लखनऊ : प्रदेश में चिकित्सा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है. गुर्दे के गंभीर मरीजों को डायलिसिस के लिये एक से दूसरे जिले तक दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी. बेड की कमी की वजह से गुर्दा रोगियों को डायलिसिस के लिए इंतजार नहीं करना होगा. इसके लिए डायलिसिस यूनिट में बेड बढ़ाये जायेंगे. अभी प्रदेश के आठ जनपदों में डायलिसिस यूनिट में बेड बढ़ाए जा रहे हैं. जरूरत के हिसाब से अन्य जनपदों में भी बेड की संख्या में इजाफा किया जायेगा. कुछ समय पहले ही उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने स्वास्थ्य महानिदेशक को जल्द से जल्द बेड़ बढ़ाने के लिए निर्देशित किया था.
प्रदेश में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम के तहत पब्लिक प्राइवेट पार्टनशिप (पीपीपी) मॉडल पर डायलिसिस यूनिट का संचालन किया जा रहा है. गुर्दे के गंभीर रोगियों को उनके जिले में डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है, ताकि रोगियों को डायलिसिस के लिए दूसरे जिलों तक दौड़ न लगानी पड़े. गुर्दा रोगियों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. ऐसे में रोगियों को डायलिसिस की सुविधा मुहैया कराकर राहत प्रदान की जा रही है. स्वास्थ्य निदेशालय की डीजी हेल्थ डॉ. लिली सिंह ने बताया कि 'मरीजों की संख्या बढ़ने की दशा में आठ जनपदों में हीमोडायलिसिस बेड बढ़ाये जा रहे हैं.'
डायलिसिस यूनिट में होंगे 109 बेड : उन्होंने बताया कि 'कुशीनगर, सिद्धार्थनगर, अम्बेडकर नगर, हाथरस, फिरोजाबाद, गाजीपुर, महाराजगंज व लखीमपुर खीरी जिला चिकित्सालय में 71 बेड पर मरीजों की डायलिसिस हो रही है. एक बेड पर एक दिन में तीन से चार मरीजों की डायलिसिस हो रही है. मरीजों का दबाव लगातार बढ़ रहा है. इन जनपदों में करीब 38 बेड बढ़ाए जा रहे हैं. डायलिसिस यूनिट में कुल 109 बेड होंगे.' उन्होंने कहा कि 'गुर्दा मरीजों के बेहतर इलाज के लिए लगातार कदम उठाये जा रहे हैं. जल्द से जल्द आठ जनपदों की डायलिसिस यूनिट में बेड बढ़ाने के निर्देश दिये गये हैं, ताकि अधिक से अधिक मरीजों को इलाज उपलब्ध कराया जा सके. डायलिसिस यूनिट में पर्याप्त सफाई, आरओ सिस्टम को दुरुस्त रखनें का निर्देश दिया गया है.'
बलरामपुर चिकित्सालय के नेफ्रोलॉजी विभाग के वरिष्ठ डॉ एएन उस्मानी ने बताया कि 'बलरामपुर अस्पताल में पहले से ही एक साथ बेड का डायलिसिस यूनिट चल रहा है, हालांकि अभी एक और डायलिसिस यूनिट बनके तैयार है, जिसमें एक साथ 30 मरीजों का डायलिसिस हो पाएगा.' उन्होंने कहा कि 'रोजाना अस्पताल की ओपीडी में 70 से 150 के बीच मरीज आते हैं, जिसमें से लगभग 30 मरीजों का रोजाना डायलिसिस होता है. इसमें ज्यादातर जो मरीज होते हैं वह प्रदेश के अन्य जनपदों से आते हैं. दरअसल सीतापुर, लखीमपुर, बाराबंकी व कुशीनगर जैसे जिलों से अधिक मरीज डायलिसिस के लिए आते हैं.' उन्होंने बातचीत के दौरान कहा कि 'अगर प्रदेश के अन्य जिलों में भी डायलिसिस यूनिट होगी तो राजधानी के अस्पतालों में मरीजों का लोड कम होगा और जो मरीज को लंबा इंतजार करना पड़ता है, उनको समय पर डायलिसिस की सुविधा मिलेगी.' इस दौरान उन्होंने कहा कि 'हम किसी की मरीज को इलाज करने से मना नहीं करते, चाहे वह किसी भी जिले से आ रहा हो. एक डॉक्टर होने के नाते मरीज चाहे जहां से भी आए हम उसका इलाज जरूर करते हैं.'
डायलिसिस यूनिट की इंचार्ज स्मिता मौर्य ने बताया कि 'प्रदेश के अन्य जिलों से मरीज इलाज के लिए आते हैं और उन्हें यहां पर बेहतर चिकित्सा सुविधा मिलती है.' उन्होंने बताया कि 'मौजूदा समय में सात मरीजों का डायलिसिस हो रहा है. एक मरीज लखनऊ व बाकी सभी 6 मरीज प्रदेश के अन्य जिलों से हैं.' इस दौरान कुछ मरीजों के तीमारदारों ने बातचीत के दौरान कहा कि 'अगर उनके जिले में डायलिसिस यूनिट शुरू हो जाती है तो इससे उन्हें काफी सहूलियत होगी. इधर-उधर भागना नहीं पड़ेगा. साथ ही आर्थिक तंगी भी नहीं होगी. अपने ही जिले में घर के आसपास स्थित जिला अस्पतालों में इलाज संभव होगा तो मरीज भी परेशान नहीं होगा.'
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