मेरठ : पैरा खिलाड़ी शेखर गुर्जर की हाइट करीब 3 फीट है. यही वजह है कि लोग उनका मजाक उड़ाने से नहीं चूकते. शेखर ने इसे हमेशा पॉजिटिव लिया और कुछ ऐसा करने की ठानी, जिसे देखकर अब मजाक उड़ाने वाले भी वाहवाही करते नहीं थकते. तीन फीट वाले शेखर अब पैरा चैंपियन बन चुके हैं. स्टेट लेवल पर शॉटपुट और जेवलिन थ्रो की प्रतियोगिताओं में गोल्ड जीत चुके शेखर का सपना पैरालांपिक्स में मेडल जीतने की है.
ETV Bharat ने शेखर गुर्जर और उनके कोच से बातचीत की. कहा जा सकता है कि छोटा कद होने के बाद भी मजबूत इच्छाशक्ति और जीवटता के दम पर शेखर न सिर्फ अपने हुनर को तराश रहे हैं, बल्कि कोच गौरव त्यागी की देखरेख में नेशनल लेवल की प्रतियोगिताओं की तैयारी में जुटे हैं. देखें पूरी रिपोर्ट...
छोटा सा गांव, छोटा कद लेकिन हौसला आसमान से ऊंचा : 22 साल के शेखर गुर्जर हापुड़ जिले में बहादुरपुर गांव के रहने वाले हैं. इनके पिता जयप्रकाश सेना में हैं, जबकि मां सुमन देवी गृहिणी हैं. शेखर बताते हैं कि उनका डॉक्टर बनने का सपना था. जब उन्होंने पैरालांपिक गेम्स में खिलाड़ियों को प्रदर्शन करते देखा तो यही उनका भी सपना खिलाड़ी बनने का हो गया. शेखर ने शॉटपुट और जेवलिन थ्रो का गेम चुना. कोच की देखरेख में शेखर रोजाना 5 घंटे प्रैक्टिस कर रहे हैं. अब तक मिली सफलता का सारा श्रेय वे अपने कोच गौरव त्यागी को देते हैं.
पैरालंपिक में देश के लिए मेडल जीतने का सपना : शेखर बताते हैं कि पैरालंपिक गेम्स में देश के लिए मेडल लाने का सपना देखा पिछले साल ही देखा था. इसे पूरा करने के लिए गांव से मेरठ अपनी बहन के पास आ गए. अब यही रहकर प्रैक्टिस शुरू कर दी है. दिन निकलते ही शेखर मेरठ के कैलाश प्रकाश स्टेडियम में प्रैक्टिस करने पहुंच जाते हैं. मन में बस यही लगन है कि देश के लिए मेडल लाना है. माता-पिता का नाम रोशन करना है.
मजाक को कभी सीरियसली नहीं लिया, पॉजिटीव रहे : शेखर गुर्जर कहते हैं कि एक वक्त ऐसा भी था, कि परिवार वाले उनके लिए चिंतित रहते थे. कई बार लोग छोटी हाईट की वजह से उन पर हंसते थे, लेकिन ऐसे मजाक को उन्होंने कभी सीरियसली नहीं लिया. हमेशा पॉजिटीव बने रहे. कोई कुछ कहता, तो हंसी में उड़ा देते थे. धीरे-धीरे यही शेखर की मजबूती बनती गई.
शेखर ने बताया कि उन्हें कोच के तौर पर अच्छे गुरु मिले हैं, जिन्हें अपना आदर्श मानते हैं. उन्हीं के मार्गदर्शन में आगे बढ़ने के लिए प्रयासरत हैं. वो कहते हैं कि मेहनत करने से सब होता है. उन्हें रुकना नहीं है. जो लोग मजाक भी उड़ाते हैं. उन पर ध्यान भी नहीं देना है.
कोच बोले- मेहनती और लगनशील हैं शेखर: कैलाश प्रकाश स्टेडियम में शेखर गुर्जर को प्रशिक्षण दे रहे कोच गौरव त्यागी का कहना है, कि शेखर बहुत ही मेहनती और लगनशील हैं. रेगुलर प्रैक्टिस करते हैं और पिछले 7 महीनों से उसने कभी छुट्टी नहीं ली. बिना थके, रुके वह डेली सुबह और शाम को प्रैक्टिस करने मैदान पर पहुंच जाता है.
हाल ही में बरेली में हुई प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिता में शेखर ने कमाल कर दिया. उन्होंने भाला फेंक में और गोला फेक में गोल्ड मेडल जीता. प्रदेश की टीम में अपनी जगह बनाई. गौरव त्यागी बताते हैं कि शेखर दिल से खेलते हैं. अब राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता होने वाली है. वह यूपी की तरफ से चेन्नई में आयोजित होने वाली इस प्रतियोगिता में शॉटपुट और जेवलिन थ्रो में अपना हुनर दिखाएंगे. इतना ही नहीं 2026 में एशियन गेम्स में उन्हें पदक लाना उनका अगला लक्ष्य है. कोच को भी पूरी उम्मीद है कि जल्द ही शेखर की झोली में इंटरनेशनल मेडल्स भी होंगे.
जानिए कौन हैं कोच गौरव त्यागी : शेखर के कोच गौरव त्यागी ने कई इंटरनेशनल एथलीट्स को ट्रेंड किया है. इनमें एथलीट पारुल चौधरी, प्रियंका गोस्वामी, ख्याति माथुर, अनामिका दास शॉर्ट पुट, आकाश वेदवान रेस, जूनियर एशियन चैंपियनशिप, पैरा गेम्स में प्रीती पाल (वर्ल्ड चैंपियनशिप में ब्रांज) रवि कुमार, फातिमा खातून सहित दर्जनों नाम शामिल हैं. इनके अलावा 50 से अधिक नेशनल प्लेयर भी गौरव त्यागी से प्रशिक्षण पा चुके हैं, जिन्होंने मेडल भी जीते.