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ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी दर से वसूला जा रहा बिल, नियामक आयोग ने एमडी से मांगा जवाब

उत्तर प्रदेश पाॅवर कॉरपोरेशन ने ग्रामीण इलाकों के उपभोक्ताओं के साथ बड़ा खेल कर दिया है. ग्रामीण इलाकों में थोड़ी सी ज्यादा बिजली आपूर्ति करके शहरी बिलिंग व्यवस्था लागू कर दी है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 2, 2023, 4:23 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश पाॅवर कॉरपोरेशन ने ग्रामीण इलाकों में बिजली बिल के नाम पर बड़ा खेल किया है. ग्रामीण इलाकों को थोड़ी सी ज्यादा बिजली आपूर्ति करके उनका बिलिंग टाइप चेंज कर दिया और ग्रामीणों को भी शहरी इलाकों के लिए लागू शहरी बिलिंग में परिवर्तित कर बिल भेज दिया. इसके बाद जब इसका खुलासा हुआ तो विद्युत नियामक आयोग में याचिका दाखिल हुई जिसके बाद अब नियामक आयोग ने इस मामले में सख्त रुख अख्तियार करते हुए पाॅवर काॅरपोरेशन के प्रबंध निदेशक से 10 दिन के अंदर रिपोर्ट तलब की है. अब प्रबंध निदेशक को जवाब दाखिल करना होगा कि आखिर ऐसा क्यों किया गया है.

ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी दर से वसूला जा रहा बिल.
ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी दर से वसूला जा रहा बिल.
उत्तर प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों में 636 आईपीडीएस टाउन सहित प्रदेश के अनेक जिलों मैनपुरी, नोएडा, बुलंदशहर, उरई, जालौन और आगरा में बिजली आपूर्ति अधिक दिए जाने के नाम पर लाखों ग्रामीण विद्युत उपभोक्ताओं की ग्रामीण दर से हो रही बिलिंग को सप्लाई टाइप चेंज कर दी. उन्हें शहरी बिलिंग में परिवर्तित कर दिया है. दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के अंतर्गत मैनपुरी, जालौन, उरई, आगरा, हाथरस, बांदा और इटावा सहित नोएडा और बुलंदशहर में उपभोक्ताओं से ग्रामीण दर के बजाय शहरी दर पर वसूली की गई है. इस प्रकार उत्तर प्रदेश की दूसरी बिजली कंपनियों मे भी इसी तरह की स्थिति सामने आ रही है.




यह भी पढ़ें : चेयरमैन एम देवराज बोले- टेबल बिलिंग पर मीटर रीडर पर दर्ज होगा मुकदमा, भ्रष्टाचार पर होगी कार्रवाई


बता दें, सभी बिजली कंपनियों व पावर कारपोरेशन के खिलाफ विद्युत नियामक आयोग की तरफ से जारी आदेश व टैरिफ आदेश का उल्लंघन किए जाने के लिए विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 142 के तहत उपभोक्ता परिषद की तरफ से अवमानना याचिका दाखिल की गई थी. साक्ष्य के तौर पर सभी दस्तावेज भी पेश किए गए थे. बिजली कंपनियों ने अनेकों क्षेत्र में राजस्व बढाने के लिए ग्रामीण विद्युत उपभोक्ताओं की ग्रामीण दरों को परिवर्तित कर शहरी दरों में उनसे करोडों रुपए अधिक वसूले. विद्युत नियामक आयोग के सामने यह भी मुद्दा रखा कि इस पूरे मामले की जांच कराई जाए तभी स्थिति साफ हो पाएगी कि उत्तर प्रदेश में किन किन जनपदों में उपभोक्ताओं से अधिक वसूली की गई.

यह भी पढ़ें : UP Power Corporation : ठेंगे पर सीनियर का आदेश, बिना सेफ्टी किट काम करने को मजबूर बिजली कर्मचारी

लखनऊ : उत्तर प्रदेश पाॅवर कॉरपोरेशन ने ग्रामीण इलाकों में बिजली बिल के नाम पर बड़ा खेल किया है. ग्रामीण इलाकों को थोड़ी सी ज्यादा बिजली आपूर्ति करके उनका बिलिंग टाइप चेंज कर दिया और ग्रामीणों को भी शहरी इलाकों के लिए लागू शहरी बिलिंग में परिवर्तित कर बिल भेज दिया. इसके बाद जब इसका खुलासा हुआ तो विद्युत नियामक आयोग में याचिका दाखिल हुई जिसके बाद अब नियामक आयोग ने इस मामले में सख्त रुख अख्तियार करते हुए पाॅवर काॅरपोरेशन के प्रबंध निदेशक से 10 दिन के अंदर रिपोर्ट तलब की है. अब प्रबंध निदेशक को जवाब दाखिल करना होगा कि आखिर ऐसा क्यों किया गया है.

ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी दर से वसूला जा रहा बिल.
ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी दर से वसूला जा रहा बिल.
उत्तर प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों में 636 आईपीडीएस टाउन सहित प्रदेश के अनेक जिलों मैनपुरी, नोएडा, बुलंदशहर, उरई, जालौन और आगरा में बिजली आपूर्ति अधिक दिए जाने के नाम पर लाखों ग्रामीण विद्युत उपभोक्ताओं की ग्रामीण दर से हो रही बिलिंग को सप्लाई टाइप चेंज कर दी. उन्हें शहरी बिलिंग में परिवर्तित कर दिया है. दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के अंतर्गत मैनपुरी, जालौन, उरई, आगरा, हाथरस, बांदा और इटावा सहित नोएडा और बुलंदशहर में उपभोक्ताओं से ग्रामीण दर के बजाय शहरी दर पर वसूली की गई है. इस प्रकार उत्तर प्रदेश की दूसरी बिजली कंपनियों मे भी इसी तरह की स्थिति सामने आ रही है.




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बता दें, सभी बिजली कंपनियों व पावर कारपोरेशन के खिलाफ विद्युत नियामक आयोग की तरफ से जारी आदेश व टैरिफ आदेश का उल्लंघन किए जाने के लिए विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 142 के तहत उपभोक्ता परिषद की तरफ से अवमानना याचिका दाखिल की गई थी. साक्ष्य के तौर पर सभी दस्तावेज भी पेश किए गए थे. बिजली कंपनियों ने अनेकों क्षेत्र में राजस्व बढाने के लिए ग्रामीण विद्युत उपभोक्ताओं की ग्रामीण दरों को परिवर्तित कर शहरी दरों में उनसे करोडों रुपए अधिक वसूले. विद्युत नियामक आयोग के सामने यह भी मुद्दा रखा कि इस पूरे मामले की जांच कराई जाए तभी स्थिति साफ हो पाएगी कि उत्तर प्रदेश में किन किन जनपदों में उपभोक्ताओं से अधिक वसूली की गई.

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