लखनऊ : राज्य कर्मचारी महासंघ, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, केन्द्र व राज्य सरकार के श्रम संघों और ट्रेड युनियनों के शीर्ष पदाधिकारियों ने संयुक्त बयान जारी कर बिजली कर्मियों के उत्पीड़न के विरोध में 24 मार्च को बड़े प्रदर्शन का ऐलान किया है. प्रदर्शन के दौरान बिजलीकर्मियों की हड़ताल में की गई निष्कासन, निलम्बन और एफआईआर की दमनात्मक कार्रवाई ऊर्जा मंत्री के निर्देश के बावजूद वापस न लिये जाने पर गम्भीर चिन्ता व्यक्त की. राज्य सरकार के विभागों, निगमों, निकायों व विश्वविद्यालय के कर्मचारी संघों ने बिजली कर्मियों के उत्पीड़न के विरोध में 24 मार्च को लखनऊ में सरोजनी नायडू पार्क में विशाल विरोध प्रदर्शन व रैली करने की घोषणा की. श्रम संघ पदाधिकारियों ने बिजलीकर्मियों का उत्पीड़न वापस न होने पर प्रान्तव्यापी आन्दोलन करने का फैसला लिया है.
राज्य सरकार के विभागों, निगमों, निकाय व विश्वविद्यालय के श्रम संघों और ट्रेड यूनियनों ने बुधवार के हाईडिल फील्ड हॉस्टल में बैठक कर बिजलीकर्मियों के उत्पीड़न के विरोध में व समझौता लागू कराने के लिए एक संयुक्त मंच बनाने का निर्णय लिया. संयुक्त मंच का अध्यक्ष वरिष्ठ मजदूर नेता अमर नाथ यादव को बनाया गया. श्रम संघ पदाधिकारियों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि वे तत्काल हस्तक्षेप करें, जिससे ऊर्जा मंत्री अरविन्द कुमार शर्मा की तरफ से की गई दमनात्मक कार्रवाई वापस करने के लिए ऊर्जा निगमों के चेयरमैन को दिये गये निर्देश का क्रियान्वयन हो सके. श्रम संघ पदाधिकारियों ने बताया कि '19 मार्च को ऊर्जा मंत्री और विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की जल निगम फील्ड हॉस्टल में हुई संयुक्त प्रेस वार्ता में ऊर्जा मंत्री ने ऊर्जा निगमों के चेयरमैन एम. देवराज को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि आन्दोलन व हड़ताल के दौरान किये गये निष्कासन, निलंबन और एफआईआर की सभी कार्रवाई वापस लें. इसके बावजूद ऊर्जा निगमों के चेयरमैन बैक डेटिंग करके 18 मार्च की तारीख में बडे़ पैमाने पर बिजली कर्मियों का निलम्बन कर रहे हैं और निविदा/संविदा कर्मियों का निष्कासन कर रहे हैं. बैक डेटिंग का सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि 19 मार्च को ऊर्जा मंत्री के निर्देश के बाद की तारीख में ई-मेल के जरिये निलम्बन आदेश भेजे जा रहे हैं.'
बता दें कि बिजलीकर्मियों की 72 घंटे की हड़ताल को ऊर्जा मंत्री ने विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति से वार्ता के बाद 65 घंटे में खत्म करा दिया था. ऊर्जा मंत्री ने साफ तौर पर चेयरमैन एम. देवराज को निर्देश दिए थे कि सभी प्रकार की कार्रवाई वापस ले ले, फिर से सभी मिलकर काम करेंगे, लेकिन अभी तक बर्खास्त किए गए तीन हजार संविदा कर्मियों को वापस सेवा में नहीं लिया गया. अधिकारियों और नेताओं पर मुकदमे दर्ज कराए गए मुकदमें भी वापस नहीं हुए, इससे नाराजगी बढ़ रही है.
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