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महापौर में हो सकते हैं बड़े बदलाव, पार्षद में 'ओल्ड इज गोल्ड' पर भरोसा करेगी भाजपा! - उत्तर प्रदेश में 1300 सीटें पार्षदों की

यूपी नगर निगय चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही सभी दलों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. माना जा रहा है कि भाजपा इस बार जीते हुए पार्षदों में प्रत्याशी बना सकती है, वहीं महापौर को लेकर बड़ा बदलाव किया जा सकता है.

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Published : Apr 10, 2023, 4:17 PM IST

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लखनऊ : आगामी निकाय चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश में 'ओल्ड इस गोल्ड' प्लान बनाया है. उत्तर प्रदेश में 1300 सीटें पार्षदों की हैं, जिनमें से करीब 800 भाजपा के पास हैं. भाजपा अपने जीते हुए प्रत्याशियों को फिर से मौका देने के मूड में है. माना जा रहा है कि केवल वहीं पर उम्मीदवार बदले जाएंगे जहां आरक्षण में बदलाव हुआ है, लेकिन माना जा रहा है कि महापौर को लेकर भाजपा बड़ा बदलाव करेगी, यहां अनेक टिकट बदले जाएंगे. मथुरा, वृन्दावन जोकि नई सीट है, वहां को छोड़ दें तो बाकी 16 में से 14 टिकट बदले जा सकते हैं.

बता दें कि निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी की जा चुकी है. दो चरणों में उत्तर प्रदेश में चुनाव होगा. चार मई को पहले चरण का चुनाव होगा, जबकि 11 मई को दूसरे चरण का मतदान होगा. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी ने भी अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं, जिसमें टिकट वितरण बड़ा मुद्दा है. जिले से लेकर प्रदेश तक की टीम सक्रिय हो गई है, जिसमें भाजपा का टिकट वितरण बहुत अहम होगा.



निकाय चुनाव में इस तरह से बांटे जाएंगे टिकट : तय किया गया कि नगर निकाय चुनाव प्रभारी औऱ संयोजक की महत्वपूर्ण भूमिका होगी. नगर पंचायत के पार्षद औऱ अध्यक्ष का टिकट जिला की टीम तय करेगी. नगर पालिका सदस्य, अध्यक्ष, नगर निगम महापौर और पार्षद क्षेत्र से टिकट फाइनल किया जाएगा. जिले की टीम मंडल का प्रभारी पूरी समीक्षा करेंगे. जिले की कोर कमेटी में प्रस्ताव लाएंगे. नगर निगम, जिले की कोर कमेटी में संयोजक औऱ प्रभारी होंगे जोकि टिकट फ़ाइनल करेंगे.

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता समीर सिंह ने बताया कि 'पार्टी निकाय चुनाव को लेकर अपने काम कर रही है. जिला क्षेत्र और प्रदेश का काम बांट दिया गया है. इसी तरह से संगठन प्रत्याशियों का चयन करेगा.' वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषण विजय उपाध्याय ने बताया कि 'निश्चित तौर पर भारतीय जनता पार्टी पार्षदों में बड़ा बदलाव नहीं चाहती है. जीता हुआ पार्षद अपने क्षेत्र में खुद का एक वोट बैंक खड़ा कर लेता है, उसको टिकट न मिलने की दशा में यह बड़ा वोट बैंक पार्टी से छिटक सकता है. मगर महापौर का मामला बड़ा होता है, वहां प्रत्याशियों का प्रदर्शन ज्यादा महत्वपूर्ण है. इसलिए पार्टी उम्मीदवार बदल सकती है.'

यह भी पढ़ें : UP Cvic Elections : भाजपा ने मंत्रियों के जिला प्रभार में किया संशोधन, जानिए किसको मिला दायित्व

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लखनऊ : आगामी निकाय चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश में 'ओल्ड इस गोल्ड' प्लान बनाया है. उत्तर प्रदेश में 1300 सीटें पार्षदों की हैं, जिनमें से करीब 800 भाजपा के पास हैं. भाजपा अपने जीते हुए प्रत्याशियों को फिर से मौका देने के मूड में है. माना जा रहा है कि केवल वहीं पर उम्मीदवार बदले जाएंगे जहां आरक्षण में बदलाव हुआ है, लेकिन माना जा रहा है कि महापौर को लेकर भाजपा बड़ा बदलाव करेगी, यहां अनेक टिकट बदले जाएंगे. मथुरा, वृन्दावन जोकि नई सीट है, वहां को छोड़ दें तो बाकी 16 में से 14 टिकट बदले जा सकते हैं.

बता दें कि निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी की जा चुकी है. दो चरणों में उत्तर प्रदेश में चुनाव होगा. चार मई को पहले चरण का चुनाव होगा, जबकि 11 मई को दूसरे चरण का मतदान होगा. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी ने भी अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं, जिसमें टिकट वितरण बड़ा मुद्दा है. जिले से लेकर प्रदेश तक की टीम सक्रिय हो गई है, जिसमें भाजपा का टिकट वितरण बहुत अहम होगा.



निकाय चुनाव में इस तरह से बांटे जाएंगे टिकट : तय किया गया कि नगर निकाय चुनाव प्रभारी औऱ संयोजक की महत्वपूर्ण भूमिका होगी. नगर पंचायत के पार्षद औऱ अध्यक्ष का टिकट जिला की टीम तय करेगी. नगर पालिका सदस्य, अध्यक्ष, नगर निगम महापौर और पार्षद क्षेत्र से टिकट फाइनल किया जाएगा. जिले की टीम मंडल का प्रभारी पूरी समीक्षा करेंगे. जिले की कोर कमेटी में प्रस्ताव लाएंगे. नगर निगम, जिले की कोर कमेटी में संयोजक औऱ प्रभारी होंगे जोकि टिकट फ़ाइनल करेंगे.

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता समीर सिंह ने बताया कि 'पार्टी निकाय चुनाव को लेकर अपने काम कर रही है. जिला क्षेत्र और प्रदेश का काम बांट दिया गया है. इसी तरह से संगठन प्रत्याशियों का चयन करेगा.' वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषण विजय उपाध्याय ने बताया कि 'निश्चित तौर पर भारतीय जनता पार्टी पार्षदों में बड़ा बदलाव नहीं चाहती है. जीता हुआ पार्षद अपने क्षेत्र में खुद का एक वोट बैंक खड़ा कर लेता है, उसको टिकट न मिलने की दशा में यह बड़ा वोट बैंक पार्टी से छिटक सकता है. मगर महापौर का मामला बड़ा होता है, वहां प्रत्याशियों का प्रदर्शन ज्यादा महत्वपूर्ण है. इसलिए पार्टी उम्मीदवार बदल सकती है.'

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