लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के कई सांसदों ने अपनी भाव भंगिमा से इशारों-इशारों में यह स्पष्ट कर दिया है कि लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) में उनका रुख किस ओर होगा. दल बदल की पूरी भूमिका तय हो रही है. बलिया से वीरेंद्र सिंह मस्त जहां मुलायम सिंह यादव की प्रतिमा लगाने की बात कर रहे हैं तो बृजभूषण शरण सिंह अपनी ही सरकार को कोस रहे हैं. जबकि वरुण गांधी, संघमित्रा मौर्य औऱ रीता बहुगुणा जोशी भी इसी राह पर हैं. माना जा रहा है कि बहुत जल्द ही कम से कम 15 फीसदी सांसद टिकट कटने पर दलबदल करके दूसरे पार्टियों से चुनाव लड़ेंगे.
पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी के सांसद दल बदल के लिए भूमिका बना रहे हैं. केंद्रीय नेतृत्व से संकेत हो चुका है कि किन-किन सांसदों को इस बार अपने टिकट से हाथ धोना पड़ सकता है, इसलिए अभी से ही यह सांसद पेशबंदी शुरू कर चुके हैं ताकि दूसरे दलों तक यह संदेश पहुंच जाए कि वह अब अपनी पार्टी को बदलने के लिए तैयार हैं, उनको टिकट का बढ़िया ऑफर मिल सके. चार दिन पहले गोंडा से सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने बाढ़ के मामले में अपनी सरकार को घेरते हुए प्रशासन और खास तौर पर जिलाधिकारी पर गंभीर आरोप लगाए थे. उन्होंने कहा था कि लगता है बाढ़ से निपटने संबंधी कोई बैठक भी प्रशासन ने नहीं की, इस वजह से जनता को अपार तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है. सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन पर बलिया से सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने सभागार का ऐलान कर दिया.
भारतीय जनता पार्टी के सूत्रों का कहना है कि नेतृत्व को उनकी यह कार्यप्रणाली पसंद नहीं आई है. इसके बाद माना जा रहा है कि उनका भी टिकट कट जाएगा. इसलिए वीरेंद्र सिंह मस्त समाजवादी पार्टी से खुद को निकट दिखा रहे हैं. इससे पहले रीता बहुगुणा जोशी जोकि प्रयागराज से सांसद हैं विधानसभा चुनाव 2022 में अपने विद्रोही तेवर दिखा चुकी हैं. लखनऊ कैंट विधानसभा सीट से उनके पुत्र मयंक जोशी को टिकट ना मिलने पर रीता बहुगुणा जोशी ने उनको समाजवादी पार्टी में शामिल करवा दिया है. ऐसे में उनका भी प्रयागराज से इस बार टिकट कटना तय माना जा रहा है. संभवत वे इस बार समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार हो सकती हैं.
इसी तरह से बदायूं सीट से सांसद संघमित्रा मौर्य के पिता पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने 2022 विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया था, जिसकी वजह से संघमित्रा मौर्य के टिकट पर भी तलवार लटक रही है. जबकि पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी लगातार पार्टी के खिलाफ बोलते रहते हैं. उनके विद्रोही तेवरों से यह स्पष्ट है कि वे इस बार भाजपा की उम्मीदवार नहीं होंगे. पार्टी वरुण गांधी और उनकी मां मेनका गांधी को पहले ही राष्ट्रीय कार्यसमिति से बाहर कर चुकी है. निश्चित तौर पर वे कांग्रेस या समाजवादी पार्टी की ओर देख रहे हैं.