पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में 38000 बूथों पर हार का सामना किया था. जिसके बाद में अब जब लोकसभा के उपचुनाव में भाजपा को जीत मिली है तो भाजपा सभी सीट जीतना चाहती है.
हारे हुए बूथों के अलावा सभी बूथों को भारतीय जनता पार्टी ने 3 ग्रुपों में बांटा है. ए, बी और सी जिसमें ए कैटेगरी में वह बूथ हैं जहां भारतीय जनता पार्टी को लगातार जीत मिलती रही है. जबकि बी कैटेगरी में ऐसे बूथ है जहां कभी भाजपा जीती है और कभी हार गई. जबकि सी कैटेगरी में ऐसे बूथ हैं जहां भारतीय जनता पार्टी को लगातार हार का सामना करना पड़ा है. सबसे ज्यादा फोकस बी और सी कैटेगरी पर रखने के लिए कहा गया है ताकि भाजपा को जीत मिल सके.
इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रतिभान त्रिपाठी ने बताया कि निश्चित तौर पर भारतीय जनता पार्टी का जिस तरह से बूथ मैनेजमेंट है और काम करने की शैली है यह कोई बड़ी बात नहीं है कि भारतीय जनता पार्टी 80 सीटें जीत ले. बूथ मैनेजमेंट पर भारतीय जनता पार्टी ने काम करना शुरू कर दिया है.
निश्चित तौर पर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन टूटने का फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिल रहा है. लोकसभा के उपचुनाव में जो परिणाम सामने आया है उसमें बहुजन समाज पार्टी की भूमिका भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में नजर आ रही है. आजमगढ़ में बहुजन समाज पार्टी ने मुस्लिम चेहरा गुड्डू जमाली को चुनाव में उतारा. गुड्डू जमाली ने करीब पौने तीन लाख वोट पाए और अधिकांश वोट समाजवादी पार्टी के झोली से छीने. भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ को मात्र 8679 वोटों से जीत मिली. जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर गुड्डू जमाली चुनाव में न उतरते तो यह निश्चित था कि भाजपा को वहां हार का सामना करना पड़ता. रामपुर में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के खिलाफ बसपा ने उम्मीदवार नहीं उतारा ऐसे में दलित और लोधी मतदाता एकतरफा भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में आ गया. इस वजह से समाजवादी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. भारतीय जनता पार्टी उम्मीद कर रही है कि बसपा का ऐसा रुख आगे भी बना रहे.


अमेठी का चुनाव 2019 में कांग्रेस हार चुकी है. राहुल गांधी ने अमेठी के साथ वायनाड से भी चुनाव लड़ा था, वह अमेठी में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से हार गए. मगर वायनाड में उन को जीत मिली इसके बाद में रायबरेली कांग्रेस के लिए अपेक्षाकृत कमजोर सीट हो चुकी है. इस बार माना जा रहा है कि सोनिया गांधी बढ़ती उम्र या बीमारी की वजह से संभवत रायबरेली से चुनाव न लड़ें. ऐसे में गांधी परिवार से अगर प्रियंका गांधी सीट पर नहीं उतरती हैं तो भारतीय जनता पार्टी के लिए यहां जीत हासिल करना कोई खास मुश्किल काम नहीं होगी.

भारतीय जनता पार्टी विधानसभा चुनाव 2022 में कई जिलों से गायब हो गई. इसमें आजमगढ़, मऊ, बस्ती, गाजीपुर, अंबेडकरनगर, मुरादाबाद और संभल ऐसे ही जिले हैं जहां भाजपा को सीटें नहीं मिली. इसी तरह से कौशांबी भी एक ऐसा जिला है जहां भारतीय जनता पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. 2019 के लोकसभा चुनाव में इन हारे हुए जिलों में भाजपा कैसे जीतेगी या एक बड़ा सवाल है. उप चुनाव में रामपुर और आजमगढ़ को जीतकर भाजपा ने यह स्पष्ट संदेश दे दिया है कि उसके बूथ मैनेजमेंट के आगे किसी भी तरह की कोई मुश्किल नहीं है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.