लखनऊः दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया मंगलवार को लखनऊ पहुंचे. उन्होंने कहा कि योगी सरकार सवालों से विचलित हो रही है. उन्होंने योगी सरकार को विकास के मुद्दे पर बहस की खुली चुनौती दी है. सिसोदिया के लखनऊ दौरे पर भारतीय जनता पार्टी ने पलटवार किया है.
भाजपा ने सिसोदिया से मांगा हिसाब
यूपी बीजेपी के प्रवक्ता डॉक्टर समीर सिंह ने कहा कि अगर सिसोदिया की इतनी ही इच्छा है. खुली बहस करने की तो वह पहले अपने सरकार का हिसाब दें. वह खुद करीब सात वर्षों से दिल्ली सरकार में शिक्षा मंत्री हैं, आखिर क्या वजह है जो दिल्ली में जनसंख्या बढ़ रही है और स्कूलों में छात्रों की संख्या घट रही है. योगी सरकार पर सवाल खड़ा करने वाले सिसोदिया 2017-18 के सत्र में शिक्षा के लिए निर्धारित बजट भी नहीं खर्च कर सके. आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद दिल्ली में कितने स्कूलों का निर्माण किया गया. कितना इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया गया. इन सब चीजों का उन्हें हिसाब देना चाहिए. इसके बाद उत्तर प्रदेश आएं. लोकतंत्र में उनका स्वागत है.
आप नेता और भाजपा के बीच भी जुबानी जंग
दरअसल उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल हैं. इन दलों के बीच आम आदमी पार्टी खुद को मजबूत विपक्ष के रूप में स्थापित करना चाह रही है. सिसोदिया से पहले आप नेता संजय सिंह पिछले दिनों कानून व्यवस्था के मुद्दे पर योगी सरकार पर हमले किया. संजय सिंह ने सीधे सीएम को निशाना बनाया. उन्हें पता था कि सीएम योगी पर आरोप लगाने से उनपर पलटवार होगा. वह हुआ भी. मंत्रियों से लेकर भाजपा नेताओं तक ने आम आदमी पार्टी पर पलटवार किया. यहां तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में संजय सिंह का नाम लिए बगैर नमूना कहा था.
लड़ाई चतुष्कोणीय हुई तो लाभ में रहेगी भाजपा
भारतीय जनता पार्टी की भी आम आदमी पार्टी के साथ बयानबाजी करने में दिलचस्पी दिखाई दे रही है. उत्तर प्रदेश में भाजपा के समक्ष अभी तीन मुख्य विपक्षी दल हैं. बीते चुनावों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि आमतौर पर कांग्रेस पार्टी किसी न किसी दल के साथ गठबंधन करके ही 2022 का चुनाव भी लड़ेगी. इस लिहाज से भाजपा के सामने दो ध्रुव खड़े दिखाई देंगे. ऐसे में यदि आम आदमी पार्टी उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ती है तो भाजपा के समक्ष तीन मुख्य विपक्ष होगा. जानकारों का मानना है कि मतों का विभाजन भाजपा के लिए फायदेमंद साबित होता है. यूपी में 2022 के चुनाव में भी यदि चतुष्कोणीय लड़ाई होती है तो सत्ताधारी दल को लाभ मिलना तय माना जा रहा है.