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राम के बाद अब बुद्ध के सहारे भाजपा, क्या 2022 में तोड़ पाएगी 'माया का तिलिस्म' - लखनऊ न्यूज

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, सभी पार्टियां खास जाति वर्ग के लोगों को साधने में जुट गई हैं. यूपी की राजनीति में ब्राह्मण भले ही राजनीति के केंद्र में हों, लेकिन भाजपा ने बौद्ध वोटबैंक (Buddhist vote bank) पर भी डोरे डाल दिए हैं. आगे पढ़िए पूरी रिपोर्ट...

up assembly election 2022
यूपी विधानसभा चुनाव 2022
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Published : Oct 21, 2021, 3:50 PM IST

Updated : Oct 21, 2021, 7:49 PM IST

हैदराबाद. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) में ब्राह्मण भले ही राजनीति के केंद्र में हों, लेकिन भाजपा ने बौद्ध वोटबैंक (Buddhist vote bank) पर भी डोरे डाल दिए हैं. भगवान गौतम बुद्ध (Lord Gautam Buddha) की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर (Kushinagar) में बने इंटरनेशनल एयरपोर्ट को इसी नजरिए से देखा जा रहा है. दरअसल, वर्ष 2022 में यूपी में विधानसभा चुनाव है और भाजपा इस कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Kushinagar International Airport) से चुनावी उड़ान भरने की पूरी तैयारी कर चुकी है. यहां से बौद्ध धर्म के अनुयायी वोटर्स पर डोरे तो भाजपा (BJP) डाल ही रही है, पूर्वांचल के वोटबैंक को भी रिझाने की भी पूरी तैयारी है.

आंकड़े बताते हैं कि बीते 10 वर्षों में उत्तर प्रदेश में बौद्ध अनुयायियों की संख्या 2,06,285 से बढ़कर करीब 25 लाख पहुंच गई है. इतने बड़े वोटबैंक को भाजपा किसी भी स्थिति में उपेक्षित नहीं छोड़ सकती है, वह भी जब केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार है. हालांकि, राजनीतिक विशेषज्ञ कहते हैं कि इस पहल से भाजपा को भले ही राजनीतिक तौर पर फायदा हो सकता है, लेकिन बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के कोर वोटबैंक को कमजोर करना फिर भी आसान नहीं होगा. क्योंकि वर्ष 2012 और 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में मायावती की पार्टी बसपा भले ही सत्ता से बाहर रही, लेकिन उसके वोटबैंक में कोई कमी नहीं आई.

ये भी पढ़ें- प्रसपा की कई दलों से गठबंधन की बात चल रही है, लेकिन सपा है पहली प्राथमिकता: शिवपाल सिंह यादव

वहीं भाजपा वर्ष 2016 की तरह इस बार भी बौद्ध वोटर्स को जोड़ने के लिए हरसंभव रणनीति बनाने में जुटी हुई है. दरअसल, 24 अप्रैल 2016 को तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सारनाथ से धम्म चेतना यात्रा को हरी झंडी दिखाई थी. यह धम्म चेतना यात्रा यूपी के 300 विधानसभा क्षेत्रों से होकर लखनऊ पहुंची थी. हालांकि, इस पर सियासत खूब गरमाई थी.

बताया जाता है कि यूपी में दलित और ओबीसी (OBC) की मौर्य और पाल जैसी जाति के लोगों ने बड़ी संख्या में बौद्ध धर्म अपनाया है और इस धर्म को मानने वाले लोग बसपा (BSP) के कोर वोटर माने जाते हैं. बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर की वजह से मायावती (Mayawati) हमेशा से बौद्ध धर्म को अहमियत देती रही हैं. यही वजह है कि इस एयरपोर्ट को बसपा के कोर वोटर माने जाने वाले बौद्ध वोटर्स को साधने वाला भाजपा का बड़ा दांव माना जा रहा है. पूर्वांचल के कुशीनगर, कौशांबी, देवरिया और संत कबीरनगर समेत अनेक जिलों में बड़ी संख्या में बौद्ध धर्म के अनुयायी रहते हैं. वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश इलाके के गौतमबुद्धनगर, मेरठ और सहारनपुर समेत आसपास के जिलों में बड़ी संख्या में दलितों ने बौद्ध धर्म को अपनाया है. वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में एक लाख 37 हजार 267 दलितों ने बौद्ध धर्म अपनाया था. ऐसे लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है.

ये भी पढ़ें- कांग्रेस का वूमन कार्ड... लेकिन राजनीति में आज भी हाशिए पर महिलाएं

क्या कहते हैं विश्लेषक

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और स्तंभकार प्रो. विवेक कुमार कहते हैं कि दलित अब चंद सुविधाओं से किसी राजनीतिक पार्टी के झांसे में आने वाले नहीं हैं. उन्हें वास्तविक पावर और सत्ता में भागीदारी चाहिए. इसलिए मुझे नहीं लगता कि भाजपा को इसका ज्यादा फायदा होने वाला है. प्रो. विवेक कुमार कहते हैं कि रही बात बसपा की तो उसके वोटबैंक को कमजोर करना आसान नहीं है. क्योंकि, वर्ष 2012 के यूपी विधानसभा चुनाव में बसपा को कुल 1 करोड़ 96 लाख और वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में 1 करोड़ 92 लाख वोट मिले थे. अर्थात् बसपा का कोर वोटर कहीं नहीं जाने वाला है. यह बात भी सच है कि बसपा को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां जानबूझकर लोगों के बीच एक अवधारणा तैयार कर रही हैं कि वह कमजोर हो रही है, ताकि मुस्लिम और दलित वोटबैंक एक न हो पाएं. क्योंकि, जिस दिन दलित और मुस्लिम वोटबैंक एक हो गया, बसपा को कोई नहीं हरा सकता है.

पूर्वांचली वोटर्स को साधने की भी तैयारी

बौद्ध वोटर्स के साथ पूर्वांचली वोटर्स को भी साधने की भाजपा की रणनीति के रूप में कुशीनगर एयरपोर्ट को देखा जा रहा है. क्योंकि, जिस तरह देश की सत्ता का रास्ता यूपी से होकर जाता है, उसी तरह यूपी की सत्ता का रास्ता पूर्वांचल से होकर जाता है. भाजपा की पकड़ पूर्वांचल में गहरी मानी जाती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी से सांसद हैं तो गोरखपुर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गढ़ माना जाता है. उत्तर प्रदेश की 33 प्रतिशत सीटें इसी इलाके की हैं. यूपी के 75 में से 28 जिले पूर्वांचल में हैं, जिनमें से 164 विधानसभा सीटें आती हैं. वर्ष 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में इस इलाके की 164 में से 115 सीटें भाजपा को मिली थीं. वहीं, समाजवादी पार्टी को 17, बसपा को 14, कांग्रेस को 2 और अन्य को 16 सीटें मिली थीं. हालांकि, पिछले तीन दशकों के दौरान पूर्वांचल का वोटर कभी भी एक पार्टी के साथ बंधकर नहीं रहा, लेकिन भाजपा 2022 के लिए अपने गढ़ को और मजबूत करने में जुट गई है.

हैदराबाद. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) में ब्राह्मण भले ही राजनीति के केंद्र में हों, लेकिन भाजपा ने बौद्ध वोटबैंक (Buddhist vote bank) पर भी डोरे डाल दिए हैं. भगवान गौतम बुद्ध (Lord Gautam Buddha) की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर (Kushinagar) में बने इंटरनेशनल एयरपोर्ट को इसी नजरिए से देखा जा रहा है. दरअसल, वर्ष 2022 में यूपी में विधानसभा चुनाव है और भाजपा इस कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Kushinagar International Airport) से चुनावी उड़ान भरने की पूरी तैयारी कर चुकी है. यहां से बौद्ध धर्म के अनुयायी वोटर्स पर डोरे तो भाजपा (BJP) डाल ही रही है, पूर्वांचल के वोटबैंक को भी रिझाने की भी पूरी तैयारी है.

आंकड़े बताते हैं कि बीते 10 वर्षों में उत्तर प्रदेश में बौद्ध अनुयायियों की संख्या 2,06,285 से बढ़कर करीब 25 लाख पहुंच गई है. इतने बड़े वोटबैंक को भाजपा किसी भी स्थिति में उपेक्षित नहीं छोड़ सकती है, वह भी जब केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार है. हालांकि, राजनीतिक विशेषज्ञ कहते हैं कि इस पहल से भाजपा को भले ही राजनीतिक तौर पर फायदा हो सकता है, लेकिन बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के कोर वोटबैंक को कमजोर करना फिर भी आसान नहीं होगा. क्योंकि वर्ष 2012 और 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में मायावती की पार्टी बसपा भले ही सत्ता से बाहर रही, लेकिन उसके वोटबैंक में कोई कमी नहीं आई.

ये भी पढ़ें- प्रसपा की कई दलों से गठबंधन की बात चल रही है, लेकिन सपा है पहली प्राथमिकता: शिवपाल सिंह यादव

वहीं भाजपा वर्ष 2016 की तरह इस बार भी बौद्ध वोटर्स को जोड़ने के लिए हरसंभव रणनीति बनाने में जुटी हुई है. दरअसल, 24 अप्रैल 2016 को तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सारनाथ से धम्म चेतना यात्रा को हरी झंडी दिखाई थी. यह धम्म चेतना यात्रा यूपी के 300 विधानसभा क्षेत्रों से होकर लखनऊ पहुंची थी. हालांकि, इस पर सियासत खूब गरमाई थी.

बताया जाता है कि यूपी में दलित और ओबीसी (OBC) की मौर्य और पाल जैसी जाति के लोगों ने बड़ी संख्या में बौद्ध धर्म अपनाया है और इस धर्म को मानने वाले लोग बसपा (BSP) के कोर वोटर माने जाते हैं. बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर की वजह से मायावती (Mayawati) हमेशा से बौद्ध धर्म को अहमियत देती रही हैं. यही वजह है कि इस एयरपोर्ट को बसपा के कोर वोटर माने जाने वाले बौद्ध वोटर्स को साधने वाला भाजपा का बड़ा दांव माना जा रहा है. पूर्वांचल के कुशीनगर, कौशांबी, देवरिया और संत कबीरनगर समेत अनेक जिलों में बड़ी संख्या में बौद्ध धर्म के अनुयायी रहते हैं. वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश इलाके के गौतमबुद्धनगर, मेरठ और सहारनपुर समेत आसपास के जिलों में बड़ी संख्या में दलितों ने बौद्ध धर्म को अपनाया है. वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में एक लाख 37 हजार 267 दलितों ने बौद्ध धर्म अपनाया था. ऐसे लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है.

ये भी पढ़ें- कांग्रेस का वूमन कार्ड... लेकिन राजनीति में आज भी हाशिए पर महिलाएं

क्या कहते हैं विश्लेषक

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और स्तंभकार प्रो. विवेक कुमार कहते हैं कि दलित अब चंद सुविधाओं से किसी राजनीतिक पार्टी के झांसे में आने वाले नहीं हैं. उन्हें वास्तविक पावर और सत्ता में भागीदारी चाहिए. इसलिए मुझे नहीं लगता कि भाजपा को इसका ज्यादा फायदा होने वाला है. प्रो. विवेक कुमार कहते हैं कि रही बात बसपा की तो उसके वोटबैंक को कमजोर करना आसान नहीं है. क्योंकि, वर्ष 2012 के यूपी विधानसभा चुनाव में बसपा को कुल 1 करोड़ 96 लाख और वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में 1 करोड़ 92 लाख वोट मिले थे. अर्थात् बसपा का कोर वोटर कहीं नहीं जाने वाला है. यह बात भी सच है कि बसपा को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां जानबूझकर लोगों के बीच एक अवधारणा तैयार कर रही हैं कि वह कमजोर हो रही है, ताकि मुस्लिम और दलित वोटबैंक एक न हो पाएं. क्योंकि, जिस दिन दलित और मुस्लिम वोटबैंक एक हो गया, बसपा को कोई नहीं हरा सकता है.

पूर्वांचली वोटर्स को साधने की भी तैयारी

बौद्ध वोटर्स के साथ पूर्वांचली वोटर्स को भी साधने की भाजपा की रणनीति के रूप में कुशीनगर एयरपोर्ट को देखा जा रहा है. क्योंकि, जिस तरह देश की सत्ता का रास्ता यूपी से होकर जाता है, उसी तरह यूपी की सत्ता का रास्ता पूर्वांचल से होकर जाता है. भाजपा की पकड़ पूर्वांचल में गहरी मानी जाती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी से सांसद हैं तो गोरखपुर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गढ़ माना जाता है. उत्तर प्रदेश की 33 प्रतिशत सीटें इसी इलाके की हैं. यूपी के 75 में से 28 जिले पूर्वांचल में हैं, जिनमें से 164 विधानसभा सीटें आती हैं. वर्ष 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में इस इलाके की 164 में से 115 सीटें भाजपा को मिली थीं. वहीं, समाजवादी पार्टी को 17, बसपा को 14, कांग्रेस को 2 और अन्य को 16 सीटें मिली थीं. हालांकि, पिछले तीन दशकों के दौरान पूर्वांचल का वोटर कभी भी एक पार्टी के साथ बंधकर नहीं रहा, लेकिन भाजपा 2022 के लिए अपने गढ़ को और मजबूत करने में जुट गई है.

Last Updated : Oct 21, 2021, 7:49 PM IST
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