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पद्मभूषण गोपाल दास नीरज की 97वीं जयंती पर हुआ 'बेमिसाल नीरज: कारवां गुज़र गया' कार्यक्रम

लखनऊ में पद्मभूषण गोपाल दास नीरज की 97वीं जयंती मनायी गयी. इस मौके पर भारत सरकार के सांस्कृतिक मंत्रालय ने कैसरबाग के कला मंडपम में कार्यक्रम कराया.

लखनऊ में पद्मभूषण गोपाल दास नीरज की 97वीं जयंती
लखनऊ में पद्मभूषण गोपाल दास नीरज की 97वीं जयंती
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Published : Jan 4, 2022, 10:18 PM IST

लखनऊ: हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक पद्मभूषण गोपाल दास नीरज की 97वीं जयंती के उपलक्ष्य में सांस्कृतिक कार्यक्रम 'बेमिसाल नीरज: कारवां गुज़र गया' हुआ. ये कार्यक्रम कैसरबाग के कला मंडपम में हुआ.

मुख्य अतिथि व पूर्व आईजी राजेश पाण्डेय ने कहा कि नीरज जी की कविताओं एवं गीतों की प्रतिध्वनि आने वाले कई सदियों तक यूं ही गूंजती रहेगी. उनकी कविताओं में प्रेम, विरह, अकेलापन और बेबाकी झलकती है और जीवन के संघर्ष को बखूबी दर्शाती हैं.

उन्होंने कहा कि लखनऊ महोत्सव में कई कार्यक्रम में वो शामिल हुए और उनका सानिध्य मिला. 2016 में मेरी पोस्टिंग बतौर अलीगढ़ एसएसपी हुई थी. तीसरे दिन ही मैं उनसे मिलने गया था. 2018 में नीरज जी का आखिरी जन्मदिन हमने अलीगढ़ में मनाया था. केक पर गिटार बनाया गया था.

राजेश पाण्डेय ने कहा कि नीरज जी के अलीगढ़ स्थित घर को गुब्बारों व फूलों से सजाया गया था. नीरज जी को छोटा बड़ा कोई भी कष्ट होता था, तो वो फोन करते थे. एक बार रात 2 बजे नीरज जी का फोन आया था, जब उनका पैर जल गया था. मैं तुरंत घर पहुंचा और उनको अस्पताल ले गया. एक दिन नीरज जी बोले हार्ट में तकलीफ है, लेकिन अस्पताल नहीं जाऊंगा. तब मैंने घर पर मशीनें भिजवाईं.

एक बार नीरज जी की तबीयत बहुत खराब हो गयी, तो अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था. तब उन्होंने कहा था कि नीरज कवि सम्मलेन के मंच पर ही मरेगा. हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि नीरज जी ने 'कारवां गुज़र गया' की रचना की थी. उनके जाने के बाद ट्रस्ट ने फैसला किया कि नीरज जी का कारवां जारी रहेगा और आप सबके सहयोग से निरंतर चलता रहेगा.


उनकी कविताएं हमें एहसास दिलाती हैं कि इस संसार को प्रेम और सौहार्द की कितनी जरूरत है. वो कहते थे कि बिना गीत और प्यार के यह जीवन सिसकते आंसुओं का कारवां भर रह जाता है.

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लखनऊ: हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक पद्मभूषण गोपाल दास नीरज की 97वीं जयंती के उपलक्ष्य में सांस्कृतिक कार्यक्रम 'बेमिसाल नीरज: कारवां गुज़र गया' हुआ. ये कार्यक्रम कैसरबाग के कला मंडपम में हुआ.

मुख्य अतिथि व पूर्व आईजी राजेश पाण्डेय ने कहा कि नीरज जी की कविताओं एवं गीतों की प्रतिध्वनि आने वाले कई सदियों तक यूं ही गूंजती रहेगी. उनकी कविताओं में प्रेम, विरह, अकेलापन और बेबाकी झलकती है और जीवन के संघर्ष को बखूबी दर्शाती हैं.

उन्होंने कहा कि लखनऊ महोत्सव में कई कार्यक्रम में वो शामिल हुए और उनका सानिध्य मिला. 2016 में मेरी पोस्टिंग बतौर अलीगढ़ एसएसपी हुई थी. तीसरे दिन ही मैं उनसे मिलने गया था. 2018 में नीरज जी का आखिरी जन्मदिन हमने अलीगढ़ में मनाया था. केक पर गिटार बनाया गया था.

राजेश पाण्डेय ने कहा कि नीरज जी के अलीगढ़ स्थित घर को गुब्बारों व फूलों से सजाया गया था. नीरज जी को छोटा बड़ा कोई भी कष्ट होता था, तो वो फोन करते थे. एक बार रात 2 बजे नीरज जी का फोन आया था, जब उनका पैर जल गया था. मैं तुरंत घर पहुंचा और उनको अस्पताल ले गया. एक दिन नीरज जी बोले हार्ट में तकलीफ है, लेकिन अस्पताल नहीं जाऊंगा. तब मैंने घर पर मशीनें भिजवाईं.

एक बार नीरज जी की तबीयत बहुत खराब हो गयी, तो अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था. तब उन्होंने कहा था कि नीरज कवि सम्मलेन के मंच पर ही मरेगा. हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि नीरज जी ने 'कारवां गुज़र गया' की रचना की थी. उनके जाने के बाद ट्रस्ट ने फैसला किया कि नीरज जी का कारवां जारी रहेगा और आप सबके सहयोग से निरंतर चलता रहेगा.


उनकी कविताएं हमें एहसास दिलाती हैं कि इस संसार को प्रेम और सौहार्द की कितनी जरूरत है. वो कहते थे कि बिना गीत और प्यार के यह जीवन सिसकते आंसुओं का कारवां भर रह जाता है.

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