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अगले सत्र से शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए बायोमेट्रिक हाजिरी अनिवार्य होगी, छात्रवृत्ति की नई नियमावली जल्द

अगले सत्र से शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए बायोमेट्रिक हाजिरी अनिवार्य (Biometric attendance mandatory for fee reimbursement) होगी. समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण (Social Welfare Minister Aseem Arun) ने बताया कि यूपी समाज कल्याण विभाग इसे लागू करने की तैयारी कर रहा है.

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Published : Aug 21, 2023, 8:55 AM IST

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UP News in Hindi बायोमेट्रिक हाजिरी अनिवार्य शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए बायोमेट्रिक हाजिरी यूपी समाज कल्याण विभाग समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण Social Welfare Minister Aseem Arun

लखनऊ: अगले साल से छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए न्यूनतम 75 फीसदी बायोमेट्रिक हाजिरी (Biometric attendance mandatory for fee reimbursement) को यूपी समाज कल्याण विभाग अनिवार्य करने की तैयारी कर रहा है. विभाग की ओर से यह नियम इंटरमीडिएट से ऊपर के सभी शिक्षण संस्थानों पर लागू करने की तैयारी में है. साथ ही एक कोर्स को बीच में छोड़कर सरकारी प्रवेश प्रक्रिया के जरिए दूसरे में प्रवेश लेने पर छात्रवृत्ति वसूल की भरपाई की सुविधा बंद नहीं होगी. इसके लिए समाज कल्याण विभाग नई नियमावली तैयार कर ली है. इसके अगले सप्ताह जारी होनी की उम्मीद है.

समाज कल्याण विभाग अपने तरफ से दिए जाने वाले छात्रवृत्ति का लाभ वास्तविक छात्रों को मिले इसके लिए बायोमेट्रिक योजना को लागू करने की तैयारी कर रहा है. बायोमेट्रिक हाजिरी से केवल वास्तविक छात्र की इस योजना का लाभ ले सकेंगे. इसमें हर साल 10% बजट बचने की संभावना है. ऐसे में कोई भी पत्र छात्र बजट के अभाव में छात्रवृत्ति पाने से वंचित नहीं रहेगा. अभी के नियम में अनुसार अगर कोई छात्र स्नातक स्तर की पढ़ाई बीच में छोड़कर स्नातक स्तर के ही दूसरे व्यावसायिक पाठ्यक्रम में प्रवेश ले लेता है.

उसे न्यूनतम 1 साल तक योजना का लाभ नहीं मिलता है. विभाग की ओर से प्रस्तावित नई नियमावली में ऐसे छात्रों को भी शुल्क प्रतिपूर्ति का लाभ दिया जाएगा. उदाहरण के तौर पर बीएससी के छात्र ने आईआईटी, एनआईटी या एमबीबीएस में दाखिला लिया है. तो उसे छात्रवृत्ति के साथ शुल्क की भरपाई होती रहेगी, बस शर्त यह है कि दूसरे पाठ्यक्रम में सरकार के लेवल पर होने वाली प्रवेश परीक्षा के जरिए ही उसने दाखिला लिया हो. इसके अलावा अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों को ढाई लाख व अन्य वर्ग के छात्रों को 2,00,000 रुपये तक के सालाना परिवार की आमदनी होने पर छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति का लाभ मिलता है 50 लाख से ज्यादा छात्र इस योजना का लाभ पूरे प्रदेश में लेते हैं.

वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर भी मिलेगी छात्रवृत्ति: प्रस्तावित नयी नियमावली के तहत रिजल्ट या सत्र में देरी के कारण छात्र छात्रवृत्ति आवेदन से वंचित रह जाते हैं. इसके लिए पोर्टल बंद होने की प्रक्रिया में भी बदलाव होगा. नई नियमावली के अनुसार वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक छात्र के दाता के परीक्षण की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है तो उसे अगले वित्तीय वर्ष में भुगतान किया जाएगा. अभी वित्तीय वर्ष की समाप्ति के बाद भुगतान शासन से दोबारा अनुमति पर ही हो सकता है.

शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए बायोमेट्रिक हाजिरी अनिवार्य करने के प्रस्ताव पर समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण (Social Welfare Minister Aseem Arun) का कहना है कि नई नियमावली पर विचार विमर्श हो चुका है इसे कम की स्वीकृति के लिए भेजा गया है. वहां से मंजूरी होते ही इसे लागू कर दिया जाएगा. मंत्री ने बताया कि समाज कल्याण, अन्य पिछड़ा वर्ग व अल्पसंख्यक कल्याण विभाग छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति योजना के तहत ऑनलाइन भुगतान करते हैं. इनकी वरीयता सूची तय करने के नियम अलग-अलग है. नई नियमावली में तीनों विभागों के नियम में एकरूपता लाने की प्रावधान किए जा रहे हैं. (UP News in Hindi)

ये भी पढ़ें- BHU PG एडमिशनः गलतियां सुधारने के लिए अंतिम मौका, आवेदन हो सकता है निरस्त

लखनऊ: अगले साल से छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए न्यूनतम 75 फीसदी बायोमेट्रिक हाजिरी (Biometric attendance mandatory for fee reimbursement) को यूपी समाज कल्याण विभाग अनिवार्य करने की तैयारी कर रहा है. विभाग की ओर से यह नियम इंटरमीडिएट से ऊपर के सभी शिक्षण संस्थानों पर लागू करने की तैयारी में है. साथ ही एक कोर्स को बीच में छोड़कर सरकारी प्रवेश प्रक्रिया के जरिए दूसरे में प्रवेश लेने पर छात्रवृत्ति वसूल की भरपाई की सुविधा बंद नहीं होगी. इसके लिए समाज कल्याण विभाग नई नियमावली तैयार कर ली है. इसके अगले सप्ताह जारी होनी की उम्मीद है.

समाज कल्याण विभाग अपने तरफ से दिए जाने वाले छात्रवृत्ति का लाभ वास्तविक छात्रों को मिले इसके लिए बायोमेट्रिक योजना को लागू करने की तैयारी कर रहा है. बायोमेट्रिक हाजिरी से केवल वास्तविक छात्र की इस योजना का लाभ ले सकेंगे. इसमें हर साल 10% बजट बचने की संभावना है. ऐसे में कोई भी पत्र छात्र बजट के अभाव में छात्रवृत्ति पाने से वंचित नहीं रहेगा. अभी के नियम में अनुसार अगर कोई छात्र स्नातक स्तर की पढ़ाई बीच में छोड़कर स्नातक स्तर के ही दूसरे व्यावसायिक पाठ्यक्रम में प्रवेश ले लेता है.

उसे न्यूनतम 1 साल तक योजना का लाभ नहीं मिलता है. विभाग की ओर से प्रस्तावित नई नियमावली में ऐसे छात्रों को भी शुल्क प्रतिपूर्ति का लाभ दिया जाएगा. उदाहरण के तौर पर बीएससी के छात्र ने आईआईटी, एनआईटी या एमबीबीएस में दाखिला लिया है. तो उसे छात्रवृत्ति के साथ शुल्क की भरपाई होती रहेगी, बस शर्त यह है कि दूसरे पाठ्यक्रम में सरकार के लेवल पर होने वाली प्रवेश परीक्षा के जरिए ही उसने दाखिला लिया हो. इसके अलावा अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों को ढाई लाख व अन्य वर्ग के छात्रों को 2,00,000 रुपये तक के सालाना परिवार की आमदनी होने पर छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति का लाभ मिलता है 50 लाख से ज्यादा छात्र इस योजना का लाभ पूरे प्रदेश में लेते हैं.

वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर भी मिलेगी छात्रवृत्ति: प्रस्तावित नयी नियमावली के तहत रिजल्ट या सत्र में देरी के कारण छात्र छात्रवृत्ति आवेदन से वंचित रह जाते हैं. इसके लिए पोर्टल बंद होने की प्रक्रिया में भी बदलाव होगा. नई नियमावली के अनुसार वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक छात्र के दाता के परीक्षण की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है तो उसे अगले वित्तीय वर्ष में भुगतान किया जाएगा. अभी वित्तीय वर्ष की समाप्ति के बाद भुगतान शासन से दोबारा अनुमति पर ही हो सकता है.

शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए बायोमेट्रिक हाजिरी अनिवार्य करने के प्रस्ताव पर समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण (Social Welfare Minister Aseem Arun) का कहना है कि नई नियमावली पर विचार विमर्श हो चुका है इसे कम की स्वीकृति के लिए भेजा गया है. वहां से मंजूरी होते ही इसे लागू कर दिया जाएगा. मंत्री ने बताया कि समाज कल्याण, अन्य पिछड़ा वर्ग व अल्पसंख्यक कल्याण विभाग छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति योजना के तहत ऑनलाइन भुगतान करते हैं. इनकी वरीयता सूची तय करने के नियम अलग-अलग है. नई नियमावली में तीनों विभागों के नियम में एकरूपता लाने की प्रावधान किए जा रहे हैं. (UP News in Hindi)

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